मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

PITRU PAKSHA SHRADH

                               मातृ  नवमी

            अश्विन मास में 16 दिन पूर्णिमा से अमावस्या तक  पितरों का  श्राद्ध मनाया जाता है। जिस तिथि को जिस पुरुष की  मृत्यु हुई हो उस दिन उनके लिये हवन ,पिण्ड दान ,तर्पण वगैरा किया जाता है। परन्तु माताओं का नवमी तिथि को ही श्राद्ध किया जाता है। पता नहीं क्यों महिलाओं के लिये एक ही  तिथि बनाया गया है।पुरुषों को उनके तिथि में , उस ज़माने से ही महिला और पुरुष में भेद भाव किया जाता था।
       जो हो पर माँ को गुजरे 6 महीना हो गया है , माँ का तारिख भी 9 था ,तिथि भी 9 ही था और आज नवमी भी है। दिन कैसे बीत जाता है। कभी लगता है की कल का ही बात है और कभी लगता है की बहुत दिन व्यतीत हो गया।माँ को गुजरे 6 महीना होगया। हमसबों की प्यारी छोटी काकी को भी गुजरे 6 साल हो गया। अब समय को तो कोई नहीं रोक सकता वह तो चलते रहेगा, बस सबों की यादे ही रह जाती है।
                                  हमारी माँ ,काकी माँ ,सासु माँ ,भाभी माँ  सभी माँओं को विनम्र श्रद्धांजली








                                                                 ओम शांति शांति शांति

सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

ARCTIC CIRCLE NORTH CAPE

              कुम्भकर्ण के देश में

                       बचपन से रामायण की कहानी सुनना और देखना होता था। रावण का भाई कुम्भकर्ण था ,जोकि 6 महीना सोता था और 6 महीना जगता था।और जागने के बाद खाता ही रहता था। कहानी सुन कर मजा आता था और हँसी भी की, ऐसे थोड़ी होता है की कोई 6 -6 महीना जागेगा और खायेगा।बस कहानी है सुनो और मजा लो। 
      पर जब नॉर्वे टूर में आये तो पता चला और देखे भी की नॉर्वे तो नार्थ पोल में है और आर्कटिक ओसन चारो ओर होने के कारन हर समय शी आईस  से कवर रहता है। इसलिए नार्थ पोल में ठण्ड भी बहुत रहता है।ग्लोब के शिखर में नार्थ पोल है और रात दिन तो प्रकृतिक  घटना के कारण सनलाईट और मून दोनों ही 6 -6 महीना दीखता ही नहीं है। लोग बाग समर में मिडनाईट सन और ठण्ड में नॉर्दन लाईट देखने आते है। यहाँ ये भी पता चला की समर में यहाँ की भेड़ -बकरी रात और दिन चरती ही रहती है और खा -खा कर मोटी ताजी हो जाती है। क्योंकि अंधेरा तो होता नहीं है। 
     तो बस रामायण का पात्र कुम्भकर्ण याद आगया। तब लगा की हमारे पूर्वज और मुनि गण कितने ज्ञानी -विज्ञानी थे। हजारों साल पहले से ही उन्हें ब्रम्हाण्ड के विषय में पता था की ऐसा भी देश है जहाँ 6 -6 महीना का रात और दिन होता है। इसलिए कुम्भकर्ण पात्र की रचना करे होंगे। भले कहानी का पात्र है और कवि की कल्पना हो पर सच में ऐसा  देश तो है।
   नॉर्वे 20 -25 दिन घूम -घाम कर जब अपने देश लोटे तो ऐसा लगा की कुम्भकर्ण के देश से लौट रहे है।