रविवार, 30 दिसंबर 2018

ICE APPLE

                             ताड़गोले

         ताड़गोले का फल अन्य फलों के सामान ही शरीर को तरोताजा रखता है। गर्मी में बहुत ही राहत पहुँचाता है। काले रंग के गोल फल के अंदर तीन लीची के जैसा रसीला फल होता है। स्वाद में नारियल के मलाई जैसा होता है। इस फल का तासीर ठण्डा होता है इस लिये इसे आईस एप्पल भी बोला जाता है। इस फल में अनेक विटामीन पाया जाता है।इस लिये अनेक बीमारियों में बहुत ही फायदा करता है.
        पाम ट्री में गुच्छे में होता है इसलिए इंग्लिश में पलमयरा ,तमिल में नुनगु ,हिन्दी में तारकुन इत्यादी अलग -अलग नाम से जाना जाता है। बचपन से ही बाबा सीज़न में जरूर लाते थे और बहुत ही चाव से हमलोग खाते थे। शादी के बाद रायपुर में मिलता नहीं था तो धीरे -धीरे भूल भी गये थे। एक बार गर्मी में बॉम्बे जाना हुआ वहाँ बहुत मिलता है वहाँ खाने मिला। अब कुन्नूर आना जाना होता ही रहता है यहाँ भी बहुत मिलता है। कोयम्बटूर ,कोचीन ,कून्नूर सभी जगहों में आसानी से मील जाता है। अपना बचपन याद कर के खा ही  लेते है। जबकी कुन्नूर काफी ठण्डा रहता है। आज भी सुबह ताजा -ताजा ताड़गोला  मिला। विजय को भी याद किये ,बॉम्बे में खोज -खोज कर मेरे लिये लाते थे। हमलोग दोनों बहन खाते थे।
     वैसे बंगाल में ताड का पेड़ बहुत होता है और ताड का फल भी बहुत होता है तो वे लोग फल से पकवान भी बनाते है। सरसों तेल में ताल का बड़ा (तालेर बोरा ),ताल के दूध से तालखीर इत्यादी। ताड के फल से ताड़ी तो बनता ही है। बचपन में बंगालियों के बीच पले बड़े तो ये सब पकवान का लुफ्त भी खूब उठाये हैं।आज पता नहीं कैसे ताड़गोला देख कर अपना बचपन याद आगया।




 

गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

CHOW CHOW

                                             चाउ चाउ

              चाउ चाउ एक पीयर के आकर वाला सब्जी है जो की पहाड़ों में पाया जाता है। इसका आकर 10 -20 सेंटीमीटर होता है और पौधा लता में होता है। फल बड़े अकार का अमरुद जैसा दिखता है। फूल गुझो में होता है। कुम्हड़े के जैसा इसका फूल भी नर और नारी वाला होता है। लौकी जैसा लता में फल भरा होता है। बीच से काटने पर अंदर एक ही बीज होता है।
    कुन्नूर के बाजार में बहुत मिलता है। ये विटामीन C से भरा है। इसकी सब्जी एकदम लौकी जैसा खाने में लगता है। यदि नहीं बताये तो पता ही नहीं चले की चाउ चाउ का सब्जी है। वैसे तमिलनाडु में साम्बर ,पोरियल, चटनी ,कोट्टु इत्यादी बहुत प्रकार से बनाया जाता है। 15 -20 साल से कुन्नूर के बाजार में देखते थे पर कभी खाने -बनाने का मौका नहीं मिला था। इस बार एक मित्र के घर में बहुत हुआ तो खाने का मौका मिला।
    चाउ चाउ का मूल स्थान वैसे लातिन अमेरिका के पहाड़ी इलाका है। वहाँ से मेक्सिको हो कर सारी दुनिया में फैला है। भारत के दार्जीलिंग ,तमिलनाडु के पहाड़ी इलाका ,नेपाल आदि जगहों में इसकी फसल बहुत अच्छी होती है। खाने में टेस्टी ,बनाना और पौधा लगाना भी बहुत आसान तथा विटामीन से भरपूर है।




