गुरुवार, 27 जून 2019

ALOEVERA

                            घृतकुमारी    (  एलोवेरा  )

       घृतकुमारी एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। वैसे तो इसका मूल स्थान उत्तरी अफ्रीका है ,और वहीं से सब जगह फैलाहै ,पर हमारे प्राचीन आर्युवेद के ग्रंथो में इसका उल्लेख है।इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है। इसका अर्क और जेल ब्युटीप्रोडक्ट ,दवाई बनाने में उपयोग किया जाता। भारत ,चीन ,जापान में पारम्परिक चिकत्सा में भी इसका उपयोग करते है।
     बचपन से देखते और सुनते थे की घृतकुमारी का पौधा उपयोगी है देशी दवाई के रूप में काम में लिया जाता था। गार्डन में शोभा के लिये लगाया जाता था और काम में भी लाया जाता था। पर अब  5 -7 से इसका चलन बहुत बढ़ गया है और एलोवेरा नाम से ही सब जानते और यूज़ करते है। सदा बहार पौधा है ,एक बार लगाओ तो मरता भी नहीं है और एक से अनेक बढ़ते जाता है। 





 


















बुधवार, 26 जून 2019

SHIVA MANDIR

                     शिव शक्ति मंदिर

       डी डी नगर में कॉलोनी के बीच बड़ा ही सुन्दर छोटा सा मंदिर है। मंदिर नया ही बना हुआ है ,पर वहाँ देवी जी ,हनुमान जी और शिव जी तीनो भगवान बिराजमान है।मंदिर का कैम्पस बड़ा है और बहुत ही सुन्दर  गार्डन बना हुआ है। रात को गार्डन में फवारा और लाईट जलता है तो बहुत ही सुन्दर नजारा दीखता है।मंदिर का प्रांगण बड़ा होने के कारन नवरात्री में दुर्गापूजा भी धूमधाम से मनाया जाता है। यज्ञ ,हवन पूजन के लिये बहुत ही शांत एकांत वातावरण मंदिर कैम्पस में है।बाबा के साथ मंदिर जा कर दर्शन करने का मौका मिला।









   

मंगलवार, 25 जून 2019

BAG KI SAIR BABA KE SANG

                        बाग की सैर

       कल बाबा के साथ बाग की सैर किये। बाबा बहुत खुशी -खुशी पार्क ले गये जहाँ रोज शाम को टहलते है। जहाँ एकदम हरा भरा पुराना बड़ा -बड़ा पेड़ था.वहीं एकदम मॉडर्न खुले में  जिम वह भी एकदम  फ्री ,आओ बैठो घूमो ,जिम करो या जॉगिंग। काफी चहल पहल था। देख कर बड़ा अच्छा लगा। शांत ,एकांत और चहल -पहल सब पार्क में था। कोई भीड़ -भाड़ भी नहीं सिर्फ कॉलोनी वाले लोग।एकदम शांत वातावरण। बाबा को खुश देख कर अच्छा लगा। बाबा एकदम रायपुर में एडजस्ट हो गए और बाबा का मन भी लग गया। 






रविवार, 23 जून 2019

MUSSAENDA PLANT

                            मुसैनडा  फ्लावर

          मुसैनडा एक ऑर्नामेंटल पौधा है। जिसका मूल स्थान अफ्रीका है ,पर एशिया के अधिकांश भूभाग में पाया जाता है। लाल ,गुलाबी ,सफ़ेद,पीला इत्यादी रंगो का होता है।वैसे तो करीब -करीब साल भर ही हरा भरा रहता है और फूल होते रहता है। पर बरसात में इसकी छटा देखते ही बनती है ,बरसात में फूल का रंग थोड़ा  चटक होता है वहीं गर्मी में फीका एकदम डल रहता है। हर बार फूल होने के बाद उचित कटाई छटाई करने पर शेप भी अच्छा दीखता है। इसका फूल पत्ते के ऊपर रंगीन पत्ते जैसा ही दीखता है। यदि छोटा नहीं रखना हो तो कटाई ज्यादा नही करना चाहिए तो फिर पौधा अच्छा बड़ा  5 -6 फ़ीट हाईट का भी होता है। बड़ा गार्डन में फूल के मौसम में फूल से भरा पौधा  गार्डन का रौनक बढ़ा  देता है।  ।मेरे पास गुलाबी ,पीला और सफ़ेद तीन रंग का था इस बार गर्मी अधिक होने के कारन गर्मी में सफ़ेद पौधा मर गया। बरसात होने पर पीला और गुलाबी का रौनक लौट आया है।


