INDEPENDENCE NIGHT IN THE ARCTIC OCEAN
15 अगस्त की शाम आर्कटिक ओसेन में
INDIA NIGHT
दिन भर ग्लेशियर देख कर। आर्कटिक का चकर लगा कर हमारा क्रूज आगे बड़ा। 15 अगस्त था ,पता चला की आज फूडकोर्ट में इंडिया नाईट मनाया जायेगा। सुन कर बहुत ही खुशी हुआ। फूडकोर्ट में आकर देखते क्या है ,पूरा मौहाल ,सजावट ,भोजन सब भारतीय था। पूरी ,कचौड़ी ,पकौड़ी ,समोसा से लेकर नाना प्रकार का भारतीय व्यंजन के आलावा हमारा मीठा तक था। खीर ,सेवई ,गाजर का हलवा इत्यादि। हम इंडियन तो खा ही रहे थे पर विदेशी लोग भी खूब पसंद से खाने का मजा ले रहे थे। सब देख कर अपने भारतीय होने पर बड़ा गर्व हो रहा था। इंडिया डे मना तो अपने देश का नाम ही ऊँचा हुआ। कभी सोचे भी नहीं थे की अपने देश से इतने दूर आर्कटिक ओसन में 15 अगस्त मनाएंगे। गांधी जी ,ताजमहल ,नमस्कार इत्यादी बना था। सब कोई घूम -घूम कर फोटो ले रहे थे,चाहे देशी हो या विदेशी।
यहाँ से और भी ऊंचाई की तरफ बढ़ते जा रहे थे जहाँ दिन ही नहीं ढलता है रात को भी सूरज दिखता है। रात को रेनबो भी दिखा ,छोटा -छोटा गाँव भी दिख रहा था।चारों तरफ एकदम उजाला ,कहीं अँधेरा का नाम नहीं। आर्कटिक सर्कल से गुजरने के कारण आज स्पेशल प्रोग्राम ,गेम भी हुआ। आइस बकेट गेम भी देखने मिला। इतने ठण्ड में भी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे।इसके पहले सुने थे पर यहाँ देखने भी मिल गया।
ग्लेशियर का देश था पता चला यहाँ हाइड्रो पवार ग्लेशियर से बनाते है। पूरा दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला।आगे के सफर के लिये चल पड़े।
15 अगस्त की शाम आर्कटिक ओसेन में
INDIA NIGHT
दिन भर ग्लेशियर देख कर। आर्कटिक का चकर लगा कर हमारा क्रूज आगे बड़ा। 15 अगस्त था ,पता चला की आज फूडकोर्ट में इंडिया नाईट मनाया जायेगा। सुन कर बहुत ही खुशी हुआ। फूडकोर्ट में आकर देखते क्या है ,पूरा मौहाल ,सजावट ,भोजन सब भारतीय था। पूरी ,कचौड़ी ,पकौड़ी ,समोसा से लेकर नाना प्रकार का भारतीय व्यंजन के आलावा हमारा मीठा तक था। खीर ,सेवई ,गाजर का हलवा इत्यादि। हम इंडियन तो खा ही रहे थे पर विदेशी लोग भी खूब पसंद से खाने का मजा ले रहे थे। सब देख कर अपने भारतीय होने पर बड़ा गर्व हो रहा था। इंडिया डे मना तो अपने देश का नाम ही ऊँचा हुआ। कभी सोचे भी नहीं थे की अपने देश से इतने दूर आर्कटिक ओसन में 15 अगस्त मनाएंगे। गांधी जी ,ताजमहल ,नमस्कार इत्यादी बना था। सब कोई घूम -घूम कर फोटो ले रहे थे,चाहे देशी हो या विदेशी।
यहाँ से और भी ऊंचाई की तरफ बढ़ते जा रहे थे जहाँ दिन ही नहीं ढलता है रात को भी सूरज दिखता है। रात को रेनबो भी दिखा ,छोटा -छोटा गाँव भी दिख रहा था।चारों तरफ एकदम उजाला ,कहीं अँधेरा का नाम नहीं। आर्कटिक सर्कल से गुजरने के कारण आज स्पेशल प्रोग्राम ,गेम भी हुआ। आइस बकेट गेम भी देखने मिला। इतने ठण्ड में भी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे।इसके पहले सुने थे पर यहाँ देखने भी मिल गया।
ग्लेशियर का देश था पता चला यहाँ हाइड्रो पवार ग्लेशियर से बनाते है। पूरा दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला।आगे के सफर के लिये चल पड़े।
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