शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

KUCH PAL BABA KE SATH

                                    कुछ पल बाबा के साथ

     अब माँ तो रही नहीं ,तो बाबा का ध्यान हमलोगों को ही रखना पड़ेगा। अभी तक तो बाबा का पूरा समय माँ के देख भाल में ही व्यतीत हो जाता था। अब जब की माँ नहीं है तो सारा समय बाबा का खाली ही रहता है। हम दोनों बहने बाबा को फिर से रूटीन में लाने का अच्छा तरीका निकाल लिये। बाबा का जिससे मन भी लगा रहे और समय का पता भी नहीं चले।
   सुबह शाम घर के पास गार्डन में टहलने अपने मित्रों के साथ गार्डन में बैठने भेजने लगे। घर के पास साईं मंदिर ,जुबली पार्क ,मॉल इत्यादी में घुमाने ले गए। काका के घर ले गए। बाबा भी खुश हमलोग भी खुश। अब माँ नहीं है बस बाबा का आशीर्वाद हमलोगों को मिलते रहे। बाबा का मन भी लगने लगा बाबा अपना लिखने पढ़ने के काम में भी व्यस्त हो गए।











बुधवार, 25 अप्रैल 2018

MY FIRST BOOK

                                    प्रथम पुस्तक
                             विश्व भ्रमण 30 वर्षों में


                 कभी भी सोचे भी नहीं थे की हम कुछ भी लिखेगें। बाबा के जोश दिलाने पर अपने भ्रमण का संस्मरण लिखना शुरू किये। लिखते -लिखते एक पुस्तक का रूप ले लिया। बस क्या था बाबा अपने पब्लिसर को ही भेज दिए और वह छप कर भी आगया। अपने 30 वर्षो के भ्रमण का कुछ खट्टी -मीठी यादें ,कुछ अनुभव ,जो कुछ नया दिखा बस यही सब लिखे थे। राकेश आईडिया दिया इसका शीर्षक विश्व भ्रमण 30 वर्षों में लीखिए। बस इसी नाम से पुस्तक बन गया।
      बाबा को बड़ा मन था की बाबा के जीते जी  ये पुस्तक छप कर आजाये जिससे बाबा देख सके। बाबा के रहते पुस्तक आया ,बाबा को बहुत पसंद भी आया ,पर दुःख की बात ये है की और पंद्रह दिन पहले यदि पुस्तक मिल जाता तो माँ  का भी आशीर्वाद मिल जाता।




सोमवार, 23 अप्रैल 2018

LAAST WISH

                          माँ की अन्तिम इच्छा

                बचपन से ही माँ को घर गृहस्थी के काम में ही लगे हुए देखे है। बस सबों का खाना -पीना ,सुख -सुविधा का ध्यान देना। अपने लिये कोई फरमाईस ,तीर्थ -व्रत ,घूमना ,खरीदना कुछ भी आर्डर नहीं करना। बस परिवार और काम।  माँ का एक ही इच्छा था की 14 -15 साल के उम्र में टाटा में दुल्हन बन कर आये है और अर्थी भी यहीं से निकले। कितना भी बोलो कहीं चलने ,किसी के भी घर जाने को तैयार नहीं थी। राजेश कितना नानी को चिढ़ाता था की नानी जुबली पार्क चलना है साफ नहीं कहती थी।जब से बिस्तर पकड़ी थी बस यही इच्छा था यही से दुनिया से विदा लेंगे ।अब टाटा से कहीं बाहर नहीं जायेंगे।  भगवान भी उनका मान रखे। पुरे श्रिंगार  में सज -धज कर अपने शादी का सिन्दूर बाबा के हाँथो से लगवा कर जुबली पार्क होते हुए ,स्वर्ग रथ में सवार हो कर इस दुनिया से  विदा हुई।
                             भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।  




गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

YADGAR PAL

                                    यादगार पल

                    माँ के साथ बिताया  हुआ कुछ मीठी -मीठी यादें ,बस यादें ही बन कर रह गया।
                              वे दिन तो अब नहीं लौटेगा ना माँ ही बस यादें ही यादें।









नाना 

मौसी 


माँ ,बुआ ,चाची 
 

रविवार, 15 अप्रैल 2018

MAA

                               माँ प्यारी माँ
                                 श्रद्धांजली

                         श्रीमती आशालता प्रसाद
              (    1 -1 -1936 -----9 -4 -2018 )

           मेरी प्यारी माँ के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित