सोमवार, 5 दिसंबर 2022

#SHANIWARWADA#LALMAHAL#PUNE

                                    शनिवार  वाडा 

              शनिवार वाडा पुणे के शनिवार पेठ में है। बाजीराव पेशवा ने इसे 18 वीं सदी में वनवाया था। मराठा पेशवाओं ने 1746 से 1818 तक यहाँ रहा।पेशवा परिवार की गद्दी यहीं थी ,दरवार यहाँ लगता था और पारीवारिक समारोह ,शादी आदि इसी वाडे में होती थी।  शनिवार के दिन इसकी नीव रखी गयी थी और यहाँ शनिवार के दिन बाजार लगता था इसलिए इस वाडे का नाम शनिवार वाडा रखा गया था।  1828 में अंग्रेजों के अंडर में था तब भयानक आग वाडा में लगा। आग लगने का कारन आज तक पता नहीं चला। पूरा वाडा खाक हो गया था। सिर्फ बाहरी दीवार जो की पत्थर की थी वो और ग्रेनाइट का भाग ही बच गया था। 1919 में वाडा को स्मारक घोषीत किया गया।दीवाल तो अब भी किला जैसा बड़ा और मोटा है और गार्डन में कुछ पुराना पेड़ है। एक कमल के आकर का हजार जेट वाला फौवारा भी उस ज़माने का है।

                               लाल महल   

     1630 में शिवाजी के पिताजी ने बेटे शिवाजी और पत्नी जीजाराणी के लिये लाल महल बनवाया था। शिवाजी  बहुत दिनों तक इस महल में रहे थे। पुराना लाल महल खंडहर हो गया था। अभी जो लाल महल है वो मूल का पुर्निर्माण करा हुआ पुणे शहर के केंद्र में है। महल में जीजाराणी की मूर्ती बनी हुई है और बहार में शिवाजी महाराज का कांस्य मूर्ती घोड़े में सवार है। 

               पूना का ऐतिहासीक जगह घूमना हो तो शनिवार पेठ आना चाहिए यहाँ से पैदल शनिवार वाडा देख कर लाल महल होते हुएआगे बढ़ते जाना चाहिए। सारा पुराना किला ,महल का खंडहर देखने मिल जायेगा। बाजार, ,गणेश मंदिर आदि सब यहीं है। 








 


      

रविवार, 4 दिसंबर 2022

#SHRI#VITHAL#RUKMINI#TEMPALE

                    श्री विट्ठल रुक्मणि मंदिर 

           भारत में कहीं भी घूमो मंदिर जाओ कृष्ण जी के हर मंदिर में साथ में राधा जी होती है।हमेशा लोग राधा -कृष्ण ही बोलते है। इस बार महाराष्ट्र घूमने का मौका मिला। यहाँ एक नया चीज देखने मिला। कृष्ण के मंदिर में राधा जी नहीं रुक्मणी जी साथ रहती है।यहाँ जंगल हो, पहाड़ हो, बाजार हो ,जहाँ भी गए हर जगह छोटा हो, या बड़ा मंदिर हो,सब जगह काले पत्थर का बहुत ही सूंदर कृष्ण -रुक्मणि का मूर्ति देखने मिला।  
           माना जाता है की कृष्ण भक्त पुंडलिक ने कृष्ण भगवान सेअनुरोध किया था की धरती में आकर अपने भक्तो को आशीर्वाद दे। तभी से महाराष्ट्र में विष्णु के अवतार को विट्ठल के नाम से जाना जाता है और यहाँ कृष्ण राधा नहीं विट्ठल -रुक्मणि  की मूर्ति का पूजा होता है।मंदिर की शुरुआत पंढरपुर से हुई थी। 
 










शनिवार, 3 दिसंबर 2022

#DAGADUSHETH#HALWAI#GANPATI#TEMPLE#PUNE

                दगडूशेठ हलवाई मंदिर पुणे 

         पुणे के चौक बाजार में बहुत ही भव्य गणपती मंदिर है। मंदिर करीब 130 साल पुराना है ,पर मंदिर के रख रखाव के कारन नया जैसा लगता है। दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई पुणे में मिठाई  निर्माता और  व्यापारी थे. उनकी मूल हलवाई दुकान आज भी उनके नाम से पुणे में है।मंदिर में गणेश जी की मूर्ति करीब 2  मीटर लम्बी और 1  मीटर चौड़ी है. 40 किलो सोना से मूर्ति को सजाया गया है।अंदर मार्बल का दो प्रहरी बना हुआ है। पुरे मंदिर के अंदर दीवाल में चाँदी का पत्तर लगा हुआ। 

