गुरुवार, 30 जून 2016

ROSEVILLE ( SACRAMENTO )

                                                                             ROSEVILLE
                                                                     PUJA KE GHAR ANGAN
                सैनफ्रांसिस्को घुमने के बाद ,तीसरे दिन एमट्रेक्स ट्रेन से सैक्रामेंटो के लिये निकल पड़े। ट्रेन समुंदर के किनारे -किनारे जा रही थी। जहाँ एक तरफ समुंदर दो दुसरी तरफ जँगल पहाड़ बड़ा ही मनोरम दृश्य था। जल में बड़ी छोटी नौका जा रही थी। गोल्डन गेट ब्रिज भी दिखा, ट्रेन भी काफी फ़ास्ट थी।सुबह 10 बजे चले थे सैक्रामेंटो 12 बजे दिन तक पहुँच गये।पुजा स्टेशन लेने आई।
           पहले पता नहीं था की कैसा शहर है ,क्या देखते है बड़ा -बड़ा बिल्डींग सुंदर रोड मॉल क्या नहीं था ,पुजा से पुछने पर पता चला की कैलीफोर्निया का स्टेट कैपिटल है इसलिए इतना अच्छा और चहल -पहल है। सारे सरकारी ऑफिस ,कोर्ट ,कचहरी  सब यहाँ है। हमलोग तो सोचते थे की कैलीफोर्निया का स्टेट कैपिटल लॉस एंजेल्स होगा। सैक्रामेंटो से रोजविले पुजा के घर पहुँचते 1 बज गया। हमलोगों के लिये बढ़िया लंच तैयार रखी थी। हमलोग खा पी कर थोड़ा आराम करने लगे तब तक तीन बज गया था पुजा बच्चों को स्कूल लेने चली गयी।
     पुजा के घर के पीछे जैसा की मिआमी में ज्योति के घर में देखने मिला था। सुंदर लेक चारो तरफ मकान ,लेक में ढेर सारी छोटी बड़ी बत्तख ,जल पक्छी खुब मस्ती कर रही है शाम भी हो रहा था उनके वापस लौटने का समय हो रहा था कोई उड़ रही थी तो कोई किनारे से बीच में जा रही थी बड़ा ही सुहाना शाम था। लेक के चारो तरफ फुटपाथ बना था।पुजा हमलोगो को लेकर टहलने निकल पडी। बच्चे तो साईकल से हमलोगों के आगे -आगे जाने लगे। मौसम भी अच्छा था।,यहाँ मौसम का कुछ भरोसा नहीं रहता है कभी भी धुप ,पानी और ढन्ड सब साथ -साथ चलते रहता है।
      संजय तो सुबह 8 -9 बजे ऑफिस चले जाते थे और रात को 8 -9 बजे तक आते थे। बच्चे भी सुबह 8 बजे स्कूल जाते तो दोपहर 3 बजे आते थे। पुजा हमलोग को रोज दिन में घुमने ले जाती थी।  रोजवीले का मॉल और पुरा  सिटी ,इंडियन स्टोर   सब जगह खुब घुमाई खिलाई पिलाई तीन दिन पुजा के घर जम कर मेहमानी करवाए। वैसे पुजा के साथ कोई फोर्मलिटी तो था नहीं ,पुजा के स्कूल के मित्र तो कहीं रायपुर के पड़ोसी ,घर परिवार के लोग बस इधर उधर के बात में समय का पता ही नहीं चलता था   ,मेरा तो बाकी टाईम ड्राइंग रूम में बैठ कर या बरामदे से लेक का मजा लेना रहता था।लेक में एक मजेदार चीज देखे दोपहर में लड़के लोग मछली पकड़ते थे यहाँ मछली पकड़ना एलॉय है पर फिर वापस डालना पड़ता है बिना नुकसान के ,लोग आते पकड़ते और छोड़ते पानी वरसे या धुप छाता लेकर बैठ जाते ये भी अजीब शौख।
   पुजा दोपहर को हमलोगों को लंच करा कर बच्चों को लेने स्कूल जाती थी एक दिन हम भी साथ हो लिये। वहाँ जाकर ध्यान दिए अरे बच्चे तो बिना स्कूल ड्रेस के हैं तब पता चला यहाँ सिम्पल और ईजी ड्रेस में आना होता है। बड़ा अच्छा लगा इण्डिया में तो कैसा भी स्कूल हो टाई कोट वगैरा। हम पुछे दोनों बच्चों में अभी आकर कौन लड़ेगा आगे बैठने वह बोली यहाँ तो बच्चों को आगे बैठना मना है पीछे सीट बेल्ट के साथ।एक चीज और अच्छा लगा रोज सुबह तीनो बाप बेटों को सब्जी पराठा टिफिन में देती थी और रात को गरम दाल रोटी वगैरा।  पुजा बोली मामी शनि इतवार बाहर जो खाना हो खाते हीं हैं पर घर में अपना इण्डियन खाना तो खाना ही चाहिए। सुन कर अच्छा लगा,









