बुधवार, 30 नवंबर 2022
#SANT#DARSHAN#MUSEUM#HADSI
मंगलवार, 29 नवंबर 2022
#PAWANA#DAM#LONAVALA
पावना डैम
पुणे जिले में लोनावाला से 25 किलोमीटर की दूरी पर पावना नदी पर पावना बांध है।पिम्परी चिंचवाड़ म्युनिस्पल के अंडर में डैम की देख भाल होती है। यहाँ रात रुकने के लिये बहुत सारे रिसोर्ट ,होटल आदि है। मुम्बई और पुणे से लोग बाग यहाँ पिकनिक मनाने आते रहते है। यहाँ डैम में बोटिंग कर सकते है। यहाँ कैंपिंग ,पैराग्लाडिंग ,ट्रैकिंग आदि भी कर सकते है। आसपास पुराना किला वगैरा भी है।
नासिक से पुणे रोड से जाने पर ज्योतिर्लिंग ,अजंता ,एल्लोरा ,साईं मंदिर ,अष्ठविनायक आदि तो देखना होता ही है। इसके अलावा रास्ते में बहुत नया जगह भी देखने मिल जाता है। हमलोग को रास्ते में रात को पावना डैम में रुकना पड़ा। जंगल और पहाड़ के बीच में डैम के चारो तरफ का नजारा बड़ा ही सुन्दर था। हमलोग रात यहाँ रुके सुबह बोटिंग किये। डैम के चारो तरफ चिड़ियाँ ,जल पक्छी आदि को घूमते देखना बड़ा ही अच्छा लगा।
सोमवार, 28 नवंबर 2022
#ASHTVINAYAKA#TEMPLE
अष्टविनायक मंदिर
अष्टविनायक आठ अति प्राचीन भगवान गणेश के मंदिर आठ शक्तीपीठ कहलाती है। जो की स्वंभू है मानव निर्मित नहीं हे।पूना के पास 20 से 110 किलोमीटर की दूरी में है। आठो को देखने में 2 दिन का समय लग जाता है। पुराणों में इसका वर्णन किया गया है।
1 मोरेश्वर मंदिर -पुणे से 80 किलोमीटर की दूरी में मोरेगावं में है। मंदिर के चारों ओर चार मीनार और चार दीवार है जिसे सतयुग ,त्रेता ,द्वापर और कलीयुग के प्रतीक माना जाता है। यहाँ गणेश जी मोर में बैठ कर राक्छस का वध किये थे इसलिए मोरेश्वर नाम पड़ा। यहाँ भगवान शिव और नंदी विश्राम किये थे तब से नंदी भी विराजमान है और गणेश जी का मूषक। .गणेश जी का सूंड बाएं हाँथ की ओर है।
2 सिद्धिविनायक मंदिर -पुणे से करीब 200 किलोमीटर की दूरी में भीम नदी के पास सिद्धी टेक गावं में है। यहाँ भगवन विष्णु ने सिद्धीयां हासिल की थी यहाँ मूर्ति 3 फ़ीट की है और सूंड सीधे हाँथ की तरफ है।
3 बल्लालेश्वर मंदिर -मुम्बई पुणे हाईवे पर पाली से टोयन में 11 किलोमीटर की दूरी में है। बल्लाल नमक गणेश भक्त बालक को गणेश जी ने दर्शन दिया था उन्ही के नाम पर मंदिर का नाम पड़ा।
4 वरदविनायक -यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड में है। भक्तो की सभी मनोकामना यहाँ पूर्ण होती है। इस मंदिर में नंददीप नाम का एक दीपक कई वर्षो से प्रज्जल्वित है।
5 चिंतामणि मंदिर -तीन नदी भीम ,मुला और मुथा के संगम में थेऊर गावं में है। यहाँ भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को वश में करने के लिये तपस्या किया था।
6 गिरीजात्मजा - नासिक पुणे रोड में पुणे से 90 किलोमीटर की दूरी में लेणीयाद्री पहाड़ में 18 बौद्ध गुफा है जिसमे 8 वी गुफा में गिरजा का पुत्र गणेश जी वीराज मान है।मंदिर तक जाने के लिये 300 सीढ़ी चढ़ना होता है।
7 विघ्नेश्वर मंदिर -पुणे के ओझर जिले के जुनूर छेत्र में ये मंदिर है। विघ्नासुर का यहीं वध गणेश जी ने किया था। तभी से मंदिर को विघ्नहार के रूप में जाना जाता है।
