कुछ पल बाबा के साथ
अब माँ तो रही नहीं ,तो बाबा का ध्यान हमलोगों को ही रखना पड़ेगा। अभी तक तो बाबा का पूरा समय माँ के देख भाल में ही व्यतीत हो जाता था। अब जब की माँ नहीं है तो सारा समय बाबा का खाली ही रहता है। हम दोनों बहने बाबा को फिर से रूटीन में लाने का अच्छा तरीका निकाल लिये। बाबा का जिससे मन भी लगा रहे और समय का पता भी नहीं चले।
सुबह शाम घर के पास गार्डन में टहलने अपने मित्रों के साथ गार्डन में बैठने भेजने लगे। घर के पास साईं मंदिर ,जुबली पार्क ,मॉल इत्यादी में घुमाने ले गए। काका के घर ले गए। बाबा भी खुश हमलोग भी खुश। अब माँ नहीं है बस बाबा का आशीर्वाद हमलोगों को मिलते रहे। बाबा का मन भी लगने लगा बाबा अपना लिखने पढ़ने के काम में भी व्यस्त हो गए।
अब माँ तो रही नहीं ,तो बाबा का ध्यान हमलोगों को ही रखना पड़ेगा। अभी तक तो बाबा का पूरा समय माँ के देख भाल में ही व्यतीत हो जाता था। अब जब की माँ नहीं है तो सारा समय बाबा का खाली ही रहता है। हम दोनों बहने बाबा को फिर से रूटीन में लाने का अच्छा तरीका निकाल लिये। बाबा का जिससे मन भी लगा रहे और समय का पता भी नहीं चले।
सुबह शाम घर के पास गार्डन में टहलने अपने मित्रों के साथ गार्डन में बैठने भेजने लगे। घर के पास साईं मंदिर ,जुबली पार्क ,मॉल इत्यादी में घुमाने ले गए। काका के घर ले गए। बाबा भी खुश हमलोग भी खुश। अब माँ नहीं है बस बाबा का आशीर्वाद हमलोगों को मिलते रहे। बाबा का मन भी लगने लगा बाबा अपना लिखने पढ़ने के काम में भी व्यस्त हो गए।