रविवार, 9 सितंबर 2018

HAMBURG

                                   हैम्बर्ग
                             बंदरगाहों का शहर

                  जर्मनी का दूसरा सबसे बड़ा शहर हैम्बर्ग है। जर्मनी का नम्बर एक और यरोप का दूसरा नम्बर का बंदरगाह भी यहीं  है। इसलिए इसे बंदरगाहों का शहर भी बोला जाता है। यहाँ का पोर्ट व्यापार के अलावा जहाज निर्माण ,जहाज मरम्त इत्यादी काम में आता है।इसके अलावा यहाँ के पोर्ट से क्रूज शिप भी जगह -जगह जाता है।जिससे  साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।  एल्वे और ऐलसार नदी और नहरों का जाल पुरे शहर  में देख सकते है।
    विश्व युद्ध के दौरान ये शहर भी बर्वाद हो गया था ,युद्ध समाप्ती के बाद यहाँ भी पुर्निर्माण किया गया। एकदम साफ -सुथरा ,सुन्दर कहीं भी तबाही का नामो  निशान नहीं मिलेगा। उस दौरान नेता सुभाषचंद्र बोस भी यहाँ कुछ दिन थे। यहाँ आकर पता चला की रवींद्र नाथ टैगोर ने हमारे राष्ट्र गान जन -गण -मन की रचना भी यहीं की थी। 
    हैम्बर्ग में भी सिटी सेंट्रल के चारो तरफ चर्च ,म्यूजियम ,खाने -पीने का छोटा -बड़ा स्टॉल ,रेस्टुरेंट इत्यादी भर पुर है। टूरिस्ट आते है घूमते है खाते पीते है मजा करते है।यहाँ एलस्टर  लेक के किनारे एक शानदार बड़ा सा एलेक्स रेस्टुरेंट है जिसमे जर्मन के अलावा बहुत प्रकार का व्यंजन मिलता है। सैकड़ों लोगों के बैठने का इंतजाम होने के कारन हर समय टूरिस्ट की भीड़ देखने मिल जायेगा। हमलोगों ने भी जर्मन फ़ूड का मजा लिया।
     हैम्बर्ग में अपने एक बंगाली बंधु से भी मिलना हुआ। वे लोग 2-3-पीढ़ी से वहाँ बसे  है। 40 -50 साल हो गया वहाँ रहते पर आज भी पक्के हिन्दुस्तानी है। अपनी संस्क्रीती -संस्कार नहीं भूले है। आज भी हर साल दुर्गापूजा में बंगाल के अपने पैत्रिक ग्राम में पूजा मनाने जाते है। उनलोगो को हम से और हमलोगो को उनलोगों से मिल कर बहुत ही अच्छा लगा। उनलोगों ने बताया की वहाँ हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त को बहुत ही धूम धाम से मनाते है। भारतीयों के आलावा जर्मन के गणमान्य लोग भी इस उत्सव में सम्मलित होते है।









  

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