8 महागणपति मंदिर -ये मंदिर राजनंगावं में है। 9 वीं -10 वीं सदी का माना जाता है। विदेशी आक्रमणकारी से रक्षा करने के लिये मूल मूर्ति को तहखाने में छिपा दिया गया था। मंदिर बहुत ही विशाल है। मूर्ति की सजावट भी बहुत ही सुन्दर है। जैसा नाम वैसा ही भव्य मंदिर।
आठों मंदिर में एक नया चीज देखने मिला की जैसे शिव मंदिर में दरवाजे में नंदी होते है वैसे ही गणेश मंदिर में दरवाजे में गणेश का वाहन मूषक और कछुआ जरूर बना था।
रविवार, 27 नवंबर 2022
#AJANTA AND #ELLORA #CAVES
अजंता और एलोरा की गुफाएं
अजंता और एलोरा दोनों 100 किलोमीटर की दूरी पर है। फिर भी दोनों को एक साथ नाम लिया जाता है।1983 में दोनों को यूनेस्को ने विश्व हेरीटेज का दर्जा दिया है।
अजंता- अजंता महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में बाघेर नदी के तट पर है.अजंता में 30 गुफाएं का समूह है जोकि घोड़े के नाल के आकार में है।सभी गुफा बौद्ध मठ है। जहाँ भगवान बुद्ध की जीवनी चित्रित किया गया है। हर गुफा में हॉल है जो की सत्संग-प्रवचन के काम आता था और साथ ही छोटे छोटे प्रकोष्ट ध्यान करने के लिये बना हुआ है। रंगीन चित्रकारी भी दीवालों में देखने मिलता है।
एलोरा - एलोरा औरंगाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ 34 गुफाएं है। इसमें हिन्दू ,जैन और बुद्ध तीनो धर्मों के गुफा है। ये गुफाएं 5 वीं से लेकर 10 वीं शताब्दी तक एक ही परिवार के वंशजों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं को बेसाल्ट की खड़ी चटानों को ऊपर से नीचे काटते हुए तराश कर बनाया गया है। एलोरा के प्रांगण में कैलाश मंदिर स्थितः है। जिसमे खुब बड़ा सा शिवलींग है।इसके अलावा चारो तरफ महाभारत , रामायण ,विष्णु पुराण, शिवपुराण आदि सब की कहानियां बहुत ही अच्छे से उकेरा हुआ है।
अजंता -एलोरा जाने से गाईड जरूर करना चाहिए तभी सारा धार्मिक चित्र का वर्णन अच्छे से समझ आएगा। सत्तर प्लस वालों को थोड़ा मुश्किल होगा बहुत ही चढ़ाव और उतराव सीढ़ियां वगैर के कारन कठिन है पर बहुत ही इंट्रेस्टींग भी है। ऐसे ही वर्ल्ड फेमस नहीं हुआ है।
शुक्रवार, 25 नवंबर 2022
#BHIMASHANKAR#JYOTIRLING
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
पुणे से 115 किलोमीटर की दूरी में सह्याद्री पर्वत में घने जंगल के बीच भीमा नदी के किनारे भोरगीरी गावं में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है। शिवजी ने भीमा नामक राक्छस\का यहीं वध किया था इसलिए इस ज्योतिर्लींग का नाम भीमा शंकर पड़ा। छत्रपती शिवाजी महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था। 250 सीढ़ी उतरने पर ही मंदिर देख सकते है। वहां पैदल भी जा सकते है ,डोली पालकी से भी जा सकते है और वहां के लाइसेंस वाला गाड़ी से घने जंगल से घुमावदार रास्ते से हो कर जाना पड़ता हे।अपना कार नहीं जा सकता है।हमलोग वहां का गाड़ी करलीये जिससे आराम से मंदिर तक जा पाये। इस मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा में स्पेशल पूजा ,अर्चना और आतिशबाजी होता है। मंदिर में बहुत सुन्दर रांगोली से सजाया गया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पालकी में भगवान को मंदिर का प्रदिक्षणा करवाया जाता है.. हमलोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गए थे हमलोग को सब प्रोग्राम अच्छी तरह देखने मिल गया। ।
