रविवार, 29 दिसंबर 2019

WHITE SPIDER LILY

                           सफ़ेद स्पाइडर लिली

                                     मकड़ी लिली

    सफ़ेद स्पाइडर लिली लिकोरिस एमेरीलिस फॅमिली का बारोमासी बल्ब वाला पौधा है। ये सैकड़ों आकर प्रकार रंग साइज का होता है। दक्षीण अफ्रीका इसका मूल स्थान है। इसका फूल हर मौसम में होता रहता है। सफ़ेद स्पाइडर लिली का पौधा करीब 2 फ़ीट ऊँचा और एक फ़ीट चौड़ा गहरे हरे रंग के पत्तियों वाला ढेर सारा बल्ब वाला होता है।इसका फूल का आकर मकड़ी की तरह होने के कारन ही इसका नाम मकड़ी लिली पड़ा है। इसके फूल गुच्छे  में होता है एक गुच्छे में करीब 8 -10 फूल होता है। एक बार खिलने पर हफ्तों तक खिला रहता है। इसके पौधे में  तेज धुप और मट्टी में नमी बहुत ही काम होना चाहिए। इसके फूल तितलीयों को आकर्षित करती है। जमीन में क्यारी में लाइन से लगाना ज्यादा अच्छा रहता है। इसके जड़ के बल्ब को अलग करके पौधा बढ़ाते जाना ज्यादा ठीक होता है जिससे फूल भी ज्यादा और जल्दी -जल्दी होता है।





     

बुधवार, 25 दिसंबर 2019

POINSETTIA FLOWER

                 पोइंसेटिया  का फूल
                                  क्रिसमस फ्लॉवर

                पोइंसेटिया  एक बेहद खूबसूरत पौधा है। जिसे अपने लाल -हरे पत्तों के सयोजन के कारण बाग बगीचे में लगाया जाता है। यह मेक्सिको और अमेरिका का मूल पौधा है।इसका नाम मेक्सिको के मिनिस्टर जोएल र पोइसेंट के नाम पर 1820 में रखा गया था। इन्होने इसे प्रचारित और प्रसारित किया था। इसके पहले इसे मैक्सिकन फ्लेम फ्लॉवर ,ईस्टर फ्लॉवर ,क्रिसमस फ्लॉवर आदि नामो से जाना जाता है।यह चटक लाल रंग के अलावा सफ़ेद ,गुलाबी और पीले रंग का भी होता है।अमेरिका में  १२ दिसम्बर को पोइंसेटिया दिवस मनाया जाता है
    यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है जो आधा मीटर से लेकर चार मीटर तक की ऊंचाई का होता है। इसमें लगने वाली फूल असल में 12 से 5 बड़ी -बड़ी लाल पत्तियां सितारे के आकर में सजी रहती है और इसके बीच में छोटा -छोटा पीले रंग का फूल होता है जिसमे पराग भरा रहता है ,  तितली और चिडीया पराग का सेवन करती है। इसकी हरे पत्तियों को चटक लाल रंग होने के लिये 12 घंटे का अंधकार और १२ घंटे का तेज धुप चाहिए। ऐसा क्रिसमस के दौरान 25 दिसम्बर को ही हो पाता है ,जब दिन बड़ा होता है। इसलिए क्रिसमस की छुट्टी को बड़े दिन की छुट्टी भी  बोला जाता है। अब तो नर्सरी में हाईब्रीड कई रंगो वाला छोटा आकर का पौधा मील जाता है। जब की पहले सिर्फ लाल बाला बड़े आकर का ही पौधा होता था।







  

सोमवार, 23 दिसंबर 2019

MERRY CHRISTMAS

               क्रिसमस  का त्यौहार

        क्रिसमस पर घरों और गिरजाघरों में क्रिसमस ट्री से सजाया जाता है। लोग बाग गिफ्ट देते है। सांताक्लॉज बच्चों को गिफ्ट बांटते है। ये सब पश्चिमी देशो में होता है। लेकिन पश्चिमी देशो में क्रिसमस ट्री को  क्रिसमस फ्लॉवर से भी सजाया जाता है।सितारेनुमा चटक लाल रंग का पोइनसेंटीया के फूल से सजाते है। इसे क्रिसमस फ्लॉवर कहा जाता है।
    क्रिसमस फ्लॉवर के बारे में एक कहानी प्रचलित है की 16 वीं शताब्दी में मारिया नाम की एक गरीब लड़की जीसस के जन्म दिवस समारोह में कोई उपहार नहीं दे पाई थी तब एक परी आकर मारिया से बोली की सड़क का खरपतवार एकत्र करके चर्च के द्वार में रख दो। मारिया ने वैसा ही किया। दूसरे दिन उसने देखा की खरपतवार एक सुन्दर सितारेनुमा फूल में बदल गया है।तब से ही इस फूल से ट्री सजाने का परंपरा बन गया।
     क्रिसमस फ्लॉवर के अलावा मिसटलेटए की टहनीया भी क्रिसमस का एक खास हिस्सा है।इसकी टहनीयों को दरवाजे में लटकाया जाता है और उम्मीद की जाती है की बुरी आत्माओ  से  ये बचाएगा।
  क्रिसमस में जहाँ प्लम केक का रिवाज है वहीं क्रिसमस पार्टी में टर्की (पक्छी )का भी बहुत महत्व है। 16वीं - 17 वीं शताब्दी मे लन्दन का एक अंग्रेज व्यपारी टर्की खरीद कर डिनर मे बनवाया और उस समय के राजा हेनरी को अपने पार्टी में टर्की का गोस्त खिलाया राजा को बहुत पसंद आया तब से ही ये प्रथा है की क्रिसमस पार्टी में टर्की जरूर बनता है और लोग बाग  बहुत ही चाव से खाते है।
     अब मान्यता तो मान्यता है पर लोग बाग  इसी बहाने त्यौहार मानते है पार्टी करते है। विदेश तो विदेश अपने देश में भी लोग जीसस का जन्मदिवस धूमधाम से मनाते है।





    
     

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

ZINNIA FLOWER

                                          जिनिया का फूल

      जिनिया एक लोकप्रिय फूल है। ये डेजी और सूरजमुखी जनजाति का पौधा है। मैक्सिको से अमेरिका होते सब जगह फैला है।लाल ,सफ़ेद ,पीला ,वैगनी ,नारंगी इत्यादी  रंगो में इसका फूल होता है। हाईब्रीड पौधा 6-12 इंच का होता है और दूसरे प्रकार का पौधा 4 -12 फ़ीट तक ऊँचा होता है। बरसात में बीज से पौधा तैयार कर के पौधा लगाया जाता है.ठण्ड से गर्मी तक इसमें फूल खिलता है। पौधे को सुबह की धुप कम से काम 5 -6 घंटा मिलना चाहिए। छाया  में कम  फूल होता है। ।जर्मन बनस्पती वैज्ञानिक जॉन गोट्फ्रिएड जिन्न के नाम पर इस पौधा का नाम जिनिया पड़ा। 



रविवार, 15 दिसंबर 2019

GAJANIA FLOWER

                               गजानिया फूल

      गजानिया का पौधा मूल रूप से दक्षीण अफ्रीका का फूल है। ये एक बारहमासी पौधा है। इसे कम से कम  पानी और ज्यादा से ज्यादा धुप चाहिए।सुबह सूर्योद के साथ खिलना शुरू होता है और दोपहर बाद बंद होने लगता है। इसका फूल कई रंगो में होता है। ये बड़े डेजी के आकार का होता है और एक बार फूल खिला तो महीनो लगा रहता है। गमले के बदले जमीन में क्यारी में लगाना ज्यादा अच्छा होता है। रंगबिरंगी फूलों से क्यारी हमेशा भरा रहता है। लाल ,पीला ,बैगनी ,भूरा ,सफ़ेद इत्यादी रंगो में फूल खिलता है। आजकल नर्सरी में आसानी से मील जाता है।






शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

PATHARCHATTA KALANCHOE

                            पथरचट्टा   ( कलान्च  )

        भारत के सभी राज्यों में पाया जाने वाला औषधीय गुणों से भरपूर पथरचट्टा का पौधा होता है। वैसे मेडागास्कर इसकी उत्पति स्थल है। वहीं से पुरे एशिया के अलावा ऑस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड,वेस्टइंडीज आदि देशों में पाया जाता है। आर्युवेद के अनुसार पथरी के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है, इसलिए इस पौधा का नाम पत्थरचट्टा पड़ा। बहुत बीमारीयों में इसके पत्ते से दवाई बनाया जाता है।
    देशी पथरचट्टा का पौधा 2 -3 फ़ीट हाईट का होता है और इसके पत्ते से अनेक पौधा निकलता रहता है। ठण्ड में एक बार फूल भी होता है। फूल बहुत ही सूंदर अंगूर के गुच्छे जैसा गुलाबी लिये होता है। और महीनो तक टीका रहता है। पौधे का कुछ ज्यादा देखभाल भी नहीं करना पड़ता है। जहाँ जहाँ पत्ती गिरता है वहीं नया पौधा तैयार हो जाता है।साल भर हरा भरा रहता है।इसका पत्ती भी थोड़ा बड़ा और सुन्दर दीखता है। 
   आजकल इसका भी कई रंगो वाला हाईब्रीड पौधा नर्सरी में मील जाता है। पौधा छोटा करीब एक फ़ीट का होता है और फूल गुच्छों में होता है।हाईब्रीड पौधा का पत्ती देशी के अपेक्छा छोटा होता है.इसका फूल  लाल ,पीला ,गुलाबी आदि रंगो में होता है और देखने में भी सुन्दर लगता है। ठण्ड में खिलता है और 2 -3 महीना फूल होते रहता है पर पौधा बहुत ही नाजुक होता है और साल भर उचित देख भाल नहीं करने पर अगले साल नहीं बचता है।


      

बुधवार, 11 दिसंबर 2019

VAJRADANTI , PORCUPINE ,BARLERIA PRIONITS,KATE KORANTI

                        वज्रदंती    ( काटे कोरंटी )

          वज्रदंती का पौधा पुरे भारत में पाया जाता है। भारत के अलावा श्री लंका और अफ्रीकन देशों में भी होता है।  इसका फूल 5-6  रंगों में होता है। पीले रंग का फूल वाला वज्रदंती का  पौधा थोड़ा कटीला होने के कारण इसका नाम कांटे कोरंटी भी है और अंग्रेजी में पोर्क्यूपिन कांटे वाला जीव के नाम पर इस पौधा को पॉर्क्यूपिन  भी बोला जाता है।
      पीला फूल वाला पौधा में बरसात के बाद ओक्टुबर से फरवरी तक खूब फूल होता है। इसका पीला फूल कार्तिक मास में भगवान को भी चढ़ाया जाता है और सोना दान जैसा महत्व बताया गया है।
 सफ़ेद ,नीला और वैगनी रंग वाला फूल दिसम्बर से पुरे ठण्ड में खिलता है इसलिए इसे दिसम्बर फ्लावर भी बोला जाता है।अलग रंग अलग मास में खिलता है पर इसका पूरा पौधा ही मेडिसिन बनाने में उपयोग किया जाता। आयुर्वेदिक में भी इसका बहुत महत्व बताया गया है। जैसा की नाम है वज्रदंती दांतो के दवाई में भी उपयोग होता है दांत को वज्र के सामान मजबूत करता है। दांत के अलावा आयुर्वेदिक में बहुत सी बीमारियों के इलाज में वज्रदंती के पौधे से दवाई बनाई जाती है ।
   इतना महत्वपूर्ण पौधा होने के कारण ही इसे सोना दान का महत्व दिया गया होगा ,जिससे लोग पौधा का सही देख रेख करे। पौधा लगाना भी बहुत ही आसान है एक बार लगा दो तो पौधे के नीचे फूल गिरने पर अनेक छोटे पौधा उग जाता है। उसे अपने सुविधा अनुसार बार -बार जगह -जगह लगाते जाओ और बढ़ाते जाओ। जब फूल होता है तो पौधा पूरा फूल से ढँक जाता है बगीचे का शोभा भी बढ़ जाता है।फूल का खासियत भी है ,सुबह फूल तोड़ कर भगवान को चढ़ाने पर दूसरे दिन भी फूल खिला रहता है। अधिकतर फूल दूसरे दिन मुरझा जाता है। इस गुण के कारण पौधा हर समय फूल से लदा रहता है।  मेरे पास तो सफ़ेद और पीला फूल वाला ही पौधा है पर फूल के मौसम में गार्डन का रौनक देखते ही बनता है।






