शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

#PATHARCHATTA#KALANCHOE PINNATA

                           पत्थरचट्टा 

       पत्थरचट्टा का पौधा  पाषाणभेद ,अजूबा पत्ती ,खटुआ इत्यादी नमो से जाना जाता है।ये सदाबहार पौधा है जो की पूरे भारत में पाया जाता है। वैसे मेडागास्कर और ट्रॉपिकल अफ्रीका इसका मूल स्थान है। पौधा 3-4 फ़ीट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियां बड़ी -बड़ी अंडाकार आकर की लटकी हुई कान जैसी होती है। पौधा के अग्र भाग में लम्बी डंडी निकलती है और उसमे गुच्छे में अंगूर जैसा फूल उल्टा लटकता है।शुरू में कच्चे अंगूर जैसा छोटा और हरा फूल  होता है। बाद में जब पूर्ण विकसीत हो जाता है तो गुलाबी पके अंगूर जैसा दिखता है। एक बार जब पूरा गुच्छा  खिल जाता है तो महीनो फूल खिला रहता है।साल में एक बार ठण्ड के महीने में फूल खिलता है पर पूरा महीना फूल खिला ही रहता है। पौधा भी साल भर एकदम हरा भरा रहता है। 

   इसकी पत्ती की खासियत ये है की कहीं भी मट्टी में टूट कर गिर जाये वहीं फिर से एक नया पौधा तैयार हो जाता है। आर्युवेद में इसका बहुत महत्त्व है।किडनी स्टोन होने पर इसकी पत्तियों से इलाज किया जाता है। इसलिए इसका नाम पत्थरचट्टा है,किड़नी का स्टोन को चट कर जाता है।  पत्तियां थोड़ी नमकीन और खट्टी होने के कारन खटुआ बोला जाता है। इसकी पत्तियों के किनारे से नया पौधा भी निकलते रहता है इसलिए इस पौधे को अजूबा पत्ती भी बोला जाता है।  









 

  

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

#COSMOS FLOWER

                      कॉस्मोस  का फूल            ब्रह्माण्ड का फूल 

                 कॉस्मोस का फूल छोटा पीला ,ऑरेंज रंग का सूरजमुखी परिवार का एक सजावटी फूल है. कॉस्मोस  मूलता नार्थ अमेरिका का पौधा है। ऐसे मैक्सिकन एस्टर के नाम से भी जाना जाता है। कॉस्मोस  नाम होने के कारन इसे ब्रह्माण्ड का फूल भी बोला जाता है। इसका पौधा 1 फ़ीट से लेकर 3  फ़ीट तक हाइट का होता है। साल में दो बार बीज से पौधा तैयार करके लगा सकते है। फूल चटकीला और आकर्षक होता है। कई रंगो में पाया जाता है। हमारे गार्डन में तो पीला कॉस्मोस फूल का बहार है।  







 


                                   

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

#KALANCHOE#FLAMING KATY

                                           कलान्चो 

                               कलान्चो सुकुलेंट वैराइटी का चमकदार हरे पत्ती वाला पौधा है।इसके पौधे में  लाल ,पीला ,गुलाबी आदि रंग वाले फूल खिलते है। दिवाली से होली तक इसमें फूल आते है। पौधा बहुत ही छोटा होता है परन्तु पौधे के फुनगी में गुच्छे में फूल होता है हर गुच्छे में छोटे -छोटे 25 -50 तक फूल होता है।कलान्चो ओरीजन मेडागास्कर का पौधा है ,1927 में मेडागास्कर से पेरिस होते हुए 1932 में सारे संसार में फैला है।कलान्चो चीनी नाम है पर कब और कैसे ये नाम प्रचलन में आया ये आज तक पता नहीं चला। कलान्चो को लगाना और इसकी देख भाल करना भी बहुत ही आसान है।पौधे में  होली तक फूल होकर फूल सुख जाता है फिर ऊपर से कटींग कर देना चाहिए। बरसात में इसका कटिंग करके फिर से लगा देने से दिवाली  तक फिर पौधा फूल देने के लिये तैयार हो जाता है। पौधे को जमीन या गमले दोनों में लगा सकते है। धूप भरपूर मिलने पर फूल भी ज्यादा होता है। मेरे गार्डन में लाल कलान्चो का बहार है।