सोमवार, 30 मई 2022

#MAA #SHARDA TEMPLE#MAIHAR#SHAKTHEEPEETH

                माँ शारदा मंदिर       मैहर  शक्तिपीठ  

               मध्यप्रदेश के सतना जिला के  तमसा नदी के तट में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर माँ शारदा का मंदिर है।मान्यता है की देवी सती का हार इसी जगह गिरा था इसलिए माई का हार गिरा था ईससे मैहर नाम पड़ा।मैहर 51 शक्तीपीठ में से एक होने के कारन हिन्दू तीर्थस्थल है.मंदिर 600 फ़ीट हाइट और 1001 सीढ़ीसे ही ऊपर जाना पड़ता है। पर अब कुछ साल से रोप वे होने पर ऊपर जाना आसान हो गया है। शारदा देवी को विद्या की देवी सरस्वती भी माना जाता है।
             मंदिर के पीछे एक कहानी बोले या मान्यता ये भी है की आल्हा ,ऊदल नाम के दो सैनिक थे जो सैकड़ों साल पहले ये मंदिर की खोज की थी। दोनों 12 साल यहाँ तपस्या करे थे और देवी खुश होकर अमर होने का आशीर्वाद दी थी। तब से ये माना जाता है की मंदिर खुलने के पहले अदृश्य रूप में आल्ह -ऊदल सबसे पहले आकर पूजा करते है।उसके बाद ही पुजारी आकर मंदिर का ताला खोलते है।सच  जो हो मैहर में आज भी आल्ह के नाम का एक तालाब और कुश्ती का मैदान है। इस छेत्र में देवी को बहुत ही मना जाता है।
            शारदा देवी हमारी कुल देवी है ,1977 में एक बार मैहर आना हुआ था। उस समय कार ऊपर तक जाता था आराम से दर्शन हो गया था। बाद में ऊपर कार जाना बंद हो गया तो जाना नहीं हो पाया। बहुत दिन से मैहर जा कर दर्शन करने का मन था। पर जाना नहीं हो पा रहा था। अब रोप वे होने के कारन जाना आसान हो गया है। .अब जाकर खजुराहो का प्रोग्राम बना तो  जाना हुआ और अच्छे से दर्शन भी हो गया। दिल खुश हो गया मन प्रसन  हो गया।बोलते है की जब तक देवी देवता बुलाते नहीं है  तब तक वो तीर्थस्थली जाना नहीं होता और ना दर्शन हो पाता है।







      

 

     

शुक्रवार, 27 मई 2022

#BANDHVGARH #NATIONAL#PARK#TIGER#SAFARI

                    बांधवगढ़ नेशनल पार्क    टाइगर सफारी 

                   बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मघ्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया  गया।पार्क 437 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ बाघों की संख्या बहुत अधिक होने के कारन बाघ आसानी से देखा जा सकता है। 10 -15 साल से बांधवगढ़ जाने का बहुत मन था पर जाना ही नहीं हो पाता था। आखिर इस  मई के महीने में बांधवगढ़ जाना हो पाया। 
                    रायपुर से सुबह 5 बजे पार्क जाने के लिए निकले। रायपुर से पंडरिया ,शहडोल होते हुए साल के  जंगल  देखते हुए शाम को आखिर  बांधवगढ़ नेशनल पार्क पहुंच ही गए। वैसे तो पुरे पार्क में तरह -तरह के जानवर आसानी से दीखते है। मोर, हरिण ,बारहसिंघा ,चितल ,नील गाय ,गौर आदि जानवर। परन्तु लोग यहाँ टाइगर देखने आते है। ये पार्क टाइगर रिजर्व है। 
    सुबह 5 -11 बजे जीप से जंगल सफारी कराया जाता है।एक जीप में 6 लोग ,ड्राइवर और गाईड के साथ एक लाइन से 10 -15 जीप में सारे  टूरिस्ट को ले जाते है।अपना कार अंदर नहीं जा सकता है।फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के जीप में ही जाना होता है। जंगल घूमते घूमते आखिर बाघ के इलाके में आने पर बाघ नाला के किनारे विश्राम करते हुए  मिल ही गया। सारा जीप वहाँ रुक गया। खुले में बाघ देखने का मजा ही कुछ और ही है।बाघ देखते ही देखते झट से उठ कर झाड़ियों में जाकर छुप गया।  चिडीया घर में देखने का अलग ही बात है।आखिर पार्क आना सफल हो गया।