3-4दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। संडे सुबह हमलोगो को LA के  लिये निकालना था। पुजा लोगो को छुटी के कारन घुमने  और बर्थ डे पार्टी में जाना था फिर भी सुबह उठ कर गरमा गर्म नास्ता कराकर एयर पोर्ट लेगई। संजय बोले हमतो प्लेन में बैठा कर ही वापस जायेंगे। जबतक सिक्युरिटी चेक नहीं हुआ तब तक हमलोगों के साथ अंदर तक गये। 
                                                                                                           क्रमशः                     
  
  

मंगलवार, 28 जून 2016

SAN FRANCISCO

TUE,28 JUN
                                                       सैनफ्रांसिस्को 
                   पोर्टलैंड में अपने अमेरिकन मित्रों से विदा लेकर सैनफ्रांसिस्को को फ्लाई किये।वैसे तो 20 -25 साल पहले बच्चों के साथ यहाँ आये थे पर ज्यादा कुछ याद नहीं था ,बस ट्राम में घूमें थे वह याद था। पर इस बार तीन दिन रुकना हुआ तो खूब अच्छी तरह घूमना देखना हुआ। एक दिन तो हॉप ऑन ऑफ में दिन भर घूमे एक दिन नाईट टूर ले लिये। 
          सेनफ्रांसिस्को का गोल्डन गेट ब्रिज  वर्ल्ड फेमस है ही दिन और रात दोनों का नजारा देख पाये।ब्रिज का लम्बाई    1. 2 मिल  और  हाईट 27 फ़ीट  है  . ब्रिज  ऑरेंज कलर का है और हर साल रंगा जाता है।शाम को धुप में गोल्ड जैसा चमकता है।  पनामा कैनाल से सैनफ्रांसिस्को के रूट में पड़ता है। शिप को धुंद में भी ब्रिज दिखे इसलिए ये कलर लगाया गया है और तेज से तेज आंधी भी झेल सके ऐसा बना है।ब्रिज में फुटपाथ भी है जिसमें पैदल और साईकल से जाने -आने के लिये और कार से सैनफ्रांसिस्को से न्यूयार्क जा सकते हैये  टोल रोड है।
      गोल्डन गेट ब्रिज की तरह यहाँ का ट्राम टूर भी बहुत ही निराला है। सब रोड  बहुत ही अप -डाउन  होने के कारन ट्राम में घूमने का अलग ही मजा है। पहले घोडा गाड़ी पलट जाता था इसलिए  1890  में केबल कार शुरू हुआ पर 1906 में बहुत बड़ा भूकम्प होने पर आग से अधिकतर ट्राम जल गया। अब 21 केबल कार है जो की 52 . 8 मिल दिन भरअप डाउन करती है।टूरिस्ट का लाईन लगा रहता है। हमलोग भी घंटा भर ट्राम का मजा लिये।  
      यहाँ का चाइना टाउन भी बहुत फेमस है। और समुंदर किनारे फिशरमैन वार्फ का बात ही कुछ और है। खाने पीने वाले टुरिस्ट का दिन भर यहाँ बीतता है। यहाँ कोई रोड में सेगवे का मजा ले रहा है तो कोई बैट्री कार में घुम रहा है। कहीं गाना बजाना चल रहा है। कोई फ़ेरी का मजा ले रहा है हमलोगों ने भी 2-3 घंटा खूब घुमे खाये पीये और सब नजारा का आनन्द लिये। यहाँ भी बैठे बैठे बच्चों को याद कर रहें थे वे लोग होते तो सेगवे और बैट्री कार का मजा जरूर लेते ,हमलोग तो बस देख कर मजा लेते हैं। यहाँ का फेमस जेली बेली चॉकलेट का भी दुकान था जहाँ पता नहीं कितने शेप और वेरायटी का चॉकलेट था जो जो पसंद हो लेते जाओ और बाद में काउन्टर में तौल कर पैसा देदो। हमलोग तो २-4 ही लिये पर रोहन को जरूर याद किए की वो तो बड़ा ख़ुश होता और मुठी भर -भर कर बहुत वेराइटी का चॉकलेट लेता।
          यहाँ टूर में कब्रिस्तान भी जरूर दिखाते है बहुत ही सुंदर सैकड़ों कब्र सब सफ़ेद रंग में लाईन से साफ सुथरा दूर से ही देखने में अच्छा लगे ऐसे सजा कर रखते है। जीतना बड़ा सनफ्रांसिस्को उतना ही पुराना शहर और उतना ही घूमने और देखने की जगह। तीन दिन अच्छे से घूम फिर कर आगे के सफर के लिये चल पड़े।
                                                                                                                                      क्रमशः







