मंगलवार, 31 मई 2016

SOUTHERN FLORIDA

TUE,31 MAY
                                           HOMESTEAD   MIAMI
                                                   बहना के देश में 
                हमारा सफर फ्लोरिडा के मियामी के पास होमस्टेड से आरम्भ हुआ। बहन ज्योति से 35 -40 साल बाद मिलना बड़ा ही अच्छा लगा। बहन के परिवार वालों से मिलना ,उनका खातिर दारी ,सबों से गप -सप ,हँसी मजाक में 5 -6 दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। रोज सुबह -शाम बरामदे में बैठ कर चाय पीना ,सामने बड़ा सा लेक में बतखों को घुमता देखना ,मगरमच्छ को सैर करते देखना, चिड़ियों का कलरव सुनना। शहर  के भीड़ -भाड़ के मौहल से एकदम अलग हट कर अनुभव का आनंद उठाना। 
       यहाँ हिन्दू मंदिर भी जाने का मौका मिला एकदम शांत वातावरण ,स्वछ ,पंडितजी से भी मिलना हुआ। विदेश में अपने देश का भगवान देखना अच्छा था। 
       मियामी वीच के लिये फेमस है यहाँ हॉलीवुड वीच ,हारवर देखने मिला जहाँ फिल्म की शूटींग होती है। बिस्केंबेय जो की कोरल रीफ के लिये फेमस है 190 मिल में कोरल रीफ है और मैनग्रोव प्लांट से भरा है। यहाँ का के- लार्गो जो की स्पेनिश शब्द है जिसका मतलब लम्बा आईलैंड जो की 30 मील लम्बा एक छोर से दूसरे छोर तक है। डाइविंग कैपिटल भी बोला जाता है। यहाँ मैराथन के लिये 15 मिल अलग से है। keylargo में एक तरफ जहाँ अटलांटिक औसन है वहीं दूसरे तरफ गल्फ ऑफ़ मेक्सिको है। शाम का सनसेट का नजारा भी देखने मिला। जबतक हमलोग gulf of mexico से sunset देख रहे थे तबतक एक आर्टिस्ट 5 मिनट में मियामी का पेंट बना कर दे दिया।इसको हुनर बोलते हैं वोभी फ्री। 
      वैसे तो बहुत कुछ घूमे ,खाये पीये शुद्ध शाकाहारी भोजन ,मजा भी किए जमकर मेहमानी भी करवाए ,वहां का सब्जी मार्केट भी देखने का मौका मिला।एक सब्जी के दुकान में लिखा था robert is here कुछ समझ नहीं आया तब ज्योति









बहन  ने बताया बहुत दिन पहले एक गरीब सब्जी वाला था वह बीमार पड़ा तो उसका बेटा जो छोटा सा था वह रोड में सब्जी लेकर बैठता था और बेचता था छोटे होने के कारन दूरसे उसे कोइ देख नहीं पता था इसलिए उसने तरकीब निकली अपना नाम लिख कर बोर्ड लगा दिया robert is here लोगों को भी मजा आगया और उसका दुकान भी चल पड़ा। अब तो रोबर्ट बूढ़ा होगया है उसके नाती -पोते दुकान चलाते हैं ,दुकान भी खुब बड़ा हो गया है ,इसे ही बोलते है कोशिश और किस्मत ,मेहनत करो फल जरूर मिलेगा। 
 इस तरह घूमते फिरते मजा करते ,खट्टी -मीठी यादें सजो कर आगे के सफर के लिये हम निकल पड़े। अगले पड़ाव की कहानी अगले ब्लॉग में। 
                                                                                                     क्रमशः  

रविवार, 29 मई 2016

USA AND CANADA TOUR

MON,30 MAY 
                                               अमेरिका और कनाडा भ्रमण 
                                                     (   23 अप्रेल -23 मई )
                वैसे तो अमेरिका पहले भी 2 -3 बार जाना हुआ ,टूरिस्ट के जैसे गये बड़े -बड़े शहरों में घूमे और आगये। पर इस बार अमेरिका का टूर कुछ खास था। एक तो कनाडा और अलास्का घूमना हुआ जो की एकदम नया ही तजुर्बा था। अलग कल्चर ,लाईफ स्टाईल ,रहन -सहन ,खान पान सब एकदम अलग।अलास्का  तो  बहुत ही सुंदर था अवर्णीय। 
   पर इस बार सबसे अच्छा ये हुआ अपने भाई -बहन से 35 -40 चालीस साल बाद भेंट होना उनके साथ उनके घर में रहना। अपने रिशतेदारों से मिलना ,अपने पुराने अमेरिकन मित्र से मिलना सबों के घर में रहना। एक दम नया अनुभव।
     हमारा सफर अमेरिका के मिआमी फ्लोरिडा से शुरू हो कर कैलिफोर्निया के लॉस एंजेल्स में समाप्त हुआ ,जो की एक महीना का सफर था।


मियामी -LA 

VENCOUVER -सीएटल 

ALASKA cruise rout 
                                                                                                                                                 क्रमश ;  

गुरुवार, 26 मई 2016

RIP ( ARUN )

FRI,27 MAY
                                                           हमारा सेवक अरुण 
                                                              विनम्र श्रद्धांजली 
                               हमारा सेवक अरुण को विनम्र श्रद्धांजली (13.5 .2016 )

            ईमान्दार ,मेहनती ,विशवास योग। ऐसा सेवक मिलना मुस्किल। पुराना हिन्दी पिक्चर में दीनू काका ,रामू काका जैसा था अरुण। ऐसा सेवक ना मिला है न मिलेगा। न तो जनता ही नहीं था कैसा भी काम हो हँसी खुशी अपना समझ कर करता था। 
       कैंसर ना होता और ऑप्रेसशन करवाना नहीं पड़ता तो आज हम सबो के बीच होता। पुरे घर में उसकी यादें हैं। क्या होली -दीवाली हो या कोई भी त्यौहार छुट्टी तो जनता ही नहीं था। राजेश -राकेश छोटा था तब से काम कर रहा है कितना आदर से राजेश बाबा -राकेश बाबा बोलता था ,पोता लोगो का भी सेवा किया। गार्डन का काम हो या रसोई की तैयारी करवाना हो ,आँचर वनवना हो या पापड़ ,बड़ी बस बोलने की देरी सुबह से काम शुरू कर देता था। घर के एक -एक मेहमान हो या दूर का रिस्तेदार सबो को जानना उनका खातिर मान करना बस अरुण ही कर सकता था।पूरा घर उसके माथे छोड़ दो सम्भाल लेता था। कुत्तों का सेबा करना घर के नौकरो को डाँट कर उनसे सही ढंग  से काम करवाना। 
         एक महीना घुम कर आने के बाद इतना बड़ा दुःख का समाचार विश्वाश ही नहीं होता की अरुण अब हमारे बिच नहीं रहा।3 -4 महीना बहुत कस्ट सहा। आखिर दुनिया छोड़ चला गया।   
              अरुण की कमी हम सबो को बहुत खलेगी। भगवन अरुण की आत्मा को शांति प्रदान करे।