सोमवार, 14 नवंबर 2016

SUPER MOON ( KARTEEK PURNEEMA )

                                                        कार्तिक पुर्णीमा 

       कल बादलों की लुका छीपी के बीच आखीर चन्द्रमा का दर्शन हो ही गया। अब सुपर मून तो नहीं हाँ कार्तिक पुर्णीमा का चाँद दिखा । कल का दिन बहुत ही खास था। अब कोई रात होने का इंतजार कर रहा था की सुपर मून देखने मिलेगा, तो गुरुनानक जयन्ती होने के कारण प्रभात फेरी जुलुस और गुरु द्वारा में विशेष लंगर का आयोजन  हो रहा था।
          14 नवम्बर नेहरू जी के जन्म दिन होने के कारण स्कूलों में बालदिवस का आयोजन हो रहा था।कहीं बच्चों को चॉकलेट बट रहा था तो किसी स्कूल में स्पोर्ट हो रहा था।गुरु पर्ब के साथ ही सबों के चाचा नेहरू और चंदा मामा दोनों का ही पर्ब मनाना हो गया।
      कार्तिक का महीना और पुर्णीमा के कारन सभी पवित्र नदियों में भी मेले का मौहाल था। अब इसी बहाने गणेश जी के बड़े भाई  कार्तिक जी का भी पूजा अर्चना हुआ ,नहीं तो कार्तिक जी का तो दक्षीण भारत में ही पूजा देखने मिलता है।






रविवार, 13 नवंबर 2016

CHILDREN'S DAY

                                                         हम भी अगर बच्चे होते 

           काश हम फिर से बच्चे हो पाते। बच्चों का नानी ,दादी बन गये पर अपना बचपन भुला नहीं पाते। आज बाल दिवस पर अपना बचपन बहुत याद आरहा है। क्या जमाना था ना तो पढ़ाई का ज्यादा बोझ ,ना घर में अकेला पन। दादा -दादी का गोद ,मेले का झूला ,ट्रक में बाबा का डिपार्टमेंट का पिकनिक, क्या जमाना था।एकदम ईजी और सिम्पल लाईफ। 
   अब तो बच्चों को देख कर दया भी आता है। कॉम्पीटीसन के दौर से बच्चे गुजर रहें हैं। बच्चों का बच्चपना ही कहीं पीछे छूट गया है। कितना इलेक्ट्रॉनिक्स मनोरंजन का साधन होने के बाबजूद भी बच्चे बोर होते हैं और अकेलापन महसुस करते हैं। बस पढ़ाई ,पढ़ाई और पढ़ाई।
     जरूरी नहीं की बच्चों को ये सब अटपटा लगता होगा। वे अपना लाईफ खुब एन्जॉय करते होंगे, पर हम अपने बचपन को याद करके  तुलना करके खुद हैरान परेशान होते हैं। क्या करे यही ह्यूमन नेचर है।





गुरुवार, 10 नवंबर 2016

INDIAN FESTIVALS

                                                         त्यौहारों का देश 

              हमारे देश में हर मौसम के लिये त्यौहार बना है। साल भर कुछ न कुछ व्रत उपवास चलते रहता है। अब सावन -भादों हो या कवांर -कार्तिक बस त्यौहारों का लाईन लगा रहता है। हमारे पूर्वज, रिषी और मुनियों को कितना ज्ञान था इसी से समझ आता है की हर त्यौहार में पर्यावरण का खास ध्यान रखा गया था हर तरह का पेड़ पौधा का पूजा जैसे नीम ,बढ़ ,पीपल ,तुलसी ,केला,आंवला ,आम  हो या चाँद ,सूरज हो या कोई वार बस तिथि में उस वस्तु का पूजा में उपयोग होता है। यहाँ तक की नदी  भी चाहे गंगा हो या जमुना ,गोदावरी हो या कावेरी ,सारे तीर्थ भी इन्ही नदियों के किनारे है।  
          हर त्यौहार में साफ -सफाई से लेकर घर के हर सदस्य का पूजा में जरूरी होना पड़ता था। भाई -बहन का राखी के नाम तो पुत्र का चौथ ,छठ हो या पति के लिये तीज बस इसी बहाने परिवार के लोगों का मिलना जुलना भी हो जाता था और प्रक्रिती से भी लोग जुड़े रहते थे। 
      यहाँ तक कोई भी जन्तु चाहे चींटी हो या कुत्ता ,बिल्ली ,गाय हो या कौआ सब का जरुरत पड़  ही जाता है किसी ना किसी त्यौहार में। इसी बहाने सब का ध्यान रखा जाता है। हमारे रिषी -मुनि सिर्फ ज्ञानी ही नहीं थे वे विज्ञानी भी थे।








