मंगलवार, 29 जून 2021

#BRUGMANSIA#ANGEL'S TRUMPET

                 एंजेल्स   ट्रम्पेटस 

                 एंजेल्स ट्रम्पेट सोलेनेसी परिवार का धतूरा कुल का पौधा है। झाड़ी नुमा जंगली पौधा है। इसकी पत्तियां रोयेंदार और फूल कुप्पी नुमा लटकता हुआ होता है। देशी छोटा पौधा 3 फ़ीट और जंगली 6 -20 फ़ीट ऊँचा होता है। सफ़ेद ,लाल ,पीला ,गुलाबी ,ऑरेंज आदि रंगो में इसके फूल आते है। फूल की बनावट के कारन एंजेल्स ट्रम्पेट इसका नाम पड़ा। वैसे देशी धतूरा का फूल हल्का सफ़ेद नीला लिये होता है और शंकर जी को चढ़ाने के काम आता है। 

     पहाड़ में बड़ा वाला पौधा ही देखने मिलता है जो की फूलो से भरा रहता है। सजावटी पौधे के रूप में बगीचे में लगा सकते है पर पहाड़ में हर जगह अपने से होते रहता है और जंगल का शोभा बढ़ाता है। एशिया ,ऑस्ट्रेलिया ,साउथ अमेरिका आदि देशों में पाया जाता है। डच नेचुरलीस्ट ब्रुगमांस के नाम पर इस पौधे का नाम ब्रोगमेंसिया पड़ा। शाम को फूलों से भीनी भीनी खुशबु आती है।फूल करीब करीब साल भर खिलते ही रहता है। कुन्नूर में जिस भी मौसम में आये है हर बार ही फूलों से लदा ही मिला है।  पौधा दवाई बनाने के काम भी आती है। 




 

शुक्रवार, 18 जून 2021

#MALABAR GIANT SQUIRREL#INDIAN GIANT SQUIRREL#ORIENTAL GAINT SQUIRREL

                     मलाबार विशाल गिलहरी 

                   मलाबार गिलहरी सतपुड़ा रेंज एवं पूर्वी घाट तथा पश्चमी घाट में बहुतायत से पाया जाता है। वैसे तो छोटी सी भूरे रंग वाली  गिलहरी हर जगह देखने मील ही जाती है, पर मलाबार गिलहरी बहुत ही खास है जो की बहुत ही सुन्दर और बड़ी होती है।इसका मुहँ तो चूहा जैसा होता ही पर बदन मुँह से बड़ा और बदन से बड़ा पूंछ होता है। रंग भी इतना सुन्दर की देखते ही रह जाओ। लाल मरून काला रंग मिला हुआ एकदम फर दार होता है। मुहं से पूँछ तक की लम्बाई करीब 2 फ़ीट और वजन करीब 2 -3 किलो का होता है। गिलहरी पेड़ों में 6 मीटर से ज्यादा छलांग लगा कर कूदती फांदती रहती है।  घने सदाबाहर ऊँचे ऊँचे पेड़ों वाले जंगल में अपना घोसला बना कर रहती है। 10 -12 फ़ीट ऊँचे पेड़ के एकदम टॉप पर ही अपने सुरक्छा के हिसाब से घोसला बनाती है।सुबह शाम काफी एक्टिव रहती है ,और दोपहर को अपने घोसले में विश्राम करती है। घोसला भी अनेक पेड़ों में अनेक बनाती है कॉलोनी जैसा। मादा गिलहरी नर गिलहरी से थोड़ी बड़ी होती है। गिलहरी शाकाहारी होती ,पौधे के फल ,फूल ,नट ,बीज ,छाल आदि खाती है।गिलहरी स्तनपाई होती है।बीज ,नट आदि आपस में बांट कर खाती है।  इसके तेज जम्प करके एक पेड़ से दूसरे पेड़ में कूदने के कारन इसे उड़ने वाली गिलहरी भी बोला जाता है।ये जितनी सुन्दर है, इसकी आवाज उतना ही तेज और कर्कश होता है ,बहुत तेज एकदम ठन ठन। सुबह बहुत ही ज्यादा शोर करती है। समझ आजाता है की भोजन के तलाश में घोसले से बाहर निकल कर पेड़ों में कूदना  शुरू हो गया है।  ग्रीक शब्द स्कियरोस से इसका नाम  स्क्विरल पड़ा है। बंदरो से इसकी जरा भी नहीं पटती है। दोनों अपने एरिया से एक दूसरे को भागदेते है। इन दोनो की मस्ती देखते ही बनती है। कुन्नूर में घने जंगल के बीच घर होने का यही फायदा है की मलाबार गिलहरी की मस्ती घर बैठे ही देखने मील जाता है।    