            सन  1800 में अपने एकलौते पुत्र को प्लेग महामारी में खोने के बाद वे अपने 9 साल के भतीजे गोविन्द को गोद ले लिया।उन्हें एक संत ने गणेश मंदिर बनवाने को कहा जिससे उन्हें थोड़ी शांति मिले। 1891 में उनकी मौत हो गयी। उनका भतीजा बहुत ही उदार ,धार्मिक और दयालु था। उसने मूर्ति को थोड़ा नया रूप दिया। मंदिर में सोना ,चांदी और रूपया बहुत चढ़ावा में आता था। उन्होंने एक पहलवानो के लिये प्रशिछण केंद्र बनवाया और वहां भी गणेश प्रतिमा स्थापित किया। गोविन्द हलवाई के नाम से पुणे में एक चौक का नामकरण हुआ। उन्होंने एक ट्रस्ट दत्ता मंदिर ट्रस्ट के नाम से  वनवाया। 1943 में उनकी मौत के बाद उनका पुत्र दत्तात्रेय गोविन्द सेठ ने मंदिर परिसर में एक गणेश मूर्ति स्थापित किया जो आज भी है। ये भी दयालु और उदार और धार्मिक है। ट्रस्ट के पैसे से मंदिर का पूजा पाठ उत्सव आदि रोज होता है। ट्रस्ट बुजुर्गों का आश्रम ,बेसहारा बच्चों का पढ़ाई ,रहना देखभाल करती है। गरीबों का मुफ्त इलाज ,भोजन ,एम्बुलेंस आदि ट्रस्ट करती है।

              मंदिर बाजार के बीच ऐसा बना हुआ है की लोग बाग आते जाते गणेश जी का दर्शन बहार से कर सकते है।  रात को मंदिर बहुत ही सुन्दर दिखता है।पुणे जाने से एकबार मंदिर जरूर जा कर देखना चाहिए।





  

              

 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

HAMARE BABA DR SURENDRA PRASAD

                                             हमारे  बाबा 

                  बाबा 97 की उम्र में भी बहुत ही एक्टिव है। बाबा लेखक ,डाक्टर है ये तो सबको पता है।96 उम्र तक उनकी कलम अपना काम करती रहती थी. पर अब 97 होने के बाद  लिखना बंद कर दिए है।कल हमलोगों के लिये बहुत ही खुशी का दिन था.  दिल्ली से टीम आकर बाबा का सम्मान करी। बाबा मगसम संस्था के उप सभापति  2010 -2022 होने के कारन उनका शॉल और श्रीफल दे कर सम्मान किया गया। हमें गर्व है बाबा की बेटी होने का।

 















 

#PRATI#BALAJI#MANDIR#PUNE

                          प्रति बालाजी मंदिर पुणे 

         प्रति बालाजी मंदिर महाराष्ट्र के पुणे से 60 किलोमीटर की दूरी में पुणे बैंगलोर हाईवे में केतकावल में असली तिरुपति बाला जी की हूबहू नक़ल है। तिरुपति बाला जी मंदिर की प्रतिकृती है ईसलिए प्रति बाला जी मंदिर नाम पड़ा।वेंकटेश्वर चैरीटेबल ट्रस्ट ने 1996 -2003 तक इस मंदिर का निर्माण 27 करोड़ लगा के किया था। यहाँ भगवान की मूर्ति से लेकर लकड़ी का काम सब बालाजी का नक़ल है। यहाँ तक की पूजा का विधि -विधान ,प्रसाद ,दर्शन -आरती सब कुछ बालाजी मंदिर जैसा है।बहुत ही सूंदर और भव्य है। यदि तिरुपति नहीं जा सके तो यहाँ का दर्शन भी एकदम वैसा ही माना जाता है। पुरे मंदिर में हमारे सभी हिन्दू देवी -देवताओं की प्रतिमाएं है और उनका पूजा वैसे ही किया जाता है। घूमने देखने से थोड़ी देर के लिये आदमी भूल जायेगा की हम पूना में है। मंदिर के आसपास होटल ,रेस्टुरेंट ,धर्मशाला सभी कुछ है। तीर्थ यात्री के लिये सभी सुविधा यहाँ पर है।  








  

बुधवार, 30 नवंबर 2022

#SANT#DARSHAN#MUSEUM#HADSI

                         संत दर्शन म्यूजियम हदसि 
                संत दर्शन म्यूजियम पुणे से घंटे भर की दूरी में हदसि के मुलसी गावं में है। पुरे म्यूजियम में करीब 1200 मूर्तियां है। पूरा म्यूजियम गुफा थीम में बना हुआ है। यहाँ महादेव -नंदी ,गणेश -पार्वती तो है ही इसके अलावा हमारे सारे देवी देवता ,संत ,महात्माओं की मूर्तियों को बहुत ही शानदार तरह से बनाया गया है। कहीं कोई भक्तिन चक्की पीस रही है और भगवान से बात कर रही है , तो कही रुक्मणी कुएं से भक्त के लिये जल भर रही है ,कहीं भक्त माँ -बाप का सेवा कर रहा है और भगवान दरवाजे पर खड़े भक्त को पुकार रहे है। कहीं कृष्ण जी ग्वाल बाल के साथ गईयां चरा रहे है। 
                  पुणे जाने से एक बार हदसि में संत दर्शन म्यूजियम जरूर देखना चाहिए बहुत ही सुंदर बड़ा और अपने धर्म से जुड़ा होने के कारन मन मोह लेता है। यहाँ पार्किंग में ही रेस्टुरेंट भी है ,बहुत ही सुन्दर और बड़ा बिठ्ठल -रुक्मी का मंदिर भी है। यहाँ बच्चों के लिये जिपलाईन  ,बोटिंग और वाटर पार्क भी है।