गुरुवार, 23 नवंबर 2017

SHRI RAM MANDIR RAIPUR

                                                     श्री राम मंदिर

            रायपुर में मंदिरों की कमी नहीं है। बहुत ही पुराना शहर होने के कारन जहाँ सैकड़ों साल पुराना दूधाधारी मंदिर है ,वहीं छत्तीसगढ़ राजधानी बनने के बाद बहुत सारा भव्य मंदिर भी रायपुर में बन रहा है। इन्हीं में एक राम मंदिर भी है जिसे बने एक साल हो गया है।
       अब अयोध्या में जब बनेगा तब बने रायपुर में तो बहुत ही विशाल ,भव्य ,खूबसूरत सूंदर सा राम मंदिर बन गया है। अधिकतर राम मंदिर में राम ,सीता और लक्ष्मण का खड़ा ही मूर्ती देखने मिला पर इस मंदिर में राम -सीता की जोड़ी बैठी मुद्रा में बहुत ही खुबसुरती से बनाया गया है।पूरा मंदिर और मंदिर का परिसर का सजावट ,कलाकारी और फूल -फुलवारी देखते ही बनता है। एकदम मन प्रसन्न हो जाये शांत ,स्वच्छ ,सुन्दर  ऐसा वातावरण मंदिर परिसर का है। घंटो मंदिर के गार्डन में घुमो बैठो समय का पता ही नहीं चलेगा।  शहर के भीड़ भाड़  से दूर और शहर के शहर में ही बना हुआ है ये मंदिर। कभी भी जाओ दर्शन करो सजावट देखो ,कोई बहार से मेहमान आयें तो उनको भी घुमा सकते है। जो देखेगा वही प्रसन्न हो कर जायेगा।







सोमवार, 20 नवंबर 2017

DUDHADHARI MATH

                                                 दूधाधारी मठ

                          पाँच सौ साल पहले सन 1610 में राजा रघुराव भोंसले ने दूधाधारी मठ का निर्माण किया था।यहाँ के महंत स्वामी बलभद्र दास हनुमान भक्त थे। वे रोज हनुमान जी का दुग्ध स्नान कर के उस दुग्ध का पान करते थे वे अन्नाहार नहीं लेते थे। इसलिए मठ का नाम दूधाधारी पड़ा। रामानन्दी संप्रदाय का मंदिर होने के कारन राम का मंदिर है। साथ ही महंत हनुमान भक्त थे इसलिए हनुमान और संकट मोचन का भी मंदिर इस प्रांगन में है। मराठा राजा के द्वारा मंदिर का निर्माण हुआ और ओड़ीसा के कारीगरों ने बनाया था इसलिए मंदिर का वास्तु शास्त्र ओड़ीसा शैली और अलंकरण मराठा शैली में तथा पेंटिंग भी मराठा शैली में है
      राम मंदिर होने के कारन मंदिर के दीवारों में पुरा रामायण का चित्रण पेंटिंग के जरिये किया गया था ,जो आज भी सुरक्छित है। मंदिर के प्रांगण में विष्णु जीऔर लक्ष्मी जी  का भी मंदिर है  जिसे बाला जी मंदिर बोला जाता है। यहाँ के राम मंदिर में राम -सीता जी के साथ चारों भाईयों का भी मूर्ती है।  मंदिर बहुत बड़े प्रांगण में होने के कारन गौशाला ,अतिथीशाला  ,सीता रसोईं बहुत कुछ है। उस ज़माने में बहुत दूर दूर से संत आते थे और यहाँ विश्राम करते थे फिर आगे की यात्रा में निकल जाते थे। इसलिए राजा लोग पुरे गावं को मंदिर के लिये दान कर देते थे और इतना बड़ा -बड़ा मठ बनाते थे। जिससे साधु संतों को खाने पीने और रात्रि विश्राम के लिये कुछ असुविधा ना हो। आज भी बहुत साधु संत  मठ में भ्रमण के दौरान भोजन और विश्राम इस मठ में करते है।
        मंदिर के प्रांगण में एक नीम का पेड़ भी काफी पुराना है और उसका आकर भी दतवन और जीभी जैसा है। मान्यता है की महंतनीम का  दतवन कर के यहीं फेकते थे इसलिए इस आकर में पेड़ हो गया। अब सच जो हो पुराना पेड़ किसी भी बहाने से सुरक्छित है यही बहुत बड़ी बात है। चालीस साल पहले इस मठ को  देखने के बाद अब जा कर फिर से देखने का हमको मौका मिला।दूधाधारी मठ देख कर बहुत ही अच्छा लगा एकदम साफ सुथरा स्वच्छ वातावरण था। किरण को बहुत -बहुत धन्यबाद जिसके कहने पर ही हमलोग फिर से मठ जा कर दर्शन कर पाए।










   

शनिवार, 4 नवंबर 2017

DEV DEEPAWALI

                                            देव दीपावली
                                                 कार्तिक पूर्णिमा
                                                        प्रकाश पर्व 

                      कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर उत्तरे देवलोक की छवि जैसी है काशी की देव दीपावली। बनारस के पंच गंगा घाट पर 1915 से  हजारों दीपक जला कर पूजा और आरती कर के देव दीपावली की शुरुआत की गई थी। 
     मान्यता ये है की भगवान विष्णु ने अपना पहला मत्स्य अवतार इसी दिन लिया था। और शिव जी भी इसी दिन त्रिपुर राक्छस का वध किये थे। इसलिए देव दीपावली पर्व मानने की प्रथा बनारस  में शुरू हो गई।  
       वैसे शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक व्रत -त्योहार का लाईन लगा रहता है। कार्तिक पूर्णिमा में गुरुनानक जयन्ती होने के कारण प्रभात फेरी और प्रकाश पर्व भी पुरे देश में मनाया जाता है। गंगा स्नान के अलावा सभी नदियों में भी मेला लगता है और लोग बाग स्नान और दान -पुन्न करते है।
  रायपुर के महादेव घाट में भी लाखों लोग सुबह से ही  स्नान और दान पुन्न करने नदी के  तट पर जमा होने लगते हैं।  हर साल मेला का भी आयोजन होता  है।इस साल हमलोग भी मेला देखने  शाम को महादेव घाट पहुँच गए। मेला घूम कर  वापस घर आने पर बहुत ही सुन्दर कार्तिक पूर्णिमा का चाँद का दर्शन हुआ।