रविवार, 30 अक्तूबर 2016

DIWALI

                                                        शुभ दीपावली 

       दिवाली ऐसा त्यौहार है की लक्ष्मी पूजा के नाम पर घर की सफाई भी हो जाती है। बच्चे पकवान और फटाका से खुश ,तो बड़ों का आपस में मिलना जुलना भी हो जाता है। 
       टाटा में दुर्गा पूजा के पंडाल में दुर्गा पूजा के बाद शरद पुर्णीमा में लक्ष्मी पूजा और फिर दीवाली के रात को काली पूजा होने के बाद ही पंडाल हटाया जाता है। टेल्को में तो 1970 से 22 फ़ीट की काली जी का प्रतीमा का पूजा होता है। जो की आज तक चल रहा है। 
   टाटा में दीवाली में हर घर में बच्चे छोटे -छोटे माटी का घरौंदा बनाते हैं और उसे खूब सजाते हैं।माटी के छोटे -छोटे खीलौने में लाई बतासा भर कर पूजा करते है। सब बच्चे एक दूसरे के घरों में जाकर देखते थे की किसका सबसे अच्छा बना है। हमारे दादा ने हम बच्चों के लिये60 साल पहले पक्का छोटा सा घरौंदा बना दीये थे। आज भी हमारे बचपन के घर में है और हमारे चाचा के नाती ,पोते ,बहु ,बेटी लोग दीवाली में सजा कर पूजा करते हैं।
         इस वार कुन्नूर में दीवाली मानाने का मौका मिला क्लब में दिवाली पार्टी का आनंद लिये।  टेल्को क्लब की पार्टी और आतिशवाजी भी  याद आही गया। हर वार की तरह रायपुर और कुन्नूर दोनों घरों और ऑफिस में अच्छी तरह पूजा सम्पन हुआ।










 

रविवार, 23 अक्तूबर 2016

FAIR AT HILL

                                                                       वादी में मेला    

        मेला तो  मेला होता है। कहीं संक्रांति मेला तो कहीं वैशाखी मेला ,कभी ऊँटों का पुष्कर मेला तो कहीं शिवरात्री मेला। अलग अलग उम्र में मेला का मजा भी अलग तरीके से मनाया जाता है। झूला झूल कर तो चाट खाकर ,तमाशा देखकर। जगह और जरुरत के अनुसार मनोरंजन हो जाता है। 
  इस वार कुन्नूर की सुंदर वादी में दिवाली  मेला देखने का अवसर मिला। अब मेला तो मेला है घूमो ,खाओ पिओ ,कुछ खरीदो और मजे लेकर वापस जाओ। पर वादी में होने के कारण अलग ही नजारा था।एकदम स्वछ और शांत  वातावरण सुंदर द्र्श्य एकदम अलग अनुभव। बच्चों की संडे छुट्टी होने के कारण बच्चों ने भी भरपुर मजा लिया।    








रविवार, 16 अक्तूबर 2016

FULL MOON

                                         शरद पुर्णीमा की रात्री 

       शरद पुर्णीमा की रात का बहुत ही महत्त्व है। एक तो मौसम का बदलाव का संकेत। तो



दूसरा  उस दिन लक्छमी जी की पूजा की जाती है और रात को खीर बना कर आंगन में रखा जाता है और रात 12 बजे के बाद अमृत की वर्षा होती है तो उस खीर को खाने का प्रचलन है।कमल का फूल का भी जरुरत पड़ता है। 
   हमारे बचपन में दुर्गा पूजा पंडाल में शरद पुर्णीमा के रात को लक्छमी पूजा होता था। इस दिन सब कोई अपने घर में अल्पना से देवी का पैर बनाते थे घर सजाते थे और पूजा किया जाता था। हमलोग पुरे परिवार के साथ खीर का पिकनिक करते थे। इस दिन का सबों को इंतजार रहता था। इस बार बादल होने के कारन चाँद का दर्शन भी नहीं हो सका। स्कूल में चाँदनी रात में नोका विहार पर निबंध भी लिखने मिलता था। 
      