 


सोमवार, 14 जून 2021

#LANTANA#PUTUS

                  लैंटाना    पुटुस 

        पुटुस का पौधा एक जंगली बेरी का झाड़ीनुमा पौधा है। यूरोप से अमेरिका और एशिया मे फैला है। पोर्तुगीस द्वारा गोवा से पुरे भारत में पुटुस का पौधा फैला। इसका पौधा ३-4 फ़ीट का होता है और हल्का नीला वैगनी रंग का गुच्छे में इसका फूल होता है। इसकी बेरी बहुत ही छोटी -छोटी गुच्छे में होती है। कच्चे मे हरे रंग का और पकने पर काले रंग का हो जाता है। बचपन से ऐसा ही पुटुस का पौधा देखे थे और पका बेरी तोड़ कर खाये भी थे। पर अब नर्सरी में हाई ब्रीड का छोटा और अनेक रंग वाले फूल वाला पुटुस का पौधा आसानी से मिलता है.कुन्नूर में अनेक रंगो वाला 12 -15 फ़ीट ऊँचा वाला पुटुस का पौधा देखने मिला। जिसमे बारोहमास फूल खिलता ही रहता है और बंदरो के खाने के काम,और चिड़ियों के फूलों के रस सेवन के काम में भी आ जाता है।ऑरेंज ,वैगनी,पीला ,नीला आदि रंगो वाला फूल देखते ही बनता है। पौधे की खासियत  भी बहुत ही अच्छा है गर्म प्रान्त हो या ठंडा दोनों जगह फलता फूलता रहता है।






  

गुरुवार, 10 जून 2021

#CESTRUM NOCTURNUM #RAAT KI RANI #NIGHT JASMINE

                           रात की रानी 

             रात की रानी वेस्ट इंडीज़ ,एशिया आदि देशों में पाया जाता है। इसकी फूल की ये विशेषता है की ये रात को खिलती है और पुरे बगिया को महका देती ही। फूल पूर्णिमा में ही अधिकतर खिलते है और खुश्बू फैला देते है पर अमावस्या में नहीं खिलते है। फूल का रंग भी हरा क्रीम सफ़ेद लिये हुए होता है। एक बार फूल आने के बाद फूल अनेक दिन तक खिला रहता है। फूल सूखने के बाद  थोड़ा कटाई छटाई कर देने पर अगले महीना फिर से भरपूर फूल खिलता है।  

      अभी तक रात की रानी का सफ़ेद  फूल और खुश्बू दार पौधा ही देखे थे और जानते थे ,पर पहाड़ में पीला ऑरेंज रंग लिये रात की रानी का पौधा देख़ने मिलता है और फूल भी वगैर खुशबु का होता है।है तो रात की रानी रात को ही फूल खिलता है एकदम अपने तरफ के पौधा और फूल जैसा पर खुश्बू ही नहीं होता है। पेड़ भी करीब 12 फ़ीट ऊँचा होता है। पत्ते  करीब 4-8 इंच का होता है फूल भी खूब भरा रहता है। पर बंदरो के फूल तोड़ने के कारन पौधा का रौनक ही चला जाता है। जबकि छोटी -छोटी लम्बी पतली चोंच वाली चिड़ियों का रस पीना देख कर बड़ा अच्छा लगता है। कुन्नूर में कोइ घर में भी नहीं लगाता है जंगली जैसा रोड के किनारे जगह -जगह अपने से लगा होता है।  





 

