गुरुवार, 20 सितंबर 2018

NORTHERN NORWAY

                EXPLORE NORTH CAPE
                             सुनामी वाला दिन

                           आर्कटिक के गेटवे ट्रोम्सो से और ऊपर होनिंग्सवाग नार्थ केप से उत्तरीय गोलार्ध का चकर लगाने के बाद हमारा क्रूज नीचे आने लगा। दिन भर बस समुंद्र में आगे बढ़ते जाना था। सीन सीनरी का फोटो लेना ,नए बने मित्रों से फ़ोन और ईमेल नम्बर लेना,यही काम था। हर बार की तरह कुछ अच्छे मित्र भी बन गए थे।
  एक इटली का पेयर था और एक जर्मनी का पेयर। जर्मनी वाला तो करीब 80 साल का होगा पर उसे हमारे देश के विषय में बहुत कुछ पता था। उसने बताया की जब वह 20 -22 साल का था तब से वह दसों बार इंडिया आया है। जितना भी फेमस जगह है सब जगह वह गया है। हमारे सब भगवान का नाम लेकर भी उसने इस विषय में बात किया।शादी के विषय में भी पूछा उसे पता था की उस ज़माने में हमारे देश में पेरेंट्स ही शादी पक्का करते थे। अभी भी ऐसा ही होता है पूछा।  उसको नीलगिरी बहुत पसंद है वह एक बार और आने का सोचा है ,बांदीपुर जानवर देखने का ,जंगल सफारी करने का सोचा है। एक फिलीपीन की महिला मिली थी वह अटल जी का न्यूज़ देख कर अफ़सोस जताई की तुम्हारे देश का प्रधानमंत्री गुजर गए है। जब उनको बताये की वो एक्स मीनिस्टर थे तब उसको थोड़ा अच्छा लगा नहीं तो वो सोची थी की मोदी जी गुजर गए है। उससे बात कर अच्छा लगा की देखो हमारे देश के बारे और मोदी जी को विदेश में भी लोग पसंद करते है।
     दोपहर बाद मौसम ने करवट बदली खूब आंधी -पानी होने लगा ,जहाज जोर -जोर से हिचकोला लेने लगा। लहर 10- 12फ़ीट से भी ऊँचा लग रहा था की अब गिरे की तब गिरे । डर तो नहीं पर घबराहट होने लगा। इतने दिन से आराम से जा रहे थे 8 वं दिन ये क्या हो गया। रूम के खिड़की से बाहर का मौसम ,लहर का फोटो ही ले रहे थे। रात तक ऐसा ही मौसम रहा जैसे सुनामी आगया हो। सुबह जा कर मौसम ठीक हुआ आसमान साफ हुआ। एक और नए शहर में जाकर हमारा जहाज रुका।
   








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