 

रविवार, 8 दिसंबर 2019

ORCHID FLOWER

                                   आर्किड फूल

     आर्किड करीब -करीब संसार के सभी ठंडे जलवायु में पाया जाता है। भारत में हिमालय और पश्चिमी घाट के कोडईकनाल और नीलगिरि पर्वत में पाया जाता है। आर्किड ५०० प्रकार के और सैकड़ों रंगो में होता है। गमले या पेड़ में बांध कर लगा सकते है। जंगलो में किसी भी पेड़ में अपने आप फलता फूलता है।जंगली और देशी आर्किड का ज्यादा सेवा भी नहीं करना पड़ता है एक बार लगाने पर सालों साल खिलता और फैलता रहता है।
        आजकल नर्सरी में हाईब्रीड विदेशी  आर्किड का पौधा आसानी से मील जाता है और इसका फूल भी बहुत ही मनमोहक होता है। एक बार फूल आने पर महीनों खिला रहता है। पर इसका ग्रोथ थोड़ा स्लो होता है और देशी की  अपेक्छा इस का स्पेशिल केयर करना पड़ता है बहुत ही नाजुक होता है।मेरे पास देशी और विदेशी दोनों ही प्रकार का आर्किड है पर देशी का एक पौधा से अनेक पौधा बना चुके है पर विदेशी का स्पेशिल केयर करने के बाद भी उसका अनेक नहीं बन पाया है।पर जो हो गार्डन का रौनक तो बड़ा ही देता है।




    

बुधवार, 13 नवंबर 2019

CHILDREN'S DAY

                       बाल दिवस

              बाल दिवस 1925 से मनाया जाने लगा था।पर  UNA ने 20 नवम्बर 1954 को बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी।  पुरे विश्व में अलग -अलग दिन को बाल दिवस अलग तरीके से मनाया जाता है। हमारे देश में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के 27 मई 1964 को निधन के बाद उनके  जन्म दिवस 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाने लगा।  । नेहरू जी को बच्चों से बहुत प्यार था ,उन्हें चाचा नेहरू बोला जाता है।इसलिए उनकी  जयंती पर बाल दिवस मनाया जाने लगा।
    कई स्कूलों में बाल दिवस में बाल मेला एवं प्रतियोगीता भी आयोजित किया जाता है। आज के बच्चे कल के भविष्य है ,इसलिए उनके शारीरिक और सेहत का ख्याल रखना ,पोषण और संस्कार का ध्यान रखना इत्यादी पर रंगा रंग कार्यक्रम भी होता है। बच्चों को चॉकलेट और मिठाईयां भी बांटी जाती है।

