शनिवार, 29 सितंबर 2018

OSLO TRIP

                    ओस्लो की सैर

             ओस्लो नॉर्वे की राजधानी होने के कारन टूरिस्टों के देखने के लिये बहुत पॉइंट है। 3 -4 दिन पंकज के साथ खूब घूमें। पार्क ,बाग  -बगीचा ,चौक -चौराहा ,लेक ,पोर्ट ,सीटीसेंटर ,ओपेरा हॉउस इत्यादि। जहाँ शांति के लिये नोबल पुरस्कार मिलता है वहाँ पंकज हमे लेगया।  उसी हॉल में उसे अपने रिसर्च के लिये डॉक्टरेट की  उपाधी से सम्मानित  किया गया था। उसके परिवार के साथ लंच ,डिनर भी किये। सबों से मील कर बहुत अच्छा भी लगा।












शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

NORWEGIAN TROLL DOLL

            नॉर्वेजियाई ट्रोल गुड़िया

       स्कॅन्डिनेवियन पौराणिक कथाओं में ट्रोल गुड़िया की कहानी मिलती  है। उनका मानना है  की ओडीन का बहादुर योद्धा बेटा ट्रोल है। ट्रोल अपने परिवार के साथ पहाड़ के अंदर गुफा में छुप कर रहता है। ट्रोल मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाता है उल्टा वह बहुत ही हेल्पफुल है। दूर सुदूर एकांत जगह में सनलाइट से दूर बड़े बाल ,मोटी नाक वाला हो कर भी सब का प्यारा होने के कारन ट्रोल को शुभ माना जाता है।
    पहले भी स्कैंडियनेवियन कंट्री में घूमे और खिलौने के रूप में ट्रोल देखे थे, पर उतना ध्यान नहीं दिए थे।  जैसे हमलोगों के घरों बाजारों में गुड्डा -गुड्डी होता है वैसे ही उनका खिलौना होगा। पर इस बार 15 -20 दिन नॉर्वे के अलग-अलग प्रान्त और शहर में घूमने का मौका मिला, हर छोटे- बड़े दुकान में छोटे-बड़े  आकर -प्रकार ,अलग -अलग कद -काठी ,अलग -अलग भेष  का ट्रोल देखने मिला। तब जाकर पता चला की ये कोई मामूली खिलौना नहीं है। इसे ट्रोल डॉल बोला जाता है और इसे शुभ माना जाता है। हर जगह टूरिस्ट ट्रोल डॉल के साथ फोटो जरूर खींचवाते थे। फिर हम क्यों पीछे रहते यादगार के लिये  ट्रोल डॉल के साथ फोटो खिचवा लिये।






VIGELAND SCULPTURE PARK IN OSLO

                  VIGELAND PARK OSLO

         ओस्लो में विगलैंड के मूर्तिकला पार्क

                  विगेलैंड पार्क दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ती पार्क है। नॉर्वे के ओस्लो में एक नायाब मुर्तीयो वाला पार्क है। गुस्ताव विगलैण्ड ने 40 वर्षों में 200 मूर्तियों को रूप दिया था।जो की  कांस्य ,ब्रोन्ज ,ग्रेनाईट द्वारा निर्मित है.सैकड़ों एकड़ में पार्क फैला हुआ है। पार्क के बीचो -बीच ग्रेनाईट का एक 17 . 3 मीटर के करीब ऊँचा पिलर
बना है जिसमे करीब 121 मूर्तियां उकेरा हुआ है। पार्क के बीच में एक फव्वारा है जिसके चारो तरफ कांस्य का पेड़ और उसमे भी मुर्तिया है।हर मूर्ती जीवन पथ की कहानी जन्म से मृत्यु को दर्शाती है। मानव के गिरावट और शैतानी शक्ति का प्रतिनिधीत्व करती है। पार्क के बीच में एक छोटा नगा बच्चा का मूर्ती है जिसे एंग्री बॉय नाम दिया गया हो जो की पार्क में काफी लोकप्रिय है। हर आने वाले लोग उसके साथ तस्वीर जरूर लेते है। हमलोग भी लिये। पूरा पार्क ही बहुत सूंदर है। मूर्तियों के अलावा गार्डन भी बहुत बड़ा और सूंदर देखने योग्य है। और मजे की बात तो ये है की कोई टिकट भी नहीं लगता है। साल भर सारे दुनिया से टूरिस्ट आते और देखते है.