रविवार, 6 जून 2021

#EMILIA SONCHIFOLIA #HIRANKURI

                          एमिलिआ  सोँचिफोलिआ 

                                          हिरंकुरी 

               हिरंकुरी एक जंगली पौधा है। एशिया के आलावा करीब -करीब पूरी दुनिया में पाया जाता है। अपने आप फूल का बीज गिरते रहता है और नया पौधा तैयार होते रहता है। पौधा बहुत ही छोटा होता है इसकी स्टेम लम्बी सीधी होती है स्टेम में नीचे की ओर की पत्तियां पतली और लम्बी होती है और ऊपर जाते तक एकदम छोटी होती जाती है। एकदम ऊपर में ही फूल उगता है। है तो जंगली पौधा ऐसे ही होते रहता है और सूखते रहता है ,पर चीन ,वियतनाम आदि देशों में इसकी पत्तियों को खाने और फूलो से दवाई बना कर घरेलु उपचार में उपयोग किया जाता है।फूल  वैगनी ,लाल ,नीला ,पीला आदि रंगो में होता है। कुन्नूर की वादी जंगल पहाड़ के बीच होने के कारन यहाँ तरह -तरह का जंगली पौधा बगैर सेवा किये देखने मिल ही जाता है।  






शुक्रवार, 4 जून 2021

#SUCCULENT PLANT

                                   सुक्कुलेंट    गुद्देदार पौधा 

                   सुक्कुलेंट रेगिस्तानी पौधा है। इसे पानी कम और धुप ज्यादा चाहिए। इसकी पत्तियां मोटी और मांसाल होती है। ये अपने पत्तियों में पानी जमा कर के रखती है और वही पानी पौधा को फलने फूलने देता है। सुबह का तेज धूप इसे पसंद है। पर बहुत लू वाली गर्मियों में पौधा ख़राब हो जाता है।पानी हफ्ते में एक बार देना पौधा के लिये काफी होता है। इसकी पत्तियां मिट्टी में टूट कर गिरती रहती है। कुछ दिनों बाद उसमे जड़ आजाता है  और फिर से नया पौधा बन कर तैयार हो जाता है.पौधा की उचित देख भाल और उसकी वेराइटी के अनुसार पौधा 3 -4 साल से लेकर 25 -50 -100 साल तक की  उम्र होती है। जितना पुराना पौधा होगा उतना घना और खूबसूरत होता है और उसमे फूल भी खिलता है। मेरा पौधा 10-12  साल पुराना हो गया है।  एक से अनेक पौधा तैयार हो गया है ,और उसमे साल में एक बार फूल भी आ जाता है। कुन्नूर का मौसम इसे शूट करता है। रायपुर में लगाते है पर रायपुर का मौसम इसे रास नहीं आता है पौधा में रौनक नहीं रहता है।








   

रविवार, 30 मई 2021

10TH GOLDEN JUBILEE ( 500TH BLOG )

                            10 वां गोल्डन जुबिली  ( 500  वां  ब्लॉग  )

                       बाबा हमको राईटर बनाये और बच्चे लोग ब्लॉगर बना दिए.। टाइम पास के लिये पेड़ पौधा फूल फुलवारी जो भी अच्छा लगे उसके बारे ब्लॉग में  लिखने लगे। फिर देश विदेश घूमना देखना उसके बारे लिखते लिखते आज मेरा 500 ब्लॉग हो गया।अब दो साल से कोरोना काल के कारन देश विदेश तो जाना हो नहीं रहा है। लॉक डाउन  में कुन्नूर में घर बैठे-बैठे  प्रकृति का नजारा का मजा लेना भी देश विदेश घूमने से कुछ कम नहीं है।

