ओस्लो में सेव का बाग
बर्गेन से दोपहर को ओस्लो पहुँच गये। अभी तक नॉर्वे के अलग -अलग कोस्टल एरिया में घूम रहे थे। अब जाकर नॉर्वे की राजधानी ओस्लो पहुंचे। अब देश का राजधानी है तो खूब बड़ा सूंदर तो होगा ही। स्टेशन में हमारा रिश्ते का पोता लेने आया। वह ओस्लो में साईंटिस्ट है। अभी तक तो टूरिस्ट बस में ही हर शहर एक टूरिस्ट की तरह ही घूम रहे थे ,पर अब लोकल परिचीत के साथ दूसरे तरह से घूमना था।
हमारा पोता बोला दादी चलो सेव का बाग घुमाता हूँ। अब होगा कोई सेव का गार्डन चलो घूम आयें। बाग देख कर दिल बाग -बाग हो गया।चारों ओर सैकड़ों सेव का पेड़ वो भी एकदम खुले में ,फल से लदा कोई तोड़ने वाला नहीं जीतना पेड़ में उससे ज्यादा जमीन में गिरा पड़ा था। देख कर ही मजा आगया। कोई भी आओ तोड़ो खाओ कोई भी रोकने वाला नहीं। हमलोग भी तोड़ -तोड़ कर खूब खाये। शाम होने के कारण हमलोग वापस घर आगये।
दूसरे दिन सुबह फिर बोला चलो एक और बाग चलते है। सब उसके घर के आसपास ही था पैदल जाने लायक। हमलोग दूसरा बाग गए ,बाग देखते ही रह गए। इतना बड़ा एक से बढ़ कर एक वैराइटी का सेव अलग -अलग रंग ,आकर -प्रकार का ,गुलाबी ,लाल ,हरा ,सब खूब रसीला और मीठा। सेव ,नाशपाती ,आलूबुखारा सब का सब मीठा। जीतना बढ़ते जाते उतना ही मजा आरहा था कितना तो तोड़ -तोड़ कर खाये ,फोटो खींचे पर मन ही नहीं भर रहा था। इसे ही बोला जाता है दिल बाग -बाग होना । बहुत मजा आया कभी ऐसा खुला बाग -बगीचा देखे नहीं थे।कोई भी आओ तोड़ो खाओ जाओ पर तोड़ कर बाजार में बेंच नहीं सकते भले जमीन में गिर जाये कोई बात नहीं।
सरकार स्ट्रांग हो ,पॉपुलेशन कम और लोग सुशिक्छित हो तब ही ऐसा हो सकता है। जो हो सेव का बाग का मजा जम के लिये।
बर्गेन से दोपहर को ओस्लो पहुँच गये। अभी तक नॉर्वे के अलग -अलग कोस्टल एरिया में घूम रहे थे। अब जाकर नॉर्वे की राजधानी ओस्लो पहुंचे। अब देश का राजधानी है तो खूब बड़ा सूंदर तो होगा ही। स्टेशन में हमारा रिश्ते का पोता लेने आया। वह ओस्लो में साईंटिस्ट है। अभी तक तो टूरिस्ट बस में ही हर शहर एक टूरिस्ट की तरह ही घूम रहे थे ,पर अब लोकल परिचीत के साथ दूसरे तरह से घूमना था।
हमारा पोता बोला दादी चलो सेव का बाग घुमाता हूँ। अब होगा कोई सेव का गार्डन चलो घूम आयें। बाग देख कर दिल बाग -बाग हो गया।चारों ओर सैकड़ों सेव का पेड़ वो भी एकदम खुले में ,फल से लदा कोई तोड़ने वाला नहीं जीतना पेड़ में उससे ज्यादा जमीन में गिरा पड़ा था। देख कर ही मजा आगया। कोई भी आओ तोड़ो खाओ कोई भी रोकने वाला नहीं। हमलोग भी तोड़ -तोड़ कर खूब खाये। शाम होने के कारण हमलोग वापस घर आगये।
दूसरे दिन सुबह फिर बोला चलो एक और बाग चलते है। सब उसके घर के आसपास ही था पैदल जाने लायक। हमलोग दूसरा बाग गए ,बाग देखते ही रह गए। इतना बड़ा एक से बढ़ कर एक वैराइटी का सेव अलग -अलग रंग ,आकर -प्रकार का ,गुलाबी ,लाल ,हरा ,सब खूब रसीला और मीठा। सेव ,नाशपाती ,आलूबुखारा सब का सब मीठा। जीतना बढ़ते जाते उतना ही मजा आरहा था कितना तो तोड़ -तोड़ कर खाये ,फोटो खींचे पर मन ही नहीं भर रहा था। इसे ही बोला जाता है दिल बाग -बाग होना । बहुत मजा आया कभी ऐसा खुला बाग -बगीचा देखे नहीं थे।कोई भी आओ तोड़ो खाओ जाओ पर तोड़ कर बाजार में बेंच नहीं सकते भले जमीन में गिर जाये कोई बात नहीं।
सरकार स्ट्रांग हो ,पॉपुलेशन कम और लोग सुशिक्छित हो तब ही ऐसा हो सकता है। जो हो सेव का बाग का मजा जम के लिये।
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