शनिवार, 27 मई 2017

KANER

                                                           कनेर का फूल 

                            कनेर का फूल बहुत ही मशहूर है। कनेर  वन -उपवन ,सड़क किनारे कहीं भी देखने  मिल सकता है। 8 -10 फिट ही का झाड़ी नुमा पौधा होता है ,और जहरीला होने के कारन जानवर भी नहीं खाते है। इसलिए फूलों से भरा रहता है। वैसे गर्मीयों में ज्यादा फूल खिलता है। चार रंगों में फूल  पाया जाता है। लाल ,सफ़ेद ,पीला और गुलाबी। पीला तो सिंगल दल वाला होता है पर लाल ,गुलाबी डबल और सिंगल दोनों प्रकार के होते हैं। आजकल हाईब्रीड पौधा भी मिलता है जो ज्यादा हाईट का नहीं होता है। वैसे कनेर का ज्यादा सेबा भी नहीं करना पड़ता है और फूल भी खूब होता है। पूजा में भी काम आता  है। कनेर की पत्तियों में तितली भी अंडा देने आती है। फूल का रस भी मिल जाता है अंडा देने का जगह भी। अंडा चमकदार पानी का बुलबुला जैसा दिखता है। जिसे लार्वा बोल सकते है। 
                  कनेर का बीज भी छोटा फल्ली जैसा होता है। कनेर का पौधा कटींग और बीज दोनों से उगाया जा सकता है। कनेर का फूल ,पत्ता और बीज सभी जहरीला होता है पर दवाई बनाने के भी काम आता है।





शुक्रवार, 26 मई 2017

GOLDEN SHOWER TREE

                                                                  अमलतास 

                             अमलतास का फूल भीना -भीना सुंगध वाला पीले झुमर जैसा शोभाकर पेड़ है। भारत में करीब -करीब हर जगह पाया जाता है। मार्च -अप्रैल में पूरा पत्ता झड़ जाता है और पीले फूलों की माला से सज जाता है। साल में एक बार ही होता है पर महीना भर रौनक रहता है। रोड के किनारे लाईन से लगा हो तो फूलों का बहार देखते बनता है।
                    अमलतास भी औषधीय गुणों से भरपूर है। पेड़ के छाल से लेकर पत्ती हो या फूल हो या इसकी फळी वाला बीज ,सब अलग -अलग बीमारी के इलाज के काम में आता है। इन्हीं से दवाई बनाई जाती है। जब सारे फूल झड़ने लगते है तो इसमें हरे रंग की मुनगा जैसा एक फिट लम्बा  फल्ली आना शुरू हो जाता है। दिसम्बर -जनबरी तक फल्ली पक कर काले रंग का हो जाता है और फिर जब मार्च -अप्रैल में फूल खिल जाता है तब फल झड़ना शुरू हो जाता है। विदेशों में इस फल्ली का बहुत मांग है इससे दवाई बनाते हैं ,हमारे देश से दवाई कम्पनी में दवाई बनाने के लिये विदेश  बहुत भेजा जाता है।
         वैसे थाईलैंड का राष्ट्रीय फूल है और वहीं से फैला भी है। हमारा गर्म   देश है इसलिए यहाँ ये अच्छी तरह फलता -फूलता है।




गुरुवार, 25 मई 2017

SUNFLOWER

                                                   सूर्यदेव का उपासक फूल 
                                                                 सूर्यमुखी 

                        फूल भी सुन्दर नाम भी सुन्दर ,और बहुत ही उपयोगी फूल है सूरजमुखी। यह सबेरे  पूरब की ओर मुहँ कर लेता है ,जैसे उगते सूरज का स्वागत कर रहा हो और दिन भर पश्चिम की ओर घूमते जाता है।लगता है की सूरज का पीछा कर रहा है। सूर्यास्त के बाद यह रात में फिर पूरब की ओर मुहँ कर लेता हैं. सुबह फिर से उगते सूरज का स्वागत करने। इस फूल का नाम सभी भाषाओं में सूर्य से ही जुड़ा है जैसे सूर्यमुखी ,सनफ्लॉवर आदि। 
                इसका एक फूल वास्तव में अनेक छोटे फूलों का गुच्छा होता है ,जिसमें अनेक फल लगते है। जिन्हे हम सूर्यमुखी का बीज कहते हैं। जब बीज पक कर तैयार हो जाता है तो तोता ,चिड़ियाँ आदि  इसे खाने आती है। जिसे देखने का भी अलग मजा है। 
            वैसे इस फूल का मूल स्थान मैक्सिको है, और वहीं से सारे दुनिया में फैला है। इसकी अनेक प्रजाति पाई जाती है ,जो अनेक आकर -प्रकार और रंग का होता है। पर ज्यादा तर पीले रंग वाला ही देखने मिलता है।एक फिट से लेकर 12 फ़ीट हाईट तक का इसका पौधा होता है। हमारे देश में इसके  फूल को   हरित क्रांति का प्रतीक के रूप में जाना  जाता है। 
           सूरज मुखी के बीज से तेल निकालने  के लिये खेती होता है और खळी जानवरों के खाने के काम आता  है। साथ ही विदेशों में इससे माखन भी निकाल  कर उपयोग करते है और बीज को सेक कर खाया भी जाता है ,जो की बहुत पौस्टिक होता है।घर के बगीचा का सुंदरता तो बढ़ाता ही है साथ ही कितना उपयोगी भी है। 