              सुबह -सुबह कोयल की कूक,रंग बिरंगी  चिड़ियों की चहचहाट, बंदरो का उत्पात, गिलहरी की मस्ती का आनंद लेते दिन की शुरुआत होती है। घर जंगल के बीच होने के कारन और लॉक डॉन होने के कारन शांत एकांत वातावरण में तरह तरह के जंगली जीव -जंतु भी स्वछन्द घूमते दिख जाते है। मलाबार गिलहरी जिसे फ्लाईंग गिलहरी भी बोला जाता है,आकार  में भी काफी बड़ी होती है पेड़ों में कूदती रहती है। बन्दर तो बारोह मास धूम मचाते थे अब जंगल से बड़ी बड़ी काले रंग की नीलगिरी लंगूर  भी आना शुरू हो गया है।लंगूर पूरा काला फर वाला और सिर पर भूरा फर होता है। पहले कभी नहीं दिखता था लॉक डाउन के कारन दूर जंगल से निकल कर आया है।  बाइसन(जंगली भैंसा)  ,पॉर्क्यूपिन (सेही कांटा वाला जन्तु) ,वाइल्डबोर  (जंगली सूअर ),हाथी ,भालू ,हरिण  इत्यादी जंगली जीव जन्तु घूमते रहते है।घर बैठे इंद्रधनुष भी पहाड़ में दीखता है।  घर पर रहो और प्रकृति का आनंद लेते दिन व्यतित करना बड़ा अच्छा लगता है।

जंगली भैंसा 

नीलगिरी गुरीला 

मलाबार गिलहरी 






  

  

गुरुवार, 27 मई 2021

#HYDRANGEA

                          हाइड्रेंजिया  का फूल 

                    हाइड्रेंजिया मूलता अमेरिका और एशिया का पौधा है। साल में एकबार ही खिलता है। पर गार्डन में बहार आजाता है। इस फूल की विशेषता ये है की कली से फूल बनने में ही महीनों लग जाता है ,और फिर फूल भी 3 -4 महीना खिला रहता है। वैसे फूल सफ़ेद खिलता है पर यदि मट्टी में अलुमिनयम की मात्रा हो तो फूल ब्लू होने लगता है। और मट्टी  छारीय है तो फूल का रंग ब्लू से पिंक हो ने लगता है। और जब 3 -4 महीने बाद फूल सुखना शुरू होता है तो भूरा हो जाता है। एक ही पौधा में अलग अलग गुच्छे का फूल का रंग अलग होने के कारन क्यारी में रौनक आजाता है। वैसे गमले और जमीन दोनों जगह पौधा लगा सकते है। पौधे में सुबह का धूप भरपूर मिलना चाहिए। फूल अप्रैल से अक्टूबर तक खिलता है ठण्ड में में फूल नहीं होता है इसलिए बरसात के बाद फूल सूखने पर पौधा का कटाई छटाई कर देने पर फिर अगले मौसम तक फूल देने के लिये पौधा तैयार हो जाता है। पानी भी ज्यादा नहीं देना चाहिए। यदि हो सके तो केले के छिलके का पानी और अंडे का शेल खाद के रूप में डालना चाहिए।उचित देख रेख होने पर पौधा का उम्र 50 साल तक भी रहता है। 







 

मंगलवार, 25 मई 2021

#BENGAL CLOCK VINE #THUNBERGIA#GRANDIFLORA

                नील लता 

                नील लता एक सजावटी सदाबहार फूल का बेल है।इसमें बारोहमास फूल खिलते रहता है। पत्ता डार्क हरे रंग का और फूल नीला नीला खिलता है। पौधा का कटिंग आसानी से लग जाता है। इसका पौधा भारत के अलावा पुरे एशिया में पाया जाता है। सुबह का धुप और बाकी टाइम थोड़ा शेड इसके लिये काफी है। पानी भी कम डालना चाहिए। ज्यादा सेवा भी नहीं करना पड़ता है। बहुत ज्यादा ठण्ड के दिन फूल थोड़ा कम होता है। बेल हमेशा फूलों से भरा होता है ,जिससे गार्डन का रौनक बढ़ जाता है।नीला फूल होने के कारन नील लता बोला जाता है। वैसे इसका नाम बेंगाल क्लॉक वीन और थुनबेर्गिआ ग्रान्डीफ्लोरा है। 




 