                                                                         
         
  
          

शनिवार, 25 जून 2016

CAMAS

                                                                            CAMAS                                          (  PART -2 ) 
                       सीएटल से कामस शाम को 4 बज गया  पहुँचते।  निकी की माँ पड़ोस में ही रहती थी।निकी सुबह 4 बजे से उठी थी वह अपनी माँ के घर आराम करने चली गयी। हमलोग भी थके थे थोड़ा बेट्टी के घर गप -सप कर के फिर कामस घूमने निकल पड़ें।बेट्टी ने कमस में लुई का स्कूल ,कॉलेज ,खेत और पूरा शहर का राऊँड लगा कर डिनर कराते वापस 8 बजे तक घर लाई। निकी भी अपनी माँ केरेन को लेकर मिलने आई। 
         निकी और केरेन का कोई इंडियन दोस्त नहीं है और ना तो वह इंडिया के बारे में ज्यादा कुछ जानती है   .इसलिए बहुत कुछ पुछी और जानने समझने की कोशिश की ,जैसे शादी के विषय में पूछी जब हमलोंगों से सुनी की हमारे यहाँ लड़का और लड़की के माँ -बाप शादी तय करते हैं। घर वर पसंद करते तब शादी पक्का होता है और इसलिए यहाँ तलाक भी बहुत कम होता है।यहाँ जॉएंड फैमिली का कल्चर है। उनलोगों को सुन कर जितना ताजुब्ब हुआ उतना ही पसंद भी आया। निकी के जन्म के पहले ही केरेन का तलाक हो चुका था। अमेरिकन लाईफ स्टाईल के कारन बेट्टी इतनी बुजुर्ग होने पर भी अलग घर में रहती है ,बेट्टी की बेटी केरेन भी अलग पड़ोस में रहती है और उसकी बेटी निकी भी अलग रहती है।उनलोग को इतना अच्छा लगा सब सुनकर। उनलोगों ने  साड़ी ,साल ,पार्लर से लेकर त्यौहार तक के बारे में बहुत ही बारीकी से पुछा।
  बेट्टी के परिवार से मिल कर हमलोगों को भी बहुत अच्छा लगा। हमलोगों को पता था की ये लोग फार्मर हैं और फार्मींग  करते हैं। पर यहाँ आकर क्या देखते हैं ये सिर्फ फार्मर नहीं ये तो जमींदार हैं। सैकड़ो एकड़ जमीन है। खेत ,खलियान ,ट्रैकटर ,जमींदारों की तरह रहन सहन ,3 -4 गाड़ी ,बड़ा सा घर क्या नहीं था। बस अमेरिका होने के कारन सब काम खुद करना पड़ता था। वहीं अपने देश में जमींदार बोलने से नौकर -चाकरों का फौज देखने मिलता। लुई ट्रैकटर भी खुद चलता है और गाड़ी भी खुद चलता है। लुई और बेट्टी दोनों ही काफी बुजुर्ग है 80 ,85 साल के होगये है पर हमलोगों को लेने सुबह 4 बजे से उठ कर कार चला कर सीएटल से घूमते हुए कामस लाना कामस भी घुमना और दूसरे दिन घूमते हुए एयरपोर्ट छोड़ना सब उनलोगों ने किया। अब उम्र होने के कारन बेट्टी कुकिंग नहीं करती है ,वेलोग रेस्टुरेन्ट में ही ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर सब बहार  ही करते है। हमलोगो को सीएटल से पोर्टलैंड  छोड़ने तकजब जैसा टाइम था बहार ही खिलाई पिलाई। रेस्टुरेन्ट में पहले ही बोल देती थी नो मीट ओनली वेज  .