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

BLOGSPOT.COM

                                ब्लॉग्स्पॉट.कॉम
                                       चिट्ठा जगत .इन

     ब्लॉग स्पॉट का आरम्भ 23 अगस्त 1999 में एक होस्टींग टूल के रूप में पायरा लैब्स ने की थी। सन 2003 में इसे गूगल ने खरीद लिया था ,और तब से यह इंटरनेट पर सबसे प्रसिद्ध शुल्क रहित होस्टींग वेब साइट बनी हुई है। ब्लॉग स्पॉट एक चिट्ठा होस्टींग सेवा है जो की गूगल ब्लॉगर प्रोग्राम के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है जिसके द्वारा ब्लॉगर्स  अपने ब्लॉग बनाते है। एक ब्लॉग किसी भी कार्य के लिये प्रयोग किया जा सकता है,चाहे वह निजी जीवन के रूप में हो या व्यापारिक कार्य के लिये या सामान्य रूप में अपने विचार को दूसरों तक पहुँचाने के लिये
ब्लॉगिंग का उपयोग किया जाता है, और वो भी अन्लीमेटेड।
      ब्लॉग पचासों भाषाओं में लिख सकते है। आलोक कुमार हिन्दी भाषा के प्रथम ब्लॉगर माने जाते है। उन्होंने ने 2007 में हिन्दी ब्लॉग लिखने का आरम्भ किया।
    हर साल ब्लॉगोत्सव मनाया जाता है और उसमे अच्छे 51 ब्लॉगर को सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया जाता है।मेरा अभी 450 ब्लॉग हो गया है। बच्चों ने मुझे ब्लॉग लिखने के काबिल बनाया है।



                            

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

NILGIRI MOUNTAION RAILWAY

                         नीलगिरि पर्वत मे रेल का सफर

       दक्षीण भारत का टूरिस्ट स्पॉट ऊंटी तमिलनाडु का हिल स्टेशन नीलगिरी पर्वत श्रंखला में है।ऊंटी घूमने के वैसे तो कई तरीके है। लेकिन टॉय ट्रेन में बैठने का कुछ अलग ही आनंद है। दुनिया का सबसे पुराना भाप इंजन कोयला वाला ट्रेन यहाँ चलता है। 1908 में अंग्रेजों के काल का ट्रेन है।इस ट्रेन के ट्रैक में पुल ,सुरंग है ,वो भी सब अंग्रेजों के ज़माने का है।
    वैसे तो ट्रेन मेट्टूपालयम से सुबह 7 बजे चल कर कुन्नूर होते हुए ऊंटी दोपहर को पहुँचती है। ऊंटी से दोपहर 2 बजे चलकर कुन्नूर होते हुए शाम 5 बजे वापस मेट्टुपालयम पहुँच जाती है। ऊंटी घूमने वाले टूरिस्ट ऊंटी से कुन्नूर या कुन्नूर से ऊंटी इस टॉय ट्रेन मे सफर जरूर करते है। टूरिस्ट या तो फर्स्ट क्लास या सेकंड क्लास में सफर करते है और लोकल रोज आने जाने वाले पब्लिक जनरल बोगी से आना जाना करते है जिसका किराया भी बहुत कम है।
    कुन्नूर से ऊंटी जाने पर चारों तरफ घने जंगल ,पहाड़ ,चाय बागान ऊँचे -ऊँचे विशाल युकलिप्टुस का पेड़,झरना ,गुफा का नजारा देखते ही बनता है।कुन्नूर से ऊंटी जाने पर  7 स्टेशन से होकर ट्रेन गुजरती है।कुन्नूर ,वेलिंगटन ,अरुवांकडू ,केट्टी ,लवडेल ,फर्न हिल ,ऊंटी। वेलिंगटन में फौजी छानवी और 8 मार्केट है ,अरुवांकडू में कोडनेट फ़ैक्टरी है ,लवडेल में प्रसिद्ध लॉरेंस स्कूल है। ट्रेन मे बैठे -बैठे नजारा देखते हुए जाना टूरिस्टों को बहुत अच्छा लगता है। शहर के दौड़ भाग के जिन्दगी से कुछ पल शुकुन भरा होता है।
   इस ट्रेन का नाम यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज में दर्ज है।कुन्नूर ऊंटी के रास्ते में इस ट्रेन में बहुत सारा फिल्म का शूटिंग भी हमेशा होते रहता है। एक तो शांत एकांत वातावरण ,दूसरा कोई डिस्टर्ब भी नहीं करता और सीन सीनरी तो है ही कुन्नूर कोई गेस्ट आता है तो उनको घुमाने के बहाने खुद भी घूमना हो जाता है। टॉय ट्रेन का मजा मिल जाता है।वैसे कुन्नूर स्टेशन मे ब्रेकफास्ट भी बहुत ही बढ़िया मिलता है ,खुद भी खाओ और गेस्ट को भी खिलाओ मजा आजाता है।