शुक्रवार, 21 मई 2021

#DANCING DOLL#FUCHSIA FLOWER

                     फ्यूशिया  का  फूल 

                                 डांसिंग डॉल 

               फ्यूशिया का पौधा  कैरेबियन द्वीप का झाड़ी नुमा बेलदार पौधा है।इसकी फूल गुच्छे में लटकी हुई होती है ,ऐसा लगता है की छोटी छोटी गुड्डिया नाच रही है। इसलिए इसे डांसिंग डॉल भी बोला जाता है। सुबह का 2 -3 घंटे का धुप और बाकी टाइम छाँव पौधे को चाहिए। पानी भी बहुत कम डालना पड़ता है। ठण्ड के दिनों में पौधा सुसप्ता अवस्था में रहता है। गर्मी के महीने में बहुत फूल खिलता है। उसके बाद पौधे का कटाई छटाई कर देना चाहिए तो हर साल मौसम में भरपूर फूल खिलता रहता है। पौधे का उचित देख भाल होने पर 20 -25 साल तक भर पूर फूल का आनंद उठा सकते है। पौधा कटींग से आसानी से लग जाता है। सफ़ेद ,गुलाबी ,पर्पल आदि रंगो में फूल होते है





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मंगलवार, 18 मई 2021

#AGAPANTHUS#AFRICAN BLUE LILY #BLUE HEAVEAN#LILY OF NILE

                    अगपेन्थस ब्लू लिली 

                                       अफ्रीकन ब्लू लिली 

              ब्लू लिली के पौधे को सुबह का 5 -6 घण्टे का धुप बहुत ही जरूरी है।पुरे गर्मी से बरसात तक इसमें गुच्छे में फूल खिलता है। एक बार कली आने पर कली से फूल बनने में महीनो लग जाता है। इसलिए फूल भी महीनो खिला रहता है। एक स्टेम में करीब 50 से 60 फूल गुच्छे में खिलता है। फूल सूखने पर स्टेम को नीचे से काट देना चाहिए फिर अगले मौसम में फिर से नया स्टेम निकल कर उसमे पुष्प गुच्छ खिलता है। ठण्ड के मौसम में थोड़ा पौधा को बचाने चाहिए। जमीन में हो तो ऐसा जगह हो जिससे धुप मिले पर थोड़ा शेड हो और गमले में हो तो ठण्ड के महीने में खुले से हटा कर शेड वाले जगह में रखना चाहिए। पौधा जितना पुराना होगा मौसम में उतना ही ज्यादा स्टेम निकल कर उसमे उतना ही ज्यादा फूल खिलेगा। नीले के अलावा सफ़ेद ,गुलाबी और पर्पल रंग में भी इसके फूल होते है। अफ्रीकन फूल होने के कारन इसे लिली ऑफ़ नील भी बोला जाता है। 




  

शुक्रवार, 14 मई 2021

#REDHILLS#AVALANCH LAKE#EMERALED LAKE

                रेड हिल नीलगिरी ऊटी 

                           एवलांच लेक ,एमराल्ड लेक 

               रेड हिल नेचुरल ब्यूटी वाला हिल है। चारो तरफ चाय बागान है। रेड हिल के एक तरफ एवलांच लेक है तो दूसरी तरफ एमराल्ड लेक है। ऊटी से करीब 25-30  किलोमीटर की दूरी पर रेड हिल है।करीब 200 साल पहले यहाँ पर बहुत बड़ा लैंडस्लाइड हुआ था, एवलांच माने लैंडस्लाइड इसलिए इस लेक का नाम एवलांच पड़ा। इस लेक में लाइसेंस ले कर ही फ़िशिंग कर सकते है नहीं तो जेल की सजा दी जाती है।एमराल्ड लेक भी बहुत सुन्दर है और चारो तरफ चाय बागान है। यहाँ ट्रैकिंग करने भी लोग आते है। इसे साइलेंट वैल्ली भी बोला जाता है। ये एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है।यहाँ अंग्रेजों के जमाना का बंगलो है जो की अब टूरिस्ट के रुकने के काम आता है। बंगलो अब रिसोर्ट बन गया है। सुंदर सुन्दर रंग बिरंगे फूलो से सजा है। यहाँ चाय के अलावा गोभी ,गाजर आदि की भी खेती होती है। यहाँ ऊटी से सुबह निकल कर ट्रैकिंग करके घूम कर शाम तक ऊटी वापस जा सकते है। बाहर से आने वाले टूरिस्ट एक दो दिन रुक कर वापस जाते है।