 
  

शुक्रवार, 21 जून 2019

MINT FLOWER

                    पुदीना का फूल

       पुदीना बारोमासी खुशबूदार जड़ी -बूटी है। यह औषधी गुणों से भरपूर है।करीब -करीब सारी दुनिया में पाया जाता है। दवाई ,कॉस्मेटिक ,पये पदार्थ ,तेल इत्यादी बनाने में उपयोग किया जाता है। थाली की शान पुदीने की चटनी है ही। इसके खाने से जहाँ जायका बढ़ जाता है फायदा भी बहुत करता है। बस सिर्फ एसिड रिफ्लेक्स वालों को कम लेना चाहिए नहीं तो नुकसान करता है ,बाकी कोई भी किसी तरह उपयोग कर सकता है।
    हमारे घर में हमेशा ही पुदीना का पौधा रहता ही है। जब मन किया बस खोंट कर चटनी बनाओ और खाओ। जीतना काट -छांट करो उतना ही बढ़ते रहता है। हमेशा तोड़ कर उपयोग करते रहते थे कभी ध्यान ही नहीं दिए और ना तो कभी दिखा ही की पुदीना में फूल भी होता है। पहली वार इसमें फूल दिखा जब की कई बरसो से पौधा था। बहुत ही ताजुब लगा। हमेशा तो हम ही तोड़ कर रसोई में लाते है पर कभी ध्यान ही नहीं दिए।तुलसी के मंजरी जैसा सफ़ेद रंग का फूल पुदीना का होता है। सच में फूल देख कर बड़ा अच्छा लगा और खुशी भी हुआ पर माली बताया की हमेशा इस मौसम में पुदीना में फूल होता है और बरसात में थोड़ा ज्यादा कटींग करता है शायद इसलिए हम अभी तक देख नहीं पाए। ऐसा है हमारा पुदीना का फूल। 