बुधवार, 26 दिसंबर 2018

MERRY CHRISTMAS

                             क्रिसमस

          कुन्नूर अंग्रेजों का बसाया हुआ तमिलनाडु का एक हिल स्टेशन है। अंग्रेजों के कारण यहाँ क्रिश्चन और चर्च भी बहुत है। इस बार 25 दिसम्बर क्रिसमस मेरा यहीं पड़ा। बहुत चर्च भी घूमना हुआ। क्रिश्चन मिशनरी का बुजुर्गों का आश्रम में भी क्रिसमस देखना हुआ। क्लब में भी धूम -धाम से क्रिसमस सेलिब्रेट किये। यहाँ घर -घर में क्रिसमस ट्री सजाते है हमलोगो ने भी सजाया।
    अभी तक कभी ध्यान नहीं दिए थे पार्टी होता है वेज -नॉन वेज रहता है केक तो रहेगा ही खाओ -पियो हो गया। पर इस बार ध्यान दिए जैसे बकरीद में बकरा जरूर बनता है ,वैसे ही क्रिसमस पार्टी में टर्की (पक्छी )जरूर  रहता है।आखिर क्यों ,कब और कैसेशुरू हुआ पता नहीं था।
   आज से करीब 500 साल पहले तक क्रिसमस पार्टी में डक ,गोट वगैरा बनता था। 16 -17 वीं  शताब्दी में लन्दन का  एक अंग्रेज व्यापारी अमेरीकन व्यापारी से टर्की खरीद कर डिनर में बनवाया।उस समय के राजा हेनरी और एडवर्ड ने लन्दन में क्रिसमस में टर्की खाया। तब से आज तक क्रिसमस डिनर में टर्की जरूर रहता है।ब्रिटेन के 87 %लोग बहुत चाव से टर्की खाते हैं।








  

रविवार, 23 दिसंबर 2018

THREE SIVA TEMPLES IN A DAY

                            कोचीन के महादेव मंदिर

             कोचीन बहुत ही प्राचीन नगर है ,इसलिए एक से बड़कर एक मंदिर यहाँ पर है। कोचीन से करीब 14 किलोमीटर की दूरी में कोट्टायम डिस्ट्रीक पर 12 -12-12  किलोमीटर  की ट्रैंगल दूरी में बहुत ही प्राचीन महादेव का तीन मंदिर है।मान्यता ये है की एक दिन में तीनों मंदिर का दर्शन करना चाहिए। दर्शन करने पर मनोकामना पूर्ण होता है और मुक्ति मिलता है। तीनो मंदिर बहुत ही पावर फुल है।माना जाता है की 15 वीं शताब्दी में बना है और मानना ये भी है की रामायण ,महाभारत कल से ही यहाँ पूजा होता है। वैष्णो और शिवाय दोनों संप्रदाय के लोग यहाँ पूजा करते है।
                                       वायकॉम महादेव  (VAIKOM MAHADEO )

            कोचीन से सुबह सबसे पहले वायकॉम  मंदिर दर्शन करते है। केरल को गॉड्स ओन कंट्री माना जाता है। वायकॉम का मंदिर भगवान की नगरी में हुआ। वायकॉम मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसे शैव और वैष्णव दोनों संप्रदाय के  लोग जहाँ  पूजा  करते है। माना जाता है की यहाँ का शिवलींग त्रेता युग का है। तब से आज तक यहाँ पूजा जारी है। नवंबर के अष्टमी को स्पेशल पूजा होता है। शिव की सवारी नन्दी का बड़ा सा मूर्ती प्रांगण में है। मंदिर गोल शेप में है और दीवाल में द्रविड़ शैली का पेंटिंग किया हुआ है।

                                कडुत्तुरुथी (KADUTHURUTHY )

                                         थालियिल महादेव मंदिर

        वायकॉम मंदिर दर्शन के बाद कडुत्तुरुथी महादेव मंदिर का दर्शन करते है।  माना जाता है की वायकॉम ,कडुत्तुरुथी और एट्टुमानूर तीनो मंदिर एक ही समय में बना था। रामायण काल के खर -दूषण को शिव जी ने प्रसन्न हो कर तीन शिव लिंग दिए थे। वे आराम करने बैठे और उनके हाँथ से शिव लिंग  यही तीन जगह में गिरा था।और स्थापित  हो गया। अब सच जो हो। यहाँ से फिर तीसरा मंदिर एट्टुमानूर जाते है।

