गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

MAHA SHIVRATRI

                                                     महाशिवरात्री  का  त्यौहार 

                   कल का दिन कैसे बीत  गया पता ही नहीं चला। कल महाशिवरात्री था। इस बार राजिम मेला जाने का अवसर मिला। वैसे तो पहले भी कई बार जाने का अवसर मिला पर शिवरात्री मै पहली बार जाना हुआ। 
            सुबह -सुबह राजिम मेला देखने पहुँच गये। पूरा क्षेत्र गाँव वालों से भरा था। छत्तीसगढ़ सरकार के तरफ से साफ -सफाई का अच्छा इंतजाम था। चारों तरफ भीड़ ही भीड़ पर कहीं भी गंदगी का नाम निशान नहीं था। और तो और सरकार की तरफ से अन्नपूर्णा दाल भात केंद्र पूरे छेत्र मै था ,5 रूपये मै भर पेट भोजन। कोई भी ग्रामीण मेला आये तो भूखा नजाये। 
            मेले में तरह -तरह का खेल तमाशा का भी आनंद हमलोगो ने लिया।दोपहर मै वापस घऱ आगये शाम को बड़े भईया का बनवाया शिव मंदिर जाने का मौका मिला वहां बहुत धूम -धाम से शिवरात्री का पूजा अर्चना तथा अभिषेक होता है। 
        रात को आस्था चैनेल मै खुब अच्छा महाशिवरात्री का प्रोग्राम देखने मिला। कोयंबटूर के ईशा वाले जग्गी महाराज का प्रोग्राम शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक होता। रात को प्रोग्राम देख कर आन्नद आगया ,पूरा दिन कैसे बिता पता ही नहीं चला 
आजकल के भाग दौड़ के ज़माने मै यदि दिन अच्छी तरह बीत जाये तो और क्या चाहिए।

  

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

DIL BAG BAG HO GAYA

                                                                   दीदी का बाग

        बहुत दिनों से दीदी अपना खेत घुमने बुला रही थी पर मौका ही नहीं लग रहा था।इस बार आखिर ठंड में खेत घुमने का मौका मिल ही गया। अब बाग -बगीचा तो देखने नहीं मिलता है नगरों में दूर -दूर तक कांक्रीट का जाल ही दिखता है। दीदी के बाग मै दूर-दूर तक हरियाली ही देखने मिला। मन प्रशन हो गया दिल खुश हो गया। 
             जहाँ नजर दौड़ाओ गोभी ही गोभी ,तरह -तरह के ठंड के साग सब्जी। खेत में बोरिंग का पानी कल कल बह रहा है। बगुला ,चिड़ियाँ बेखौफ  घूम रही है। इतना सुन्दर प्रक्रिति नजारा देख कर सचमुच दिल बाग -बाग हो गया। 


गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015

SARASWATI PUJA

                                                                    सरस्वती पूजा 
               आया रे आया रे आया सरस्वती पूजा। आखिर सरस्वती पूजा का दिन आ ही गया। सरस्वती जी को विध्या की देवी माना जाता है। सरस्वती पूजा वसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। 
       जमशेदपुर में पूजा बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। पर टेल्को कॉलोनी का बात ही कुछ अलग है। सभी स्कूल ,कॉलेज हो या चौक चौराहा सभी जगह देवी प्रतीमा रख कर  वसंत पंचमी के दिन पूजा किया जाता है.हमलोग बचपन मैं इस पूजा का इंतजार करते थे ,कब पूजा आये और हम लड़कियों को साड़ी पहनने मिलेगा। पूरे कॉलोनी मै छोटी -छोटी लड़कियां साड़ी मै घुमते नजर आजायेगी। अब का तो पता नहीं पर 40 -50 साल पहले हमारे बचपन मै इसी तरह मनाया जाता था। बड़ी लड़कियाँ तो जबतक पूजा मै पुष्प अंजली नहीं देदेती थी तब तक वे बेर नहीं खाती थी। पूजा के प्रसाद मै ही ग्रहण करती थी। 
इस दिन एक और मजे की बात होती थी सब अपने पंडालों को सजाने दूसरे मुहल्ले के घरों से फूल और गमला फूल लगा हुआ उठा कर अपने पंडाल को सजाते थे। रात भर सभी घरों के बड़े अपने-अपने घर के गार्डन की रखवाली करते थे जिससे कोई चोरी नहीं करे फिर भी चोरी हो ही जाता था। 
पूजा के प्रसाद में खिचड़ी ,पत्ता गोभी और टमाटर की मीठी चटनी जरूर होता था। नारियल का गुड वाला लड्डू जिसे नारकेल नाडू बंगाली मै बोला जाता है हम सबों को इस का इंतजार रहता था। 
सरस्वती माँ 


प्रसाद 

बेर