गुरुवार, 20 जून 2019

INTERNATIONAL YOG DIVAS

                      5 TH विश्व योग दिवस

      5 साल से पुरे विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। वैसे तो योग हमारे भारत के बहुत ही प्राचीन परंपरा में से एक है। योग का कोइ जाति ,धर्म ,आयु, वर्ग ,लिंग नहीं होता है। हर आयु वर्ग के लोग इसे अपना सकते है। दुनिया में जितना भी डे है सब विदेशों की देन है। मोदी जी के कारन ही योग डे विश्व को मिला।
       इस योगा डे पर बरबस अपना बचपन और अमेरिका का याद आगया। 3 -4 साल  पहले की बात है अमेरिका में महीना भर घूमने का मौका मिला। वहाँ जब डोमेस्टिक प्लेन में जा रहे थे तभी एयर होस्टेस ने अनाउंसमेंट किया की अब एयर योगा सब कोइ मेरे साथ करो। अब एयरलाईंस का नाम तो याद नहीं पर देख कर बड़ा अच्छा लगा की सारे यात्री एयरहोस्टेस के डायरेक्शन में प्रायाणाम कर रहे है। अपने को भारतीय होने पर बड़ा गर्व हुआ। फिर जब सीटी में घूम रहे थे। रविवार का दिन था। जगह -जगह पार्क ,बाग -बगीचा में लोग योग कर रहे थे। सीखाने वाला  भी अमेरीकन और सीखने वाला भी अमेरीकन और वो भी फ्री में  ,देख कर बहुत ही अच्छा लगा। जब की आजकल हमलोग जिम के पीछे पागल है जहाँ हजारो रूपए खर्च करना पड़ता है। और वहीं विदेशी लोग योग का महत्त्व समझ कर योग अपना रहे है।
   अब कुछ बचपन की भी योग के विषय में  बात हो जाये। इस दौर में  रामदेव बाबा और मोदी जी के कारन योग घर -घर पहुँच गया है।पर बिहार के मुंगेर में उस ज़माने से योग विद्यालय है और वहां के लोग मुंगेर के स्वामीजी को ही अपना गुरु मानते थे और उनसे योग सीखते थे। हमारे परिवार में योग सभी लोग करते ही थे। बचपन में हमको टांसिल का प्रॉब्लम था और बहुत बीमार हो जाते थे. सभी डॉक्टर ने बोल दिया था ऑपरेशन करवाना ही पड़ेगा।फिर दादा ने मुंगेर वाले  स्वामीजी से मिलवाया वे योग करने बताये। और फिर नियमित योग करने पर जड़ से टॉन्सिल से छुट्टी मिल गया। उसके बाद भी बहुत सालों तक करते रहे और दूसरों को भी सिखाये। वास्तव में नियमित योग का बात ही कुछ और है। दादा भी 85 साल के थे वे भी अंत तक योग करते थे। बाबा 93 साल के है लेकिन वे भी आज भी योग ,प्रणयाम ध्यान करते है और पूरा एक्टिव है।योग दिवस में बचपन से अबतक का सारा घटना याद आगया। 



मंगलवार, 18 जून 2019

HARIYALI HI HARIYALI

                                 हरियाली  ही  हरियाली

                भीषण गर्मी के बाद पहला पानी वर्षा चारो तरफ हरियाली ही हरियाली हो गया। गर्मी में जहाँ पेड़ पौधा जल रहे थे धुप से झुलस रहे थे। वही अब गार्डन का रौनक लौट रहा है। अभी तो अषाढ़ ही लगा है सावन आते तक तो नजारा कुछ और ही दिखेगा। बस अभी तो हरियाली का मजा ले रहे है। पॉन्ड भी नील कमल से भर गया जो की देखते ही बनता है।







सोमवार, 17 जून 2019

DUDH MOGRA

                          दूध मोगरा
                                  पूजा के फूल

        दूध मोगरा का पौधा 6-7  फ़ीट ऊँचा एक बारामासी सफ़ेद फूल का पौधा है। करीब -करीब पुरे भारत और एशिया में पाया जाता है। इसके ठंठल ,फूल और पत्ती तोड़ने से दूध निकलता है और फूल भी सफ़ेद होने के कारन इसका नाम दूध मोगरा पड़ा होगा। वैसे अलग -अलग प्रान्त में इसका नाम भी अलग है। तगर ,चांदनी ,नन्दी वर्धनं इत्यादी नामो से जाना जाता है।
   बारोमास फूल  होने के कारन पूजा में इसका फूल उपयोग किया जाता है इसलिए इसे पूजा के फूल नाम से भी जाना जाता है। रोज रात को पुरे पौधे में सफ़ेद मोती जैसा कली दीखता है और सुबह सफ़ेद फूलों से भर जाता है । बरसात में इसकी छटा देखते ही बनती है।
  वैसे डबल पंखुड़ी और सिंगल पंखुड़ी दोनों तरह का फूल होता है. सिंगल वाला सदाबहार होता है। डबल वाला कम मात्रा में होता है पर सिंगल जैसा रोज खिलना और रोज झड़ता नहीं है एक बार खिलने के बाद 4 -6 दिन पेड़ में लगा रहता है।सिंगल में 5 पंखुड़ी वाला फूल होता है। और डबल में गुच्छे में फूल होता है। आजकल हाईब्रिड पौधा भी मिलता है।जो छोटा होता है इसलिए इसे क्यारी में लाईन से भी लगाया जाता है। फूल भी खूब होता है। टाइम -टाइम से पौधे को कांट छाट  करते रहना चाहिए जिससे शेप अच्छा रहता है। इसे लगाना भी आसान है। बरसात में कटींग आराम से लग जाता है।अब बरसात आ ही रहा है फिर से पौधा का रौनक आजायेगा।