                                एट्टुमानूर (ETTUMANOOR )महादेव

        तीसरा मंदिर एट्टुमानूर फिर दर्शन करते है। माना जाता है की पांडव और व्यास जी भी यहाँ पूजा करे थे। ये भी मंदिर 15 वीं शताब्दी का द्रविड़ शैली में बना हुआ है।इस मंदिर में फरवरी  में फेस्टीबल होता है।
  तीनो मंदिर में तुला भरण भी देखने मिला जैसा की द्वारका और गुरुवायुर के मंदिर में होता है। तीनो ही मंदिर विशाल ,सुंदर बहुत ही अच्छा था। और रामायण -महाभारत से इसकी कहानी जुडी मिली।
        एक कहनी ये भी है।  रामजी जब रामेश्वर से श्रीलंका जा रहे थे तो हनुमान जी से शिव लिंग लाने बोले। समुद्र किनारे पूजा करके ही उस पार जायेंगे। हनुमान जी हिमालय से तीन शिव लिंग लेकर अपने दोनों हाँथों और गले में दबा कर रामेश्वर के लिये चले। इधर मुहूर्त निकला जा रहा था रामजी समुन्द्र किनारे रेत जमा कर शिवलींग बना कर पूजा करने लगे। तब तक हनुमान जी भी उड़ते हुए आसमान से देखे की हमें आने में देर हो गया तो भगवान जी खुद लिंग बना कर पूजा कर रहे है। देख कर घबड़ा गए तो उनसे तीनो शिवलींग तीन दिशा में गिरा।माना जाता है की कोचीन का तीनो शिव मंदिर वायकॉम ,कदुथुरथी और एट्टुमानूर  में जो शिवलींग का पूजा होता है वो वही है।अब सच जो हो ,मंदिर तो मंदिर जैसा भावना और श्रद्धा हो वही सही। अब राजेश के कारण कोचीन आये तो तीनो मंदिर का दर्शन भी हो गया। कोचीन से सुबह जल्दी जाने पर दोपहर तक तीनो मंदिर का दर्शन करके शाम को वापस कोचीन आ सकते है
             जो भी भक्त सबरीमाला दर्शन के लिये जाते है ,पहले तीनो महादेव मंदिर का दर्शन करते है फिर सबरीमाला में हनुमान मंदिर का दर्शन करने जाते थे। हमलोगों को भी सबरीमाला जाने वाला जथा मिला। शायद कोइ  तीथी वार था।













   

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

ADIYOGI--THE SOURCE OF YOGA

               आदियोगी शिव प्रतिमा

 आदियोगी शिव प्रतिमा ईशा योग परिसर में स्थित है।वेल्लियंगीरी पर्वत की तलहटी में तमिलनाडु के कोयम्बटूर के ध्यानलिंगम में सद्गुरु द्वारा फरवरी 2017 को स्थापित किया गया। आदि योगी शिव की 112 फ़ीट ऊँची प्रतिमा मानव तंत्र के 112 चक्रों को प्रतिनीधित्व करती है। ऐसा सद्गुरु का मानना है। सद्गुरु के विचार से यह प्रतिमा योग के प्रति लोगों में प्रेरणा जगाने के हेतु बना है। प्रतिमा के विशाल चेहरे को सद्गुरु ने डिजाइन किया है। शिव को योग प्रवर्तक माना  जाता है इसलिए प्रतिमा का नाम आदियोगी रखा गया है।
       योग विद्या के अनुसार 15 हजार साल पहले शिव ने सिद्धी प्राप्त की औरआषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु बन कर सप्त रिषीयों को योग का ज्ञान दिया। तब से हर साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है।वैसे तो ईशा योग सेण्टर में बहुत कुछ देखने, सिखने ,घूमने योग्य जगह है। कुंड, देवी मंदिर  ,गार्डन वगैरा और अब नव निर्मित आदि योगी का विशाल प्रतिमा भी कैंपस में बन जाने पर बहुत लोग -बाग  देखने घूमने आते है। पूरा कैंपस घूमने में 3 -4 घंटे कम से -कम लग ही जाता है। कोयम्बटूर आने पर एक बार जरूर देखना चाहिए।