      जाते जाते हमलोगो को अपनी बेटी केरेन के घर भी लेगई। हमलोग जैसे कुछ गिफ्ट करते है वैसे गिफ्ट दी गले मिली। वास्तव में वो 24 घंटा कैसे बीता पता ही नहीं चला। हमलोगो को जैसे उनका साथ अच्छा लगा वैसे उनलोगों को भी हमलोगो से मिल कर बहुत अच्छा लगा। कोई फॉर्मलेटी ,दिखावा कुछ भी नहीं। इतने बड़े लोग होकर भी अपने रिस्तेदार जैसा वयवहार करी,सचमुच पता नही कैसे ऐसा दोस्त मिल गई और 10 साल से दोस्ती निभा रही है।
                                                                                                                                 क्रमशः







  


             
                 

शुक्रवार, 24 जून 2016

SEATTLE TO PORTLAND VIA CAMAS

FRI,24 JUN                                                 सीएटल                                                            ( part -1 )
                                                            24  घंटे मित्रों के साथ 
                आखिर 11 वें दिन हमारा क्रुज का सफर समाप्त हुआ ,सुबह 8 बजे हम सीएटल पहुंचे। यहाँ हमारी पुरानी मित्र बेट्टी और लुई अपनी नातिन निकी के साथ पोर्ट से अपने घर कामस लेजाने के लिये तैयार थे। उनकी नातिन 20 -22 साल की बड़ी ही प्यारी बच्ची थी। वैसे तो निकी वैंकोवर में कॉलेज में पढ़ती  भी है और चीज फैकट्री में काम भी करती है. पर इंडिया से नाना नानी के मित्र आ रहे है इसलिए संडे भी था एक दिन मंडे का छुटी लेकर सीएटल आई थी।
    पहले तो सीएटल घुमाई अच्छा बड़ा शहर था पर दो जगह बहुत ही अच्छा लगा। एक तो बोईंग का म्यूज़ीयम यहाँ वेलोग 100वें  साल सेलीब्रेटकर रहे थे। यहाँ राहुल को याद किये वो होता तो सिम्युलेटर का मजा लेता। प्रेसीडेंट का प्लेन भी म्युजियम में था उसमें भी चड कर घूम -घूम कर देखने का मौका मिला।   और दूसरा यहाँ का मार्केट। संडे होने के कारन बहुत चहल -पहल था। टुयलीप फुल का बहार था ,गार्डन से सीधे  लाया हुआ फुल ,फल और ताजा  सब्जी से पुरा मार्केट सजा था।यहाँ मछली बेचने का तरीका भी बड़ा मजेदार था। जब कोई ग्राहक से सौदा पक्का हो जाता तो गाना गाते हुए जोर से उछाल कर काउंटर में फेंकते और दुकानदार उसे कैच कर लेता। बड़ा मजा आया ऐसा भी तरीका हो सकता है। 
      मार्केट के पीछे एक पतला गली था ,निकी वहाँ लाई कुछ समझ नहीं आया की इतना बदरंग दीवाल वाला गली में क्या है। उसने बताया पुरे दीवाल में जो दिख रहा है सब चुयंगम है। इस गली का नाम गम स्ट्रीट है। उसने बताया वह भी अपने दोस्तों के साथ यहाँ गम चिपकाई है। बहुत लोग तो पेपर में नाम और तारिख भी लिख कर गम चिपकाए थे। देख कर मजा और आशचर्य दोनों हुआ।सीएटल से सीन सीनरी मार्केट सब घूमते हुए कामस पहुंचते शाम होगया। 
                                                                                                                                            क्रमशः     









