TUE,31 MAY
HOMESTEAD MIAMI
बहना के देश में
हमारा सफर फ्लोरिडा के मियामी के पास होमस्टेड से आरम्भ हुआ। बहन ज्योति से 35 -40 साल बाद मिलना बड़ा ही अच्छा लगा। बहन के परिवार वालों से मिलना ,उनका खातिर दारी ,सबों से गप -सप ,हँसी मजाक में 5 -6 दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। रोज सुबह -शाम बरामदे में बैठ कर चाय पीना ,सामने बड़ा सा लेक में बतखों को घुमता देखना ,मगरमच्छ को सैर करते देखना, चिड़ियों का कलरव सुनना। शहर के भीड़ -भाड़ के मौहल से एकदम अलग हट कर अनुभव का आनंद उठाना।
यहाँ हिन्दू मंदिर भी जाने का मौका मिला एकदम शांत वातावरण ,स्वछ ,पंडितजी से भी मिलना हुआ। विदेश में अपने देश का भगवान देखना अच्छा था।
मियामी वीच के लिये फेमस है यहाँ हॉलीवुड वीच ,हारवर देखने मिला जहाँ फिल्म की शूटींग होती है। बिस्केंबेय जो की कोरल रीफ के लिये फेमस है 190 मिल में कोरल रीफ है और मैनग्रोव प्लांट से भरा है। यहाँ का के- लार्गो जो की स्पेनिश शब्द है जिसका मतलब लम्बा आईलैंड जो की 30 मील लम्बा एक छोर से दूसरे छोर तक है। डाइविंग कैपिटल भी बोला जाता है। यहाँ मैराथन के लिये 15 मिल अलग से है। keylargo में एक तरफ जहाँ अटलांटिक औसन है वहीं दूसरे तरफ गल्फ ऑफ़ मेक्सिको है। शाम का सनसेट का नजारा भी देखने मिला। जबतक हमलोग gulf of mexico से sunset देख रहे थे तबतक एक आर्टिस्ट 5 मिनट में मियामी का पेंट बना कर दे दिया।इसको हुनर बोलते हैं वोभी फ्री।
वैसे तो बहुत कुछ घूमे ,खाये पीये शुद्ध शाकाहारी भोजन ,मजा भी किए जमकर मेहमानी भी करवाए ,वहां का सब्जी मार्केट भी देखने का मौका मिला।एक सब्जी के दुकान में लिखा था robert is here कुछ समझ नहीं आया तब ज्योति
बहन ने बताया बहुत दिन पहले एक गरीब सब्जी वाला था वह बीमार पड़ा तो उसका बेटा जो छोटा सा था वह रोड में सब्जी लेकर बैठता था और बेचता था छोटे होने के कारन दूरसे उसे कोइ देख नहीं पता था इसलिए उसने तरकीब निकली अपना नाम लिख कर बोर्ड लगा दिया robert is here लोगों को भी मजा आगया और उसका दुकान भी चल पड़ा। अब तो रोबर्ट बूढ़ा होगया है उसके नाती -पोते दुकान चलाते हैं ,दुकान भी खुब बड़ा हो गया है ,इसे ही बोलते है कोशिश और किस्मत ,मेहनत करो फल जरूर मिलेगा।
बहन ने बताया बहुत दिन पहले एक गरीब सब्जी वाला था वह बीमार पड़ा तो उसका बेटा जो छोटा सा था वह रोड में सब्जी लेकर बैठता था और बेचता था छोटे होने के कारन दूरसे उसे कोइ देख नहीं पता था इसलिए उसने तरकीब निकली अपना नाम लिख कर बोर्ड लगा दिया robert is here लोगों को भी मजा आगया और उसका दुकान भी चल पड़ा। अब तो रोबर्ट बूढ़ा होगया है उसके नाती -पोते दुकान चलाते हैं ,दुकान भी खुब बड़ा हो गया है ,इसे ही बोलते है कोशिश और किस्मत ,मेहनत करो फल जरूर मिलेगा।
इस तरह घूमते फिरते मजा करते ,खट्टी -मीठी यादें सजो कर आगे के सफर के लिये हम निकल पड़े। अगले पड़ाव की कहानी अगले ब्लॉग में।
क्रमशः