शनिवार, 5 नवंबर 2016

SURYA SASHTHI ( CHHAT PUJA )

                                                         छठ पूजा 

       हम बिहारियों के लिये छठ पर्व बहुत ही सम्मान और गर्व का पर्व है। इस दिन का सबों को बहुत इंतजार रहता है। चार दिवसीय  बहुत ही कठीन महा  पर्व है।जहाँ माताएँ अपने पुत्र की स्वस्थ के लिये कठीन व्रत करती है वहीं पूरा परिवार व्रत को सफल करने में मदद करता है। पुरे शहर में पूजा सामग्री का बाजार सज जाता है। ठण्ड के मौसम में जीतने तरह का फल -फूल ,साग -सब्जी होता है सभी पूजा में लगता है। 
    दो दिन पहले से घाट सज कर तैयार हो जाता है। पुरुष लोग अपने अपने परिवार के लिये घाट में पूजा के लिये जगह बना लेते हैं। महिलायें निर्जला व्रत रहकर खूब साफ सफाई से ठेकुआ का प्रसाद बनाती है। डूबते सूर्य और दूसरे दिन उगते सूर्य का पूजा होता है। सारे  परिवार के लोग नए वस्त्र धारण करके गाजे -बाजे ,फटाका के साथ घाट में सूर्य उपासना के लिये जाते हैं।
       हमलोग बचपन में बहुत ही खुशी -खुशी से नदी किनारे छठ पूजा देखने और ठेकुआ का प्रसाद पाने जाते थे। हम बिहारियों का हमेशा सबसे पसंद ठेकुआ होता है।अब इस पर्व का महत्त्व समझ आ रहा है। हमारे पूर्वजों ने जितना भी पर्व त्यौहार बनाया है सब के पीछे कुछ न कुछ साईंटिफ़िक कारण जरूर होता था। पर्व के बहाने साफ सफाई ,हर मौसम के सामान का ऊपज होगा तो पूजा में चढ़ाया जायेगा। सूर्य उपासना से सूर्य का महत्य । सब मिलाकर प्रेम, भाईचारा ,स्वास्थ सभी जुड़ा हुआ रहता था.
                                                                          जय छठ मैया 














    

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

COONOOR

                                                           कुन्नूर  की वादी में 

        कुन्नूर आये महीना हो गया ,समय का पता ही नहीं चला। एक बार लगता है की अभी -अभी तो आयें हैं ,फिर कभी लगता है गये ही कब थे। अब तो मौसम में भी बदलाव हो गया है। बारिश और ठण्ड का मौसम शुरू हो गया है। सारे भारत में जब  बरसात समाप्त  होता है तब जाकर यहाँ शुरू होता है बच्चों का स्कूल भी शुरू हो गया, जोर शोर से पढ़ाई भी चालु हो गया। ।


मंगलवार, 1 नवंबर 2016

BHAIYA DOOJ

                                                      भईया दूज 

            भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद ही आता है।बहने भाईयों की लम्बी उम्र की कामना करती है ,वहीं भाई लोग बहनो की  रक्षा और दुःख -सुख में साथ देता है। भगवान ने दो -दो भाई दिया था और दोनों को बहुत जल्द अपने पास बुला लिया। 
        हमलोग भाई दूज को भाई फोटा बोलते थे यानि की भाई को  टीका। भाई को टीका करके खीर खीलाने का रिवाज था। आज के दिन घर -घर खीर और दलभरी पूरी जरूर बनता था। अब ना तो भाई और ना तो वो जमाना ही रहा। 
                                भगवान हमारे दोनों भाईयों की आत्मा को शांति प्रदान करे।