मंगलवार, 25 सितंबर 2018

OSLO CANCER RESEARCH CENTER

            ओस्लो कैंसर रिसर्च सेंटर
                        ओस्लो साइंस पार्क

                        ओस्लो कैंसर रिसर्च सेंटर और सइंस पार्क देखने मिला। वैसे तो ये सब जगह बाहरी आदमी नहीं जा सकता है। पर साईंटिस्ट पोता के कारन जा पाए। वे अच्छे से दोनों जगह घुमाया,अपने साईटिस्ट दोस्तों से मिलाया। सब अच्छे से समझा कर दिखा रहा था ,कैसे -कैसे काम होता है। कैसे रिसर्च होता है। क्यों इतना साल लगता है इत्यादी। सब देख कर और सबों से मिल कर बहुत अच्छा लगा। उन लोगो के साथ साईंस पार्क के फ़ूड कोर्ट में लंच भी किये। 3 -4 घंटा देखने और समझ ने में कैसे व्यतीत हो गया पता ही नहीं चला।




















सोमवार, 24 सितंबर 2018

APPLE GARDEN IN OSLO NORWAY

                 ओस्लो में सेव का बाग

             बर्गेन से दोपहर को ओस्लो पहुँच गये। अभी तक नॉर्वे के अलग -अलग कोस्टल एरिया में घूम रहे थे। अब जाकर नॉर्वे की राजधानी ओस्लो पहुंचे। अब देश का  राजधानी है तो खूब बड़ा सूंदर तो होगा ही। स्टेशन में हमारा रिश्ते का पोता लेने आया। वह ओस्लो में साईंटिस्ट है। अभी तक तो टूरिस्ट बस में ही हर शहर एक टूरिस्ट की तरह ही  घूम रहे थे ,पर अब लोकल परिचीत के साथ  दूसरे तरह से घूमना था।
      हमारा पोता बोला दादी चलो सेव का बाग घुमाता  हूँ। अब होगा कोई सेव का गार्डन चलो घूम आयें। बाग देख कर दिल बाग -बाग हो गया।चारों ओर सैकड़ों सेव का पेड़ वो भी एकदम खुले में ,फल से लदा कोई तोड़ने वाला नहीं जीतना पेड़ में उससे ज्यादा जमीन में गिरा पड़ा था।  देख कर ही मजा आगया। कोई भी आओ तोड़ो खाओ कोई भी रोकने वाला नहीं। हमलोग भी तोड़ -तोड़ कर खूब खाये। शाम होने के कारण हमलोग वापस घर आगये।
    दूसरे दिन सुबह फिर बोला चलो एक और बाग चलते है। सब उसके घर के आसपास ही था पैदल जाने लायक। हमलोग दूसरा बाग गए ,बाग देखते ही रह गए। इतना बड़ा एक से बढ़ कर एक वैराइटी का सेव अलग -अलग रंग ,आकर -प्रकार का ,गुलाबी ,लाल ,हरा ,सब खूब रसीला और मीठा। सेव ,नाशपाती ,आलूबुखारा सब का सब मीठा। जीतना बढ़ते जाते उतना ही मजा आरहा था कितना तो तोड़ -तोड़ कर खाये ,फोटो खींचे पर मन ही नहीं भर रहा था।  इसे ही बोला जाता है दिल बाग -बाग होना । बहुत मजा आया कभी ऐसा खुला बाग -बगीचा देखे नहीं थे।कोई भी आओ तोड़ो खाओ जाओ पर तोड़ कर बाजार में बेंच नहीं सकते भले जमीन में गिर जाये कोई बात नहीं।
    सरकार स्ट्रांग हो ,पॉपुलेशन कम और लोग सुशिक्छित हो तब ही ऐसा हो सकता है। जो हो सेव का बाग का मजा जम के लिये। 
 








रविवार, 23 सितंबर 2018

BERGEN TO OSLO BY TRAIN

                  BERGEN TO  OSLO  BY TRAIN

             बर्गेन घूमने के बाद दूसरे दिन सुबह ट्रेन से ओस्लो के लिये चल पड़े। पहला दो घंटा तो टनल ही टनल से ट्रेन गुजरा। बारीश भी सुबह से हो रहा था, कुछ बाहर का दृश्य दिख  भी नहीं रहा था।पर 2 -3 घंटे बाद मौसम भी साफ हो गया और टनल भी बंद हो गया। बाहर का नजारा देखते हुए बढ़ते गए। झरना ,जंगल,पहाड़, ग्लेशियर ,छोटा -छोटा सुन्दर -सुन्दर मकान, चारागाह इत्यादी। नॉर्वे का फेमस भेड़  जो की रात और दिन चर -चर  के मोटी ताजी हो जाती है  को भी चरते देखना बहुत अच्छा लग रहा था। जंगल होने के कारण टिम्बर यार्ड भी देखने मिला।
    समर होने के कारण ज्यादा ग्लेशियर नहीं था। पर फिर भी थोड़ा -बहुत जो भी मिला देख कर मन प्रसन्न ही हुआ। सुबह से निकले थे ठण्ड भी था चाय का तलब हुआ। पेंट्री में चाय लेने गए ,वहाँ रायपुर के कुछ लोग मिल गए। प्रदेश में अपने देश के वो भी अपने शहर के लोग मिलने पर अच्छा लगना स्वभाविक है।
   5 -6 घंटा का सफर नजारा देखते हुए समाप्त हुआ। अभी तक पानी में सफर कर रहे थे ,अभी धरती का नजारा देखना भी बहुत अच्छा लगा। अपना मंजिल आगया। ओस्लो में उतर गए। अब तीन -चार दिन यहाँ रहना और घूमना था।