गुरुवार, 31 मार्च 2016
गुरुवार, 24 मार्च 2016
HOLI
FRI,25 MAR
होली का त्योहार
पिछले साल बहुत दीनो के बाद होली ,शादी का सालगिरह और टाटा का जन्म दिन सब मार्च के पहले सप्तहा में पड़ा और संजोग भी क्या अचानक टाटा जाने का प्रोग्राम भी बना। एक तो दिन का ट्रेन और जाने का उत्त्साह। रास्ते भर टेषु का लाल लाल फूल देख कर बड़ा अच्छा लग रहा था। लग रहा था जल्द से जल्द टाटा पहुँच जाये। टाटा में संब भाई भतीजा पुरे परिवार के साथ होली और शादी का सालगिरह भी मानना हो गया फॅमिली गैदरिंग भी हो गया सबों को बहुत मजा आया।
बहुत दिनों से बैद्यनाथ धाम जाने का मन था जाने का अवसर ही नहीं हो रहा था ,लगे हाथ बाबाधाम भी जाना हो गया। बहुत खुशी -खुशी वापस रायपुर आगये। एक ओ दिन और एक आज का दिन। अभी भईया को गए एक महीना हो गया। सचमुच क्या से क्या हो जाता है समय को कोई नहीं समझ सकता है कभी भी कुछ भी हो सकता है। हमलोग अपने ही दुःख से दुखी हो जाते है पर जब दूसरों को देखे तो पता चलता है दुनिया में कितना दुःख भरा है। माँ -बाबा अपने को कैसे सम्भाल रहें होंगे ईश्वर ही जाने।
शुक्रवार, 18 मार्च 2016
DUKH KEE GHADEE
FRI,18 MAR
देखते -देखते टाटा से आये भी 20 -25 दिन हो ही गया। इस बार मौका ही ऐसा था की बहुत ही भारी मन से टाटा से आये। जब से आये तब से कुछ लिखना पढ़ना नहीं हो पा रहा था। माँ -बाबा के लिये बहुत चिंता होता है। एक बेटा तो गया ही दूसरा भी चला गया उम्र के इस पड़ाव में अभी और कितना गम झेलना बाकी है भगवान ही जाने। एक बेटे का गम माँ बाप से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। भगवान दोनों को इस नाजुक घड़ी से निकलने का मौका दे और हिम्मत दे।
मंगलवार, 8 मार्च 2016
HOMAGE TO fOUNDER ON HIS 177 BIRTH ANNIVERSARY
जमशेदपुर की शान
थर्ड मार्च की शाम जुबली पार्क के नाम
थर्ड मार्च हम जमशेदपुरीयन के लिये बहुत ही खास दिन होता है। इस दिन का हमसबों को इन्तजार रहता है। और इंतजार भी क्यों ना हो हमारे टाटा नगर के फाउंडर जमशेदजी नेशरवान जी टाटा का जन्म दिन पड़ता है। जब हमलोग बच्चे थे तो हमारे स्कूलों में इस अवसर में चॉक्लेट बटता था उस चॉकलेट का सबों को इंतजार रहता था। शाम को अतीशवाजी और पार्टी भी होता था बड़ा ही मजा आता था।
जमशेदपुर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है 3 -4 दीनो तक जुबलीपार्क में लाईट से सजाया जाता है। लेज़र शो ,लाइट ,म्युजिक सब देखने का मजा ही अलग है। इस बार 40 साल बाद 3 र्ड मार्च में ज़मशेदपुर में रहना हुआ फिर क्या था इस खास अवसर को कैसे छोड़ते हमलोग भी शहर घूमने और जुबलीपार्क का नजारा देखने निकल पड़े।बड़ा ही मनोरम द्रिश्य देखना हुआ। बचपन से भी ज्यादा सुन्दर सजावट।
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