घुड़शाल की सैर
राहुल को बचपन से घुड़सवारी का भी शौक है। बोला चलो दादी छावनी चलें आपको अपने फेवरेट घोड़े से मिलायुं। चाय बागान के बीच बड़ा सा घुड़शाल था। घोड़े के अस्तबल में 50 वों एक से बढ़ कर एक हष्टपुष्ट मिलीट्री के ट्रेंड घोड़े कतार में बंधे थे। राहुल अपना फेवरेट विजेता नाम का घोडा से मिलवाया और उसके लिये गाजर लाया था उसे खिलाया। हमको भी गाजर दिया खिलाने ,हम तो डरते -डरते दूर से ही गाजर खिलाये पर राहुल घोड़े को खूब सहलाया और उसे प्यार किया। देख कर बड़ा अच्छा लगा जानवर भी प्यार की भाषा समझते है। कुन्नूर में रहने का ये सब फायदा है यहाँ के मौहोल और साधन के कारन बच्चे बचपन से सभी तरह के गेम ,घुड़सवारी ,गोल्फ,बिलीयर्ड ,टेनिस वगैरा सीख लेते है और फालतू चीजों के लिये टाईम ही नहीं बचता है। स्कूल में पढ़ते तक आल राउंडर हो जाते है। फिर तो कॉलेज पढ़ने बहार जाना होता है तो बाकी चीजों का टाईम और मौका दोनों ही नहीं मिलता है।