 

रविवार, 16 जून 2019

FATHER'S DAY

                             पितृ  दिवस

      फादर्स डे पिताओं के सम्मान में मनाया जाने वाला एक पर्व है। अमेरिका से इसकी शुरुआत हुई थी।सबसे पहले अमेरिका के सोनोरा डाड ने अपने पिता की याद में इसकी शुरुआत 19 जून 1909 में की थी । 1966 से जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने का फैसला अमेरिका के राष्ट्र्पति ने घोषीत किया। तब से ही सारी दुनिया में फादर्स डे मनाया जाने लगा।
      पर्व तो पर्व है साल भर किसी न किसी दिन एक डे मनाया जाता है। इसी बहाने लोग बाग गिफ्ट देलेकर खुशी मनाते है। हर बार बाबा को फ़ोन करके फादर्स डे में विश कर देते थे। इस बार बाबा रायपुर में है तो सेलिब्रेट करना तो बनता ही  है।बाबा का आशीर्वाद भी मिल गया ,और क्या चाहिए। रविवार का शाम भी बाबा के साथ अच्छे से कट गया और फादर्स डे भी मनाना हो गया।





  

गुरुवार, 13 जून 2019

IXORA JUNGLE FLAME

                             एक्जोरा फूल

              एक्जोरा एशिया मे पाया जाने वाला सदा बहार झाड़ी नुमा पौधा है। भारत के गर्मी में भी पुष्प गुच्छों से भरा रहता है, थोड़ा छाँव और कम पानी में ज्यादा फूल होता है। डायरेक्ट सूरज की रोशनी से बचाना चाहिए। इसे बहुत नाम से जाना जाता है। रुक्मणि ,रंगन ,एक्जोरा के अलावा इसके लाल रंग के कारन जंगल फ्लेम भी बोला जाता है। एक्जोरा का पौधा झाड़ी  नुमा होने के कारन चाहे लॉन  में लगाए गमले में या फिर इसे क्यारी में लाईन से हेज जैसा लगा सकते है।उचित कटाई छटाई करने पर शेप भी अच्छा दिखता है। एक्जोरा 3 -4 रंग का होता है। लाल रंग तो मेन है ही इसके अलावा गुलाबी ,पीला और सफ़ेद रंग में भी इसका फूल होता है।देशी फूल होने के कारन पूजा में भी उपयोग किया जाता है। एक्जोरा आयुर्वेद दवाई बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। पहले मेरे पास पीला और सफ़ेद रंग का भी एक्जोरा का पौधा था पर अब तो सिर्फ लाल और गुलाबी ही बचा हुआ है।  






           

बुधवार, 12 जून 2019

LILIUM FLOWER

                                लिली का फूल

      लिली का फूल अनेक रंग, आकर, प्रकार का होता है। वैसे तो लिली का फूल या तो मार्च में बसंत लगते होता है या फिर पहली बरसात में इसका बहार दिखता है। रायपुर जैसा गर्मी वाला जगह में भरपूर पानी मिलने पर फूल खिलता ही है। इस बार 45 -46 डिग्री में पता नहीं पीला लिलियम कैसे खिल गया। जब की लाल बॉल लिली ,बैगनी लिली ,सफ़ेद स्पाइडर लिली इत्यादी बरसात में खिलने के इंतजार में है। अब बस 3 -4 दिन में जहाँ पहला बारिश होगा फूल खिलना शुरू हो जायेगा।