बुधवार, 12 दिसंबर 2018

HYDERABAD KI SAIR

                  हैदराबाद की सैर

                तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद है। इसे निजाम और मोतियों का शहर भी कहा जाता है। वैसे तो हैदराबाद प्राचीन और ऐतिहासीक नगर होने के कारण बहुत सी जगह घूमने और देखने लायक है। इनमें प्रमुख चारमीनार है ।
1 . चारमीनार -करीब 500 साल पहले  16 वीं  शताब्दी में  मोहम्द कुली  ने प्लेग मुक्त  हैदराबाद होने पर शहर के बीचो बीच में चार मीनारों  वाला भव्य बिल्डींग पारसी ,इस्लामिक और हिन्दू शैली में बनवाया। जो की चारमीनार के नाम पर जाना जाता है,और हैदराबाद का शान है। टूरिस्ट इसे देखने जरूर आते है।  चार मीनार के चारो तरफ लाढ बाजार है जोकि नग वाली  चूड़ियों के लिये प्रसिद्ध है।
2 . गोलकुंडा फोर्ट - शहर के किनारे पहाड़ के ऊपर 1143 ई में राजा रूद्र देव प्रताप ने एक गड़ेरिया के कहने पर यहाँ किला बनवाया। गोळा का अर्थ गड़ेरिया और कोंडा का अर्थ पहाड़ ,इसलिए इस किला का नाम गोलकुंडा फोर्ट रखा गया।किला 11 स्क्वैयर किलोमीटर में फैला हुआ है।
  कुतुबशाही वंश के राजाओं नेअलग -अलग काल में यहाँ राज किया गोलकुण्डा फोर्ट का पुर्न निर्माण करवाया। 16 वीं शताब्दी में औरंगजेब  के शासनकाल में उनके हाथ लगा फिर 17 शताब्दी से 1947 तक निजाम के वंशजो ने हैदराबाद में राज किया। अब तो गोलकुंडा फोर्ट खँडहर के रूप में है और टूरिस्ट आते है देखते है शाम को लाईट और म्यूसिक के द्वारा हैदराबाद का इतिहास बताया जाता है जिसे देखने टूरिस्ट आते है।
3 -सालारजंग संग्राहलय -सालारजंग संग्राहलय निजाम के सात पुश्तों के वस्तुओं का संग्राहलय है। निजाम के एक से बढ़ कर एक सामानो का कलेक्सन यहाँ देख सकते है। यहाँ का बेहतरीन सामानो में एक संगमर्मर का पर्दानशीन महिला का पुतला देखते ही बनता है।
4 हुसैन सागर झील -मानव निर्मित झील शहर के बीच में है जो की हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वाँ शहर को विभाजित करती है। झील के बीचों बिच 18 फीट ऊंची बुद्ध प्रतिमा जिब्रालटर पत्थर के ऊपर स्थापित है। दूर से ही प्रतिमा दिखता है।झील हैदराबाद का शान है।
5 लुम्बिनी पार्क  -हुसैन सागर झील के किनारे लुम्बिनी पार्क है।लुम्बिनी पार्क से बोट द्वारा झील की सैर भी कर सकते है और फिर बोट से उतर कर बुद्ध प्रतीमा को अच्छी तरह से देख कर घूम कर वापस लुम्बिनी पार्क आना पड़ता है। लुम्बिनी पार्क में शाम को म्यूसिकल फाउंटेन और लेज़र शो भी होता है।
6 बिड़ला  मंदिर -बिड़ला मंदिर 2000 टन सफ़ेद संगमर्मर का ऊँचे पहाड़ पर स्थितःहिन्दू मंदिर है। काफी ऊंचाई में होने के कारण मंदिर से पूरा शहर और शहर से मंदिर दिखते रहता है। भगवान तिरुपति जी का मंदिर है। तिरुपति जैसा लाईन भी नहीं लगाना पड़ता है और दर्शन भी अच्छी तरह हो जाता है।
7 एकया स्टोर -नव निर्मित स्वीडिश होम  फर्नीचर स्टोर है। 13 एकड़ में 4 लाख स्क्वेर फ़ीट पर करीब 7500 आईटम स्टोर में एकसाथ देख सकते है। 2 -3 घंटा स्टोर घूमने में कैसे बीत गया पता ही नहीं चला।
8 . रामोजी फिल्म सिटी -जहाँ हैदराबाद पुराना शहर होने के कारण एक से एक पुराना ऐतिहासीक स्मारक देखने मिला। वहीं रामोजी जैसा एकदम अल्ट्रा मॉडर्न अम्यूसमेंट पार्क भी देखने मिला।
9 पैराडाइस रेस्टोरेंट -हैदराबादी दम बिरयानी केलिये फेमस पैराडाइस रेस्टुरेंट है  ,जो भी टूरिस्ट यहाँ आता है एकबार बिरयानी का लुफ्त जरूर उठाता है।
 तीन -चार दिन हैदराबाद खूब घूमे करीब -करीब देखने योग्य सब जगह घूम कर वापस आगये।











           

