शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

NEUSCHWANSTEIN CASTLE (A FAIRYTALE CASTLE )

     NEW SWANSTONE CASTLE

              न्योस्वानस्टोन  कैसल

                   म्यूनिख सिटी से काफी दूर में अल्पस पहाड़ के ऊपर फ्यूसन टाऊन के पास ये कैसल है । राजा लुडविंग II वावेरिया जो की फेयरीटेल राजा के नाम से भी जाना जाता था ,उसने वाल्ट डिजनी से प्रभावित हो कर 18 वीं शताब्दी में इस कैसल  को बनवाया था। राजा के मृत्यु के बाद कैसल को फिर से नया लुक दे कर 19 वीं शताब्दी में दर्शाकों के लिये खोला गया। हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक इस कैसल को देखने आते है।
       पहाड़ी के ऊपर होने पर नीचे टाऊन से ही कैसल की भव्यता देखते ही बनती है। इस कैसल की अनेक खासियतों में से एक तो 18 वीं सदी का होने पर भी उस ज़माने से ही हर फ्लोर में टयलेट ऑटोमेटिक फ्लश के साथ ,हर फ्लोर में ऑटोमेटिक एयर हीटींग सिस्टम। 200 मीटर दूर झरने के पानी से 24 घंटा वाटर सप्लाई इत्यादी। इसके अलावा तीसरी मंजिल में शानदार ओपेरा हाउस जो की उस ज़माने के प्रसिद्ध म्यूजिक कम्पोजर रिचर्ड वैगनर के नाम पर है। आर्टीफेसीएल गुफा ,गार्डन ,कैसल के चारो तरफ सुन्दर लैंडस्केप से पूरा वादी ही अति सुन्दर देखने योग्य मन को मोहने वाला। जो भी पर्यटक म्यूनिख आता है वो कैसल देख कर ही जाता है।
   म्यूनिख शहर से ट्रेन और बस से करीब -करीब अढ़ाई  घंटा जाने और अढ़ाई घंटा आने में तथा 2 -3 घंटा घुमने में ,सब मिला कर 7 -8 घंटा का टाईम कैसल  टूर में लग जाता है। ट्रेन और बस के सफर के बाद स्टेशन से ऊपर फ्यूसन टाऊन से खड़ी चढ़ाई शुरू होती  है। कैसल देखने यहाँ से घोडा गाड़ी ,बस या पैदल चल कर ही जा सकते है. ऊपर मैरी ब्रिज के  बाद पैदल वहाँ से प्रकृतिक नजारा,झरना ,जंगल ,पहाड़ ,दूर से कैसल देखते हुए 10 -15 मिनट की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद ही अंदर कैसल में प्रवेश कर सकते है।
      राजेश के जोर देने के ही कारन इतना अद्भुत पहाड़ और कैसल देख पाए। पहले पता होता की इतनी ऊंचाई में है तो शायद  सिटी टूर ही करते।यहाँ आकर बरबस वैष्णव देवी और अमरनाथ यात्रा याद आगया। ट्रेन का सफर भी कम रोमांचकारी नहीं था। रास्ता भर बाग -बगीचा ,खेत -खलियान ,चारागाह- मवेशी ,एल्पस पहाड़ों का श्रीन्खला इत्यादी का नजारा देखते हुए जाना आना  बहुत ही अच्छा  लगा समय का पता ही नहीं चला। रास्ते भर सोलर सिस्टम भी देखने मिला। जब की सूरज तो कम ही निकलता है ,ठण्ड और ग्लेशियर का देश है। घूम घाम कर रात्री विश्राम के बाद दूसरे दिन नए जगह के लिये निकल पड़े।







 
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