रविवार, 9 सितंबर 2018

FRANKFURT

                               फ्रैंकफर्ट

            जर्मनी का पाँचवा सबसे बड़ा शहर फ्रैंकफर्ट है। मेन नदी को फर्ट और फ्रैंकों का  घाट इसलिए फ्रैंको के निवास स्थल होने के कारन फ्रैंकफर्ट नाम पड़ा। वैसे तो यरोप के हर शहर  में चर्च ,कैथेड्रल ,म्युसियम ,टाऊन हाल ,सिटी सेंट्रल ,कंसर्ट हॉल इत्यादी होता है ,यहाँ भी देखने मिला। पर वर्ल्ड वॉर -2 में सब नष्ट हो गया था ,और पुर्निर्माण कर फिर से पहले जैसा बनाया और बसाया गया. सिटी देख कर जरा भी नहीं लगेगा की कभी कुछ घटना हुआ था। यहाँ दुनिया के सभी प्रमुख बैंको का हेडक्वॉटर है। सभी तरह का एजुकेशन ,टूरिजम सुब बहुत अच्छा है।
     वैसे तो खूब घूमे देखे समझे ,पर एक बात बहुत अच्छा लगा ,जब टूरिस्ट बस में घूम रहे थे तो ईयर फ़ोन में इंगलिश में तो सुनते ही थे पर यहाँ हिन्दी में भी टूर के बारे में सुन कर बड़ा अच्छा लगा और अपने इंडियन होने पर गर्व भी हुआ। यहाँ का एक रोड का नाम वाईन स्ट्रीट है। सुन कर थोड़ा अजब लगा पर जब टूर गाईड इसके पीछे की कहानी सुनाया  तो मजा आगया।
       बात बहुत ही पुरानी है ,किसी ज़माने में इस गली में छोटा -छोटा माकन था और बहुत ही गरीब धोबी ,माली मजदुर ,किसान वगैरा रहते थे। और अपना -अपना काम करते थे। माली अपने बाग से ताजी फल और सब्जियाँ लाकर बेचा करता था। फिर सेव  का शराब भी बना कर लाने लगा। धीरे -धीरे माली लोग  अपने घर में शराब बनाते और जब तैयार हो जाता तो अपने घरों के छत में कुछ पत्तियां रख देते मतलब वाईन तैयार हो गया है। लोग -वाग आते और वाईन का लुफ्त उठाते। देखते ही देखते झोपड़ी रेस्टुरेंट में बदल गया। अब तो वहाँ छोटे -बड़े सब मिला कर 200 के करीब रेस्टुरेंट हो गया। जहाँ खाना पीना सब मिलता है। टूरिस्टों को घुमाते  है ,बताते है और टूरिस्ट लोग वाईन का मजा लेते है इसलिए इस गरीब बस्ती का नाम अब वाईन स्ट्रीट पड़ गया। है ना मजेदार ,इंटरेस्टिंग ,सच्ची कहानी।
     दिन भर घूम घाम कर ,रात्री विश्राम करके फिर सुबह नई यात्रा पर चल पड़े।











       

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