सोमवार, 20 जून 2016

VICTORIA BRITISH COLUMBIA

TUE,21 JUN
                                                    VICTORIA   B C (CANADA ) 

             नौवें दिन और रात हमारा क्रूज चला तब दसवें दिन दोपहर में हम कनाडा के विक्टोरिया सिटी में पहुंचे। जब से हमलोग वैंकोवर से चले थे तब से बहुत ही छोटे -छोटे सिटी कम आबादी वाला ही मिला था। अब जाकर दसवें दिन कनाडा के बड़े सिटी में पहुंचे। विक्टोरिया ब्रिटिश कोलम्बिया का कैपिटल सिटी है।
   विक्टोरिया पैसिफिक नार्थवेस्ट का सबसे पुराना सिटी है। 1843 में ब्रिटिश सेटलमेंट हुआ था। नार्थ अमेरिका में सन फ्रांसिस्को के बाद यहाँ का चाइना टाउन सबसे पुराना है। यहाँ का ब्रिटिश कोलंबिया पार्लियामेंट बिल्डिंग जो 1897 में और लेजिस्लेटिव असेंबली बिल्डिंग यहाँ का लैंड मार्क है जो की बहुत ही सुंदर है ,और एम्प्रेस होटल जो 1908 में बना टूरिस्ट को दिखाने लाते हैं।
     वैसे तो यहाँ घूमने और देखने का बहुत कुछ है पर यहाँ का बुचार्ड पार्क जो की 55 एकड़ में बना है और जहाँ बारों महीना फुलों की छटा देखने लाखौं टूरिस्ट आतें है। कमसे कम 3 -4 घंटा लगता है। पर हमलोगो को वापस लौटना था इसलिए हमलोग नहीं जा पाए। यहाँ बड़ा -बड़ा मॉल भी देखने मिला। और 3 क्रूज भी आया था।
                                                                                                                                     






 क्रमशः 
                                                                                                                                                             


शनिवार, 18 जून 2016

KETCHIKAN (SALMON CAPITAL OF THE WORLD )

SAT,18 JUN
                                                  SALMON  CAPITAL OF THE WORLD
                                                                    KETCHIKAN

