कुन्नूर डायरी
देखते ही देखते कुन्नूर में 4 -महीना हो गया ,पता ही नहीं चला। अब वापस जाने की घड़ी आगई है। अब आयें हैं तो जाना तो पड़ेगा ही। कुन्नूर से कितनी ही खट्टी -मीठी यादें लेकर जा रहें हैं।
बच्चों के साथ विंटेज कार रैली देखने मिला। राहुल का क्लब और स्कूल का पियानो का प्रोग्राम देखना हुआ। हम सब ने मिलकर राखी ,जन्माष्टमी ,गणेश पूजा और बर्थडे अच्छी तरह मनायें। सोचें थे नवरात्री तक रुक कर आयुत पूजा,डांडिया और अर्वन्कादु का दुर्गापूजा मना कर दुर्गा पूजा का खीचड़ी का भोग खाकर वापस रायपुर जायेंगे। पर अब वापस जाना हो रहा है।
कुन्नूर में हमारे पड़ोस में एक बुजुर्ग फादर रहते हैं ,उनके पास एक बिल्ली का जोड़ा है। बिल्ली को बच्चा होने वाला था। रोज सुबह जैसे ही हमारा आंगन का दरवाजा खुलता बिल्ली बैठी मिलती। जब तक उसे दूध ब्रेड नहीं देते तबतक नहीं हटती। खाकर पैर में लोटपोट करती फिर आराम से सोती। हम सबों को बच्चे का इंतजार था ,आखिर वह घड़ी आही गई। बिल्ली को बच्चा हो गया।
कुन्नूर में इस बार बंदरों का भी उत्पात देखने मिला।इस साल पता नहीं कहाँ से बहुत ज्यादा ही बंदरो का झूण्ड आगया है। कभी टंकी का डक्कन खोल कर भाग जाता है ,कभी नल खोल देता है। मलाबार गिलहरी भी देखने मिला जो की आम गिलहरी से बहुत बड़ी बंदरो जैसी होती है ,पर वह परेशान नहीं करती है। अपने परिवार के साथ बड़े -बड़े पेड़ों में कुदती -फांदती रहती है। बड़ा मजा आता है। तरह -तरह की सुंदर -सुंदर रंग बिरंगी बर्ड भी दिखती है। जंगली फल फूल खाती रहती है।
रोहन के साथ बागबानी का भी मजा लियें।कोचीन भी गये अपनी बचपन की फेब्रेट नाएर ऑंटी से भी मिले। वह भी बहुत खुस हुई। इंडिया का सब से बड़ा लूलू मॉल देखें। हमलोग ऊंटी भी बच्चों के साथ घूमें वहां बोटिंग कियें ,टॉय ट्रेन में घूमें खूब मजा कियें। अब तो बस जाने की तैयारी शुरु हो गया है ,अब अगले साल फिर आना होगा।
BYE BYE GOOD BYE COONOOR
FLY RAIPUR
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