सोमवार, 26 अगस्त 2013

JUNGLE MAIN MANGALE

                                       जंगल में मंगल 
कुन्नूर चारो तरफ जंगल से घिरा है। यहाँ तरह -तरह के जंगली जानवर घुमते रहते है। पर सबों के घर में बहुत ही सुंदर गार्डन होता है। हमारे घर में भी छोटा सा नया गार्डन बनाया गया है। 
                                       हमारे बच्चों को घर के गार्डन में ही पिकनिक मनाने का मन हो गया। रविवार के दिन नाश्ता पार्टी करने का प्रोग्राम बना। कुन्नूर का मॉसम का कोई ठिकाना नहीं रहता है ,कभी खुब धूप हो जाता है तो कभी अचानक बारीस हो जाता है। कभी खूब बंदरों का झुण्ड आ जाता है। भगवान का शुक्रिया की संडे सुबह मॉसम बहुत ही अच्छा था।  
                                   बच्चों ने एक शर्त रख दी इस पार्टी का सारा इंतजाम हम करेंगे ,बड़ों को सिर्फ आकर बैठना होगा और आर्डर देना होगा। हमलोग को सुबहा 9 -10 का समय दिया। दोनों बच्चे टेबल ,चेयर ,पानी ,प्लेट और नाश्ता का सामान लगाकर रखा। हमलोगों ने पार्टी की। बच्चों ने बहुत मजा किया। मॉसम ने भी साथ दिया। पार्टी जैसे समाप्त हुआ वैसे ही बारिश भी हुआ और बंदरों का झुण्ड भी अगया। हमलोगों ने सन्डे अच्छी तरह मनाया।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

HAMARI PYARE KAKI

                                काकी को विनम्र श्रधान्जली

                                   हमारी प्यारी छोटी काकी 
हम सब की प्यारी हमारी छोटी काकी थी। हम सब बच्चों को बहुत मानती थी। पर उनमे एक बुराई थी वह अपने हेल्थ का ध्यान नहीं रखती थी। उनको शुगर की बीमारी हो गई थी। जब बीमारी ज्यादा बड गया तब वह वेळुर इलाज कराने आयी ,पर तब तक बहुत देर हो चुका था डाक्टरों ने जबाब देदीया। हम उस समय कुन्नूर में थे ,उनसे हमारा फ़ोन में हमेशा बात होता था ,हम उनको बोले थे की बेलूर से टाटा वापस जाते समय कुन्नूर हम से मिलकर जाने। 
                             हमारी काकी का हिम्मत मानना पड़ेगा इतना बीमारी के हालत में भी हम से मिलने कुन्नूर आयी हमारे साथ घूमी ,हम सबों को बड़ा अच्छा लगा। काकी से वही अन्तिम भेंट थी। उसके बाद टाटा पहुँचते तक काफी हालत ख़राब हो गई। उनको अस्पताल लेजाते तक वो बेहोस हो गयी। हफ्ते तक इलाज चला पर वह हम सबो को छोड़ कर इस  दुनिया से चलीगयी। इतनी कम उम्र में उनका अंत हो गया।    
                      देखते ही देखते साल बीत गया लगता है कल की ही बात हो 2012 सितम्बर में कुन्नूर आयी थी और 13 ओक्टुबर 2012 में उनका स्वर्गवास हो गया। भगवान उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे। आज काकी बहुत याद आरही थी। अब टाटा जाने से घर शुना शुना लगता है सब लोग हैं पर लगता है की अब काकी आकर बोलेगी बैठो ना लिली लो ना खाओना और लो। घर में सब कोई पुरा मान  सम्मान देते हैं फिर भी काकी की कमी बहुत खलती है।  मेरी प्यारी काकी। 
काकी को श्रदांजली 