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

DURGA PUJA

                                                              आया दुर्गा पूजा 

          हर साल की तरह इस साल भी  दुर्गा पूजा आया और ढेर सारी खुशीयाँ देकर माँ विदा हो गयी। हर साल टाटा तो पूजा में जाना सम्भव नहीं है। इस साल टाटा नहीं जा पायें कुन्नूर में पूजा में थे। अरवेंकाडु में पूजा देख पायें। बच्चे लोग छुटियों में बहार थे तो घर सुना -सुना होने के कारन पूजा में वो  रौनक नहीं लगा और बरबस लगा की वगैर बच्चों का घर त्यौहार में कितना सुना लगता है। माँ -बाबा भी अकेले त्यौहार कैसे मनाते होंगे। जब तक माँ बाबा हैं तो कम से कम पूजा में जरूर टाटा जाना चाहिए। 
     मनुष्य का भी क्या नेचर होता है जीतना मिले ओ कम ही लगता है और ज्यादा पाने की इच्छा होती है। अब हमी को पूजा में जाने मिला  आरती देखने मिला पर टाटा का पूजा का सोच कर अफशोस ही हुआ काश टाटा जाते भोग खाते ,पूजा स्पेशल मिठाई खाते ,सिंदूर खेला करते कितना मजा आता। चलो जो मिला जितना मिला वही ठीक है ज्यादा सोचना और अफ़सोस करना वेवकूफी ही है ,हाथ तो आना नहीं है बस अफशोस करते रहो जिसका कोई अंत नहीं। ।










रविवार, 9 अक्तूबर 2016

AYUDHA PUJA

                                                             आयुध पूजा 

            साऊथ इंडिया में नवरात्री के नवमी को अस्त्र -शस्त्र का पूजा होता है। इस बार सोमवार 10 तारिख को पड़ा है। हमलोग जैसे विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर को करते है वैसे ही यहाँ कार ,औजार ,सारे वाहन और ऑफीस में सरस्वती जी,गणेश और देवी माँ  की पूजा की जाती है। हमारे कुन्नूर ऑफिस में भी हुआ। यहाँ चना का प्रसाद ,गन्ना लाई बतासा वगैरा चढ़ाया जाता है। कुछ दिवाली ,कुछ विश्वकर्मा पूजा की तरह आयुध पूजा होता है। पूजा के बाद सारे वाहन के चक्के के सामने नींबू रख कर उसके ऊपर से एक साथ सारे वाहन को गुजारा जाता है। जिसके पीछे कारन ये होता है की सारे अलाबला टल जाये। देखने में भी बड़ा अच्छा लगता है। 






गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

SIDDHAGIRI SHIRDI SAI BABA TEMPLE IN YEDAPALLI , COONOOR

                                                 साईं बाबा मंदिर कुन्नूर 

                कुन्नूर के पास सिद्धगिरी पर्वत में शिरडी के साईं बाबा का मंदिर बना है। चारो और घाना जंगल होने के कारन बड़ा ही मनोरम नजारा दिखता है। मंदिर छोटा सा है पर बड़ा ही शांत  एकांत वातावरण होने के कारन बहुत ही अच्छा लगता है। 2 -3 साल ही हुआ है इसे बने हुये। 7 .6 फ़ीट मार्बल का मूर्ती है ,और मूर्ती के सामने स्वमभू शिवलींग भी है। मंदिर के प्रांगन में पंचमुखी हनुमान ,विष्णु ,कृष्ण और देवी माँ का भी छोटा छोटा मूर्ती भी है।
        कल गुरुवार साईं जी का दिन होने के कारन विशेष पूजा अर्चना और आरती भी था। हमको भी जाने का मौका मिल गया ,वैसे पहले भी गये थे पर फिर मौका मिला और जाकर शिरडी के साईंबाबा का दर्शन कर लिये। शिरडी तो जाना नहीं हो पाया यहीं सही।वैसे टाटा का साईं मंदिर भी बहुत ही अच्छा है। जब मौका मिलता है जरूर जाते हैं। 


  

बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

GUDDIYA PUJA

                                                                  गुड़िया  पूजा 

                         नवरात्री का त्यौहार ऐसा है की पुरे भारत में मनाया जाता है। है तो देवी का त्यौहार पर हर स्टेट में अलग नाम अलग तरीके से मानते हैं। बंगाल में जहाँ दुर्गा पूजा धूम -धाम से मनाया जाता है ,वहीं गुजरात में गरवामनाया जाता है और डांडिया जोर शोर से करते हैं। तो कहीं देवी के 9 रूप का 9 दिन व्रत रख कर नवरात्री मनाया जाता है।
        इसी तरह साऊथ इंडियन खास कर मद्रासी लोग गुडिया पूजा करते हैं। पुरे 9 दिन घर में सुंदर तरीके से गुडिया सजा कर पूजा करते हैं और एक दूसरे के घर जाते हैं रोज अलग तरीके का प्रसाद चढ़ाते हैं। और फिर साल भर संभाल कर रख देते हैं। हमलोग भी बचपन में गुडिया पूजा का इंतजार करते थे और अपने मद्रासी मित्रों के घर जाते घूमते और प्रसाद खाकर आते थे। खास कर प्रसाद में चना ,छोले ,लोबिया वगैरा उबाल कर नारियल डाल कर बनाया जाता था। वो भी दिन क्या थे अब तो गुडिया पूजा देखने भी नहीं मिलता है।