#GRISHNESHWAR#JYOTIRLINGA
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
औरंगाबाद के समीप दौलताबाद से 11 किलोमीटर की दूरी में 12 वां ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर है। रानी अहिल्या बाई होल्कर ने 18 वीं शताबदी में मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था। घुष्मा नमक शिव भक्त महिला के नाम पर ज्योतिर्लिंग का नाम घृष्णेश्वर पड़ा। मंदिर बहुत ही भव्य और सुन्दर है। यहाँ पर कार्तिक प्रदोष के दिन विशेष पूजा अर्चना होता है।हमलोग भी प्रदोष के दिन ही यहाँ दर्शन किये।इस मंदिर में भी केरल के मंदिर जैसा पुरुषों को कमीज ,बनियान ,बेल्ट वगैरा उतार कर ही मंदिर के अंदर दर्शन करने जाना होता है। मंदिर का प्रांगण काफी बड़ा है जहाँ बैठने पर मंदिर की भव्यता दीखती है।
गुरुवार, 24 नवंबर 2022
#SHRI#TRIMBAKESHWAR#JYOTIRLINGA
श्री त्रम्ब्केश्वर ज्योतिर्लिंग
नासिक से 30 किलोमीटर की दूरी में ब्रह्मगिरी पर्वत में गोदावरी नदी के किनारे त्रम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है। नाना साहेब पेशवा ने 1755 AD में छोटे से मंदिर को बड़ा और भब्य रूप दिया। मान्यता है की गौतम मुनि के तपस्या के कारण शिव लिंग प्रगट हुआ। मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन लिंग है जिसे ब्रह्मा ,विष्णु और रूद्र माना जाता है। तीनो देव के प्रतीक होने के कारन त्री (तीन ) से त्रम्बकेश्वर नाम पड़ा। हर सोमवार को सुबह पालकी निकाली जाती है। चारो तरफ पहाड़ के बीच में मंदिर होने से मंदिर का भव्यता देखते ही बनता है।
बुधवार, 23 नवंबर 2022
#PANCHVATI#NASHIK
पंचवटी नाशिक
पंचवटी महाराष्ट्र के नाशिक शहर में एक पवित्र तीर्थ स्थल है।
1 - गोदावरी किनारे राम कुंड है जो की रामायण काल से जुड़ा है। राम जी अपने वनवास काल में यहाँ स्नान और अपने पिता का तर्पण किये थे।रामकुंड में ही हर 12 साल में कुम्भ मेला भी लगता है। रामकुंड के सामने कपालेश्वर शिव मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग है पर नंदी नहीं है। पंचवटी एक दम बनारस की गलियों जैसा है। यहाँ बहुत से मंदिर है।
2 -सीता गुफा -माना जाता है की सूर्पनखा के नाक कटने के बाद राक्छसों से सीता को बचाने के लिये राम जी ने रातो रात एक गुफा का निर्माण किया था। जो की काफी सकरा सीढ़ी नुमा है जिसमे सीता जी को छुपाया था। गुफा के चारो तरफ 5 वट का पेड़ है इसलिए इस जगह का नाम पंचवटी पड़ा। गुफा के अंदर झुक कर बैठ कर खसकते हुए जाना पड़ता है। अंदर राम सीता की मूर्ती है , और अंदर एक शिवलींग भी है।गुफा के अंदर जाना भी बहुत ही रोमांचक टूर जैसा है। गुफा में सीता जी बहुत दिन तपस्या और आराधना करी थी इसलिए इस जगह में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
3 -काला राम मंदिर ,गोरा राम मंदिर -मान्यता है की रामकुंड से मुर्तीया मिली थी जिसे पंचवटी में मंदिर बना कर स्थापित किया गया। मंदिर बहुत ही भव्य और प्रांगण भी काफी बड़ा है और भगवान काले रंग के पत्थर का है। मंदिर के प्रांगण में पांच पौधा वट ,पीपल ,आंवला ,वेल और आम का लगा हुआ है।