कुन्नूर मेरे बच्चों के साथ 
काकी का परिवार बाराद्वारी 

बुधवार, 21 अगस्त 2013

RAKSHA BANDHAN

                                  राखी  का त्यौहार 
आज राखी है। हमको अपना छोटा भाई बहुत याद आरहा है। बहुत ही जल्द इस दुनिया से हम सब को छोड़ कर चला गया। घर में सब का प्यारा था।      भगवान ऊस  की आत्मा को शान्ती दे।
                                  भाईन सही भतीजा को भगवान सही सलामत रखे ,खूब आगे बडे ,खूब नाम कमाये। इस बार राखी में वह भी नही है। हम अपने बेटे और पोते को ही राखी बांधे। हमारा पोता को राखी बंधवाना बहुत पसन्द है।   ना तो मेरे बेटे की बहन है और ऩा तो मेरा पोता की बहन है हम ही दोनो को ही राखी बांधते हैं। और राखी मना लेते हैं। रायपुर में रहने पर बहुत लोग परिवार के रिश्तदार आजाते हैं तो अच्छा लगता है।
मेरा बेटा 
मेरा पोता  
मेरा भाई किशोर

शनिवार, 17 अगस्त 2013

MY CHILDHOOD

                               मेरा बचपन  (   5.8.2013.)
आज  मेरा बर्थडे है। देखते ही देखते हम इतने बड़े होगए ,किसी की पत्नी ,माँ नानी दादी ,सास सब बन गये। लेकिन आज भी अपना बचपन नहीं भुला पायें बचपन बचपन ही होता है। 
                    आज बचपन  की सारी बातें एक -एक कर याद आरहा है। 
मेरे पिता जी चार भाई थे ,घर में हम  सब की लाडली थे।लडकी में हम सब से बड़े थी।  मेरा बचपन बहुत ही लाड प्यार में बीता। दादा -दादी ,माँ-बाबा ,चाचा -चाची सब के गोद में खेलते हुए बीता। 
                      कोई  प्यार से लिली पुकारता तो कोई विक्टोरिया। दादी लीलू बेटा कहती। मेरी माँ मेरा नाम सुनीता रखी। हमारे दादा बच्चों के जन्म दिन में एक बड़ा सा रस्गुला लाते थे ,हम लोग उसे ही काटते थे। तब केक काटने का रिबाज नहीं था। आज भी वह रस्गुला याद आता है। 
          बचपन के दिन बहुत मजे में गुजरा ,आज जन्म दिन के दिन पुरानी बातें बार -बार याद आरहा है। माँ के हाथ का स्वादिस्ट भोजन ,उनका प्यार ,दुलार। घर में काका चाचा सब के बच्चों को मिला कर हम पाँच भाई और बहन थे। हमें पता ही नहीं था की हम सग्गे नहीं चचेरे हैं। दादा दादी के गोदी में हम पांचों  का लालन -पालन हुआ। बचपन में हम सबों को दादा के ऑफिस से आने का इंतजार रहता था ,दादा आते समय हमलोगों के लिए रसमलाई लाते थे जब हमारा रिजल्ट निकलता था उस दिन शाम को एक हंडिया गोरंगो मिष्टान से रसगुला लेकर आते थे। हमारे बाबा हमेशा सिंघाड़ा और जलेबी लाते थे। 
              आज हमारा भरा पूरा परिवार है नाम है धन -दॉलत ,मान -सम्मान है। बहु बेटे ,पोते सबों ने मिल कर मेरा जन्म दिन मनाया।  
                     हम बहुत किस्मत वाले हैं ,आज बच्चों ने कार्ड फूल दिया ,बहु ने मेरी पसंद का केक बनाया ,बेटे ने चोकलेट दिया मजेंमे मेरा जन्म दिन मनाया गया।फिर भी माँ के हाथ का पकबान और बचपन के ओ दिन बार बार याद आ रहा है।  
                मेरे दादा 1955 में लन्दन से हमको कार्ड भेजे थे हम अभी तक सम्भाल क़र  रखे हैं। लन्दन से चाभी वाला कैट लायें थे अभी तक मेरे पास है
। दादा दादी के गोद में 
माँ 
बाबा 
दादा  दादी 
Hum
Rita,Bhaiya & Hum

Maa


With Kishore