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

RAMOJI FILM CITY

                         हैदराबाद की सैर

             हर बार रायपुर से कुन्नूर आते जाते हैदराबाद हो कर आना जाना पड़ता है। एयरपोर्ट से फ्लाईट चेंज किये और आगे बढ़ गए ,पर सिटी जाना ही नहीं हो पाता था। 15 -20 साल पहले एक बार आये जरूर थे ,पर ज्यादा कुछ घूमे नहीं थे। इस बार आखिर मौका मिल ही गया ,3 -४ दिन खूब घूमे। इस बार श्री शैलम  और रामोजी फिल्म सिटी घूमने का सोच कर रखे थे।
         हैदराबाद एयरपोर्ट से सीधे श्री शैलम ही गए वहाँ  अच्छे से घूमे दर्शन किये ,फिर रात्री विश्राम के बाद वहाँ से सुबह 5 बजे चल कर रामोजी सुबह 10 बजे पहुँचे।
 
                                      रामोजी फिल्म सिटी

               हैदराबाद में 1666 एकड़ में रामोजी फिल्म सिटी फैला हुआ है। दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टुडिओ काम्प्लेक्स होने के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसका नाम दर्ज है। तेलगु फिल्म प्रोडूसर रामोजी राव ने 1996 में इस फिल्म सिटी का निर्माण करवाया था। नेचुरल और आर्टीफीसीएल अट्रैक्शन वाला ये अम्यूसमेंट पार्क है। करीब एक मिलीयन टूरिस्ट साल भर यहाँ आते है।
       रामोजी फिल्म सिटी इतना बड़ा है की एक साथ बहुत सारा फिल्म का अलग -अलग लोकेशन में शूटिंग होते रहता है। पुरे कैम्पस में एक तरफ जहाँ जंगल ,पहाड़,पुराना पेड़ -पौधा ज्यों का त्यों है। वहीं शुटींग के लायक एकदम मॉर्डन वेलमेंटेन मुग़ल गार्डन ,जापानी गार्डन ,बोन्साई गार्डन ,गुफा ,झरना इत्यादी है। साथ ही बहुत ही सूंदर रंग बिरंगी देशी -विदेशी  चिड़ियों का पार्क ,तितलीयों का पार्क भी है।
   कैंपस में एक से बढ़कर एक सेट बना हुआ है। ताजमहल ,गेटवे ऑफ़ इंडिया ,बुलंद दरवाजा ,टेम्पल चर्च ,एयरपोर्ट ,हॉस्पिटल ,थाना ,जेल, रेलवे स्टेशन ,ट्रेन ,महाभारत का सेट ,बाहुबली का सेट इत्यादी। जरा भी नकली नहीं लगेगा।यहाँ तक की चांदनी चौक हो या सब्जी मार्किट हो या बंगाली मार्केट जैसा सीन वैसा शूट करलो।  विदेशी सेट भी एक से बढ़कर एक था। लगेगा की लंदन घूम रहे है की न्यूयार्क ऐसा ऐसा सेट बना था।
       फिल्म सिटी घूमने का इंतजाम भी बहुत ही अच्छा था। सुबह 11 से शाम 5 बजे घूमने का टाईम है। एक बार टिकट ले लो तो फिर उनका बस ही अंदर लेजाता है। जगह -जगह पाईंट बना है वहाँ उतरना पड़ता है ,वहाँ घूमो -देखो फिर उनका बस दूसरा पाईंट ले जाता है,सैकड़ो बस इसी काम में लगा हुआ है।जगह -जगह शो भी चलते रहता है। घूमने देखने के अलावा बच्चों का मनोरंजन का भी बहुत सारा गेम भी कैम्पस में है।सब जगह घुमा कर बस  वापस 5 बजे गेट में छोड़ देता है। वैसे जिसे वहाँ रात रुकना हो तो होटल्स भी है लेकिन थोड़ा महँगा है।
        आज से करीब 25 -30 साल पहले अमेरिका का हॉलीवुड यूनीवर्सल स्टुडिओ  देखे थे और देख कर बहुत ही आश्चर्ज हुआ था की ऐसा भी होता है। पर रामोजी देख कर बहुत ही प्रसन्ता हुआ की ये तो अमेरिका से भी बड़ा अच्छा सुन्दर अपने देश में बन गया। पहले टिकट जरा महंगा लगा पर पूरा पार्क घूमने के बाद लगा की फिल्म सिटी घूमना वर्थ था।  किसी को पार्टी फंक्सन करना हो तो उसका भी इंतजाम है। पहले से ग्राउंड बुक करवाना पड़ता है।हैदराबाद आने पर एक बार रामोजी फिल्म सिटी जरूर देखने लायक है।