           

बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

ART MUSEUM OF MADRAS REGIMENTAL CENTRE

                       ART MUSEUM OF MADRAS REGIMENTAL CENTRE

                                      मद्रास रेजिमेंटल में  आर्ट म्यूजियम 

           अरुणाचल के गवर्नर 2019 अप्रैल को म्यूजियम का उद्धघाटन किए थे।मद्रास रेजिमेंट आजादी के पहले 1750  में  ब्रिटिश इंडियन आर्मी के समय का बना हुआ है।ये  म्यूजियम अपने ड्यूटी में मरे हुए सोल्जर के याद में उनके ग्लोरी को दर्शाता है।कुन्नूर के वेलिंगटन में नागेश बैरक्स काम्प्लेक्स के बगल में ये म्यूजियम बना हुआ है।वैसे बैरक्स में आम  लोग जा नहीं सकते है पर म्यूजियम में बैरक्स के अंदर का मॉडल बना हुआ है।1750  का अंग्रेजो द्वारा बना आज भी वैसा का वैसा है और डिटेल में समझाते है की अंदर कहाँ -कहाँ क्या क्या होता था और अब क्या होता है।   इस म्यूजियम में प्रथम विश्व युद्ध ,सेकेंड विश्व युद्ध से लेकर चाइना वॉर पाकिस्तान वॉर,सियाचीन ग्लेशियर , हर समय काल का विवरण से लेकर उस समय का अस्त्र -शस्त्र ,पेंटिंग ,पोट्रेट ,कल्चर ,संस्कृति  ,इतिहास सभी कुछ इस म्यूजियम में देखने मिल जायेगा। 
     मद्रास रेजिमेंट बनने के बारे में  म्यूजियम में आकर देख कर बहुत सारा नया बात भी पता चला।अंग्रेजो के जाने के बाद केरल ,तमिलनाडु ,कर्णाटक ,ट्रावन्कोर ,आंध्रा आदि पांचो स्टेट के राजाओंने ने मिलकर एग्रीमेंट बना कर मद्रास रेजिमेंट को दान और देखभाल आदि की जिमेदारी ली। आज भी त्रिवेंद्रम के मंदिर का सालभर का आधा चढ़ावा और  ट्रावनकोर के मंदिर के सालभर का पूरा चढ़ावे को इस रेजीमेंट के सोल्जर के बच्चों  के पढ़ाई ,उनके परिवार के देख भाल की जिम्मेदरी के लिये दान दिया जाता है।
    म्यूजियम देखने के बाद बहुत ही अच्छा एक्सपेरिएंस हुआ बहुत कुछ जानकारी मिला। अंदर एक ऐसा पुतलों का  श्रंखला बना हुआ है जो बहुत ही रोचक और मार्मिक दिल को छूलेंने वाला है। एक माँ अपने छोटे से बच्चे को गोद में ली हुई हैऔर उसे ऊपर देखने का इशारा करती है।  आगे दूसरा थोड़ा बड़ा बच्चा का पुतला है, उसके बाद बच्चा बड़ा होकर सोल्जर बनने का पुतला है ,उसके बाद उसके शहीद होने का पुतला है। माँ को पता है की बेटा बड़ा होकर यदि सैनिक बनेगा तो  शहीद भी होगा, फिर भी अपने बच्चे को सेना में भेजने को तैयार है, अपने देश की सेवा करने के लिये,माँ की कल्पना का दृश्य  वास्तव में सराहनीय है।