भईया की बरसी
24 . 2 . 2016 ( पूण्य तिथि )
विनम्र श्रद्धांजली
जो इस दुनिया में आया है उसे जाना तो होता ही है बस उनकी याद ही रह जाती है। देखते -देखते अब एक साल भी हो गया भईया को गये। आज भी याद है जब भईया हाथ पकड़ कर स्कूल में भर्ती कराने ले गए थे और रोज दोपहर में मिलने आते थे कहीं कुछ चाहिए तो नहीं। स्कूल तो स्कूल कॉलेज भी भईया के साथ ही एडमीसन के लिये गए थे। छुट्टीयों में जब भईया हॉस्टल से घर आते थे तो पढ़ाई के बारे में पूछते थे और रोज पढ़ाते भी थे।
वैसे भईया ज्यादा हँसना ,बोलना, मिलना जुलना नहीं करते थे ,हमलोग भईया से डरते भी थे। अपने में ही मस्त रहते थे पर अंतिम समय भईया का प्राण हम दोनों बहनो में अटका था। हर आहट में बोलते थे देखो लीली ,रीता आई है दरवाजा खोलो। जब हमलोग भईया से मिलकर वापस आ गए तो उसके बाद ही भईया सोते -सोते में दुनिया छोड़ कर चले गए।
ऐसे ही थे हमारे बड़े भईया ,बस जो थे जैसे थे वो थे तो हमारे भईया।
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। यही हम सबों की श्रद्धांजली है।