                                        आठवें दिन हमलोग केचिकन पहुँचे। यहाँ की आबादी 14,000 हजार है। यहाँ सलमोन फिश की केन में पैकिंग कर के सारी दुनिया में भेजा जाता है। गुलाबी स्मोक सलमोन और बहुत तरह का सलमोन फिश का केन में पैक होता है और टूरिस्ट लेजाते हैं। इसलिए केचिकन को वर्ल्ड का सलमोन कैपिटल बोला जाता है। यहाँ साल में करीब 200 ईंच  वर्षा होती है। यहाँ धूप और वर्षा साथ में( लिक्विड सनशाइन LIQUID  SUN SHINE ) का मजा भी टूरिस्ट लेते हैं। 
   हमलोगों ने शटल बस से सिटी टूर किया और डक टूर (DUCK  TOUR )भी किया। डक टूर भी बड़ा मजेदार टूर था। बस कभी रोड में तो कभी बोट बन कर पानी में चलता था घंटे भर का टूर था। शीतल बताई थी अमेरिका में डक टूर भी होता है उसी को याद में रख कर इसका मजा लिये। 
     बचपन में छोटी काकी से सुने थे की भागलपुर में बीजेन मामा के पास ऐसा कार है जो कभी पानी में तो कभी रोड में चलता है। उस समय बड़ा ताजुब होता था की ऐसा भी होसकता है।अलास्का में इस टूर का भी मजा ले पाये। काश आज काकी होती तो उनको बताते ,कितना खुश होती। उनको भी अच्छा लगता और अपना बचपन याद करती।
                                                                                                                                    क्रमशः 






  

गुरुवार, 16 जून 2016

ICY STRAIT POINT

THU,16 JUN
                                                                 ICY STRAIT POINT
                                                                HOONAH, ALAASKA
                                                                        व्हले  की नगरी 
            सातवें दिन व्हले की नगरी आईसी स्ट्रेट पोईन्ट पहुँचे।पोर्ट में क्या देखते है पारम्परिक लिबास में लोकल लोग गाजे बाजे के साथ हमलोगों का स्वागत कर रहे है। देख कर अच्छा लगा।  आज कुछ खास करने का था नहीं ,शटल बस से डाउन टाउन जा कर पैदल घुमना था। घंटे भर में घुमना हो गया। बहुत ही छोटा शहर था। बस चर्च ,स्कुल हॉस्पीटल वगैरा देखे। पता चला यहाँ का आबादी 800 के करीब है पर यहाँ भूरा भालू हजारों की संख्या में है,और यहाँ बड़ी ईगल भी बहुत है जो दिखा भी।यहाँ एक दुकान में खुले आम गन और औजार बिक रहा था ,दुकान दार से पता चला  की  यहाँ लोकल लोंगो को गन रखने का लाइसेंस नहीं लगता और वे लोग अपने वचाव के लिये गन रखते है। 
     वैसे यहाँ का मेन  काम मछली पकड़ना है , छोटी छोटी बोट समुन्दर किनारे भरी पडी थी। यहाँ के पानी में बड़ी केकड़ा भी बहुत है क्रैब खाने वालों  के लिये समुन्द्र के किनारे उसका भी इन्तजाम था। अब हम सिटी से समुन्द्र किनारे वापस आगये। यहाँ वर्ल्ड का सबसे लार्जेस्ट ज़िप राइडर वो भी 1330 वर्टीकल ड्राप इसलिए टूरिस्ट यहाँ आते हैं और ज़िप राइडर का मजा लेते है। हमलोग तो दूर से ही देख लिये देख कर ही डर लग रहा था। पर बरबस राघव को याद किए अरे ये तो राघव के लायक है ,उसको तो एडवेंचर पसंद है।ये वर्ल्ड फेमस होने के कारन मौसम में 70 -80 क्रुज आता है और टूरिस्ट मजा लेते हैं। 
    अब कुछ व्हले की बातें हो जाये।  ,व्हले नगरी बोल कर व्हले के बारे में तो कुछ बताना ही नहीं हुआ। सब जगह घुम कर जब वापस समुन्द्र किनारे आएं किनारे -किनारे ही पाथवे बना हुआ है पोर्ट तक जाने के लिये
क्या देखते हैं बड़ी बड़ी व्हले खुब मस्ती कर रही है। बस पाथवे में चलते जाओ  ,चलते गए बस व्हेल ही व्हले घंटो नजारा देखते देखते बढ़ते गया समय का पता ही नहीं चला। अभी तक तो जहाज से व्हले को जाते -जाते देखे थे पर यहाँ तो खुब सारी देखने मिला। सारे क्रुज वालों ने जम कर फोटो लिया और व्हले नगरी में व्हले का मजा लिया। 
                                                                                                                                                    क्रमशः