बुधवार, 13 नवंबर 2019

CHILDREN'S DAY

                       बाल दिवस

              बाल दिवस 1925 से मनाया जाने लगा था।पर  UNA ने 20 नवम्बर 1954 को बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी।  पुरे विश्व में अलग -अलग दिन को बाल दिवस अलग तरीके से मनाया जाता है। हमारे देश में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के 27 मई 1964 को निधन के बाद उनके  जन्म दिवस 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाने लगा।  । नेहरू जी को बच्चों से बहुत प्यार था ,उन्हें चाचा नेहरू बोला जाता है।इसलिए उनकी  जयंती पर बाल दिवस मनाया जाने लगा।
    कई स्कूलों में बाल दिवस में बाल मेला एवं प्रतियोगीता भी आयोजित किया जाता है। आज के बच्चे कल के भविष्य है ,इसलिए उनके शारीरिक और सेहत का ख्याल रखना ,पोषण और संस्कार का ध्यान रखना इत्यादी पर रंगा रंग कार्यक्रम भी होता है। बच्चों को चॉकलेट और मिठाईयां भी बांटी जाती है।

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

BLOGSPOT.COM

                                ब्लॉग्स्पॉट.कॉम
                                       चिट्ठा जगत .इन

     ब्लॉग स्पॉट का आरम्भ 23 अगस्त 1999 में एक होस्टींग टूल के रूप में पायरा लैब्स ने की थी। सन 2003 में इसे गूगल ने खरीद लिया था ,और तब से यह इंटरनेट पर सबसे प्रसिद्ध शुल्क रहित होस्टींग वेब साइट बनी हुई है। ब्लॉग स्पॉट एक चिट्ठा होस्टींग सेवा है जो की गूगल ब्लॉगर प्रोग्राम के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है जिसके द्वारा ब्लॉगर्स  अपने ब्लॉग बनाते है। एक ब्लॉग किसी भी कार्य के लिये प्रयोग किया जा सकता है,चाहे वह निजी जीवन के रूप में हो या व्यापारिक कार्य के लिये या सामान्य रूप में अपने विचार को दूसरों तक पहुँचाने के लिये
ब्लॉगिंग का उपयोग किया जाता है, और वो भी अन्लीमेटेड।
      ब्लॉग पचासों भाषाओं में लिख सकते है। आलोक कुमार हिन्दी भाषा के प्रथम ब्लॉगर माने जाते है। उन्होंने ने 2007 में हिन्दी ब्लॉग लिखने का आरम्भ किया।
    हर साल ब्लॉगोत्सव मनाया जाता है और उसमे अच्छे 51 ब्लॉगर को सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया जाता है।मेरा अभी 450 ब्लॉग हो गया है। बच्चों ने मुझे ब्लॉग लिखने के काबिल बनाया है।



                            

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

NILGIRI MOUNTAION RAILWAY

                         नीलगिरि पर्वत मे रेल का सफर

       दक्षीण भारत का टूरिस्ट स्पॉट ऊंटी तमिलनाडु का हिल स्टेशन नीलगिरी पर्वत श्रंखला में है।ऊंटी घूमने के वैसे तो कई तरीके है। लेकिन टॉय ट्रेन में बैठने का कुछ अलग ही आनंद है। दुनिया का सबसे पुराना भाप इंजन कोयला वाला ट्रेन यहाँ चलता है। 1908 में अंग्रेजों के काल का ट्रेन है।इस ट्रेन के ट्रैक में पुल ,सुरंग है ,वो भी सब अंग्रेजों के ज़माने का है।
    वैसे तो ट्रेन मेट्टूपालयम से सुबह 7 बजे चल कर कुन्नूर होते हुए ऊंटी दोपहर को पहुँचती है। ऊंटी से दोपहर 2 बजे चलकर कुन्नूर होते हुए शाम 5 बजे वापस मेट्टुपालयम पहुँच जाती है। ऊंटी घूमने वाले टूरिस्ट ऊंटी से कुन्नूर या कुन्नूर से ऊंटी इस टॉय ट्रेन मे सफर जरूर करते है। टूरिस्ट या तो फर्स्ट क्लास या सेकंड क्लास में सफर करते है और लोकल रोज आने जाने वाले पब्लिक जनरल बोगी से आना जाना करते है जिसका किराया भी बहुत कम है।
    कुन्नूर से ऊंटी जाने पर चारों तरफ घने जंगल ,पहाड़ ,चाय बागान ऊँचे -ऊँचे विशाल युकलिप्टुस का पेड़,झरना ,गुफा का नजारा देखते ही बनता है।कुन्नूर से ऊंटी जाने पर  7 स्टेशन से होकर ट्रेन गुजरती है।कुन्नूर ,वेलिंगटन ,अरुवांकडू ,केट्टी ,लवडेल ,फर्न हिल ,ऊंटी। वेलिंगटन में फौजी छानवी और 8 मार्केट है ,अरुवांकडू में कोडनेट फ़ैक्टरी है ,लवडेल में प्रसिद्ध लॉरेंस स्कूल है। ट्रेन मे बैठे -बैठे नजारा देखते हुए जाना टूरिस्टों को बहुत अच्छा लगता है। शहर के दौड़ भाग के जिन्दगी से कुछ पल शुकुन भरा होता है।
   इस ट्रेन का नाम यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज में दर्ज है।कुन्नूर ऊंटी के रास्ते में इस ट्रेन में बहुत सारा फिल्म का शूटिंग भी हमेशा होते रहता है। एक तो शांत एकांत वातावरण ,दूसरा कोई डिस्टर्ब भी नहीं करता और सीन सीनरी तो है ही कुन्नूर कोई गेस्ट आता है तो उनको घुमाने के बहाने खुद भी घूमना हो जाता है। टॉय ट्रेन का मजा मिल जाता है।वैसे कुन्नूर स्टेशन मे ब्रेकफास्ट भी बहुत ही बढ़िया मिलता है ,खुद भी खाओ और गेस्ट को भी खिलाओ मजा आजाता है।