         
                         

शनिवार, 13 मई 2017

MOTHER'S DAY

                                                                          माँ 
  
                                          बिना माँ के संसार की कल्पना करना निरर्थक है। किसी एक दिन नहीं साल के हर दिन माँ का सम्मान करना चाहिए। अलग -अलग देश में अलग तरीके से मदर डे मनाया जाता है। मई के दूसरे रविवार को मदर डे मनाने का चलन हो गया है। ये विदेशी परम्परा है।जो हो है तो अच्छी बात ,किसी भी बहाने माँ का सम्मान हो रहो।    
                कहीं फूल देकर तो कहीं कविता पाठ  ,लेख, पत्र -पत्रिका में कुछ न कुछ आयोजन होता है। । 
         हमलोग बहुत ही खुश नसीब है की हमारे सर में माँ -बाप का आशीर्वाद है। हमारे बच्चे भी हमें पुरा सम्मान देते है और हम भी अपनों बड़ों को पूरा आदर करते है। एक दिन क्या हर रोज ही। भगवान हमारे माँ -बाप को स्वस्थ रखे बस यही कामना हमलोग करते है। 






शुक्रवार, 12 मई 2017

GUAVA

                                                               अमरूद 

                                  अमरुद है तो बहुत आम फल ,घर -घर में पाया जाने वाला।इसका  पेड़ बहुत बड़ा होता है। थंड   के दिनों में बहुत फल होता  है। आज कल तरह -तरह का हाईब्रीड पौधा मिलता है जो बारो  मास फलता फूलता है। हमारा सीडलेस खूब बड़ा 30 साल पुराना  पेड़ है जो की पुरे मुहल्ले को खिलाता है। साल भर का एक छोटा सा अमरुद का पौधा है जिसमे दो अमरुद लगा है।अभी तो इतना गर्मी का मौसम है फिर भी फल हुआ है तो लगता है थंड के मौसम में अच्छा फल देगा। 
        अमरुद भी औषधीय गुणों से भर पुर है। पेड़ का छाल हो या पत्ती या फल सभी बहुत से  बीमारी में काम आता है। जाने अनजाने में  ये भी एक अच्छा फल का पेड़ लग गया। शोभा का शोभा ,फल का फल ,गार्डन का रौनक और छोटी -बड़ी चिडियों का बसेरा।  






मंगलवार, 9 मई 2017

PURKHOUTI MUKTANGAN

                                                    पुरखौती मुक्तांगन

                                       नाम से ही स्पस्ट हो जाता है की पुरखों का आंगन। रायपुर से 20 किलोमीटर की दूरी में नया रायपुर में 200 एकड़ जमीन में ओपन एयर आर्ट म्यूजियम पार्क छत्तीसगढ़  मिनस्ट्री के द्वारा डेवलॅप किया गया है। पुरखौती आँगन में बस्तर आर्ट ,छत्तीसगढ़ का आदिवासी जन जाति का कल्चर ,फोक डांस बहुत ही सुन्दर ढंग से दर्शाया गया है। बहुत ही सुन्दर लैंड स्केप फ्वारा ,हरा भरा गार्डन के बीच छत्तीसगढ का सुआ नाच ,पंथी नाच  और राऊत नाच को मूर्त रूप में देख कर बड़ा अच्छा लगा.टिकट दर भी कितना कम है ,बच्चों का 2 रुपईया और बड़ों का सिर्फ 5 रुपईया।  
                           वैसे तो नया रायपुर में ,जंगल सफारी ,कैंसर अस्पताल ,साईं मंदिर बहुत कुछ देखने योग्य स्थान है।  सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक आने जाने के लिये बस सुबिधा भी है। आराम से पुरे परीवार के साथ पिकनिक मना कर आ -जा सकते है।











KINGFISHER BIRD

                                                                किंगफिशर  

                 आज हमारे लिली पौंड में किंगफ़िशर आगई। वैसे तो पहले भी आती रहती थी और पौंड से मछली पकड़ -पकड़ कर उड़ जाती थी।भगाने से अमलतास के पेड़ में छुप जाती है। पेड़ में  भी खुब पीला  फूल खिला हुआ है।बस ऊपर से पौंड के मछलियों को ध्यान से देखती है और मौका मिलते ही झट से उतर कर मछली ले कर पेड़ में छुप जाती है। आज तो मेरे मोबाईल में कैद हो ही गई। पौंड के फौवारा में बैठी ध्यान से मछली देख रही थी ,मेरे फोटो लेते ही उड़ कर पीले फूलों के बीच छुप  गई।लुका छिपी देख कर मजा तो आरहा था ,पर भगाना भी जरूरी था। आखिर हमारी रंग बिरंगी मछलियाँ  जो चुरा रही थी। जिनी ,जॉनी ने भौंक -भोँक कर आखिर भगा ही दिया।