गुरुवार, 8 जून 2017

WORLD ENVIRONMENT DAY

                                                              हरियाली और हम 

              हम जहाँ रहते हैं उसके चारों ओर सुन्दर पेड़ -पौधा हो , और  फूलों की सुगंध वाली हवा  हो। फूलों पर रंग -बिरंगी तितलियाँ मँडरातीं हो ,पेड़ों पर रंग -बिरंगी चिड़ियाँ फुदकती हो ,गर्मियों में पेड़ों की शीतल छाया मिलती हो ,हम सभी ऐसा जरूर चाहेंगे। और ये मुश्किल भी नहीं है। अब लोग जागरूक हो गये है और पर्यावरण बचाने की कोशिश  भी कर रहें है।हरे भरे जंगल की कटाई और कांक्रीट का जंगल बढ़ने के कारण ही धरती का सन्तुलन बिगड़ रहा है। 
                   बिगड़ते पर्यावरण के कारण UAN द्वारा 1972 में स्वीडन में 119 देश के प्रतिनिधी का सम्मेलन हुआ जिसमे धरती बचाने विश्व पर्यावण दिवस के रूप में मानना तय हुआ। तब से  हर 5 जून को मनाया जाता है।   
                       हरियाली के लिये जल भी आवश्यक है इसलिए uanep की और से 5 जून 2007 को जल वर्ष मनाया गया। ग्लोबल वॉर्मिंग और बदलते मौसम के कारण बाढ़ ,सूखा और जल की कमी से जल संकट बढ़ रहा है। डाक विभाग की और से अठाईस दिसम्बर 2007 को इस अवसर में डाक टिकट निकाला गया। 
           हमारे चारों तरफ हरा भरा होगा तो मन प्रसन हो गा तो स्वास्थ भी ठीक रहेगा और पर्यावरण में भी सुधार हो सकेगा। इसलिए जहाँ तक हो पेड़ पौधा का देख भाल करे और अपनी धरती माँ  को कष्ट से बचाएं। पहले जैसा काम काज में पत्तल ,दोना ,कुलड़ ,माटी का ग्लास उपयोग करना शुरू करना चाहिए और प्लास्टिक का बहिस्कार।साल में एक दिन पर्यवरण दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा हर दिन ही यही दिन हो। तब ही कुछ सुधार होगा। घर के आसपास हो या चौक -चौराहा ,बाजार हो या कोई नई कॉलोनी सब जगह पेड़ हो हरियाली हो बस उसी में चलना हो। 









शुक्रवार, 2 जून 2017

MANGO

                                                                      शिव जी का कृपा फल 
                                                                                      आम 
                           एक बार शिव जी पार्बती जी को आम्र फल दिए जो उनको बहुत पसंद आया. इस अलौकिक फल को शिव जी की कृपा से भारत भूमि में लगाया गया। तब से ये स्वादिस्ट फल भारत  से पूरे एशिया में फैला। 
और आम के नाम से जाना जाता है। वैसे भारत के साथ ही साथ पाकिस्तान और फिलिपीन्स का भी राष्ट्रीय फल आम ही है।16 वीं शताब्दी में सम्राट अकबर ने एक लाख आम का पेड़ बिहार में लगवाएं थे आज भी उस जगह को लखी बाग (लाख )के नाम से जाना जाता है  
                                     यह एक अति स्वादिष्ट मीठा ,रसीला ,फल है ,साथ ही अनेक रोगों में लाभदायक भी है। इसी कारण विश्व के सभी देशों में इसे फलों का राजा माना गया है।नाम से आम है पर है बहुत ही खास। हिन्दू धर्म में इसकी उपयोगिता को देख कर बहुत ही पवित्र पेड़ माना  गया है। पूजा में हवन के लिये इसकी लकड़ियों का उपयोग होता है, तोरण में  पतियों काम में लाते हैं  . पका फल तो खाया ही जाता वहीं गर्मियों में कच्चे आम को लू के उपचार में काम लिया जाता है।कच्चे आम का पुदीने वाला चटनी भी गर्मियों में बहुत ही लाभकारी है। 
                हमारे देश में सैकड़ों प्रकार के आम होते हैं। हर राज्य में एक अलग किस्म और अलग नाम का और सभी बहुत ही स्वादिस्ट होता है। जगह -जगह आम  के मौसम में मैंगो फेस्टीवल लगाया जाता है और आम का प्रदर्शन किया जाता है। लंगड़ा ,दशहरी ,हापुस ,हिमसागर ,तोतापरी ,नीलमपरी ,सिंदूरी आदि बहुत आकर -प्रकार के आम होते है। 
                         अपने घर में भी दो आम  का पेड़ है, जिसे कदीयम (साऊथ )से मंगवाये थे। अब तो बहुत पुराना पेड़ हो गया है और फल भी खुब देता है ,मीठा भी खूब है। कच्चा -पक्का दोनों ही बहुत खिलता है। 






       

गुरुवार, 1 जून 2017

LYCHEE

                                                                   लीची 

                                                          पटरानी की मेहरबानी 

                                   सदियों पूर्व लीची  केवल दक्षिण चीन के एक कस्बे में होता था।एक बार चीन के बादशाह इस कस्बे के दौरे के बाद राजधानी लौटते समय कुछ लीची, जो की  उनके लिये नया फल था. अपने साथ लाकर अपनी सबसे प्यारी पटरानी यांग हुआन को दिया जो उसे बहुत अच्छा लगा।बादशाह ली लोंग ने अपनी पटरानी को अच्छे किस्म की ज्यादा लीची मिले इसलिए इसकी उपज बढ़ाने लोगों को प्रोत्साहन किया  और पुरस्कार भी देने लगे। तब से पूरे चीन में उपजाया जाने लगा और लोक प्रिय फल हो गया।  चीन से पुरे दुनिया में ही लीची फैला। है ना पटरानी की मेहरबानी किआज हमें भी  अच्छे प्रकार का  लीची मिल रहा है।  
                                       हमलोग भी जब चीन घूम रहें थे तो रोज लीची खाते थे। वास्तव में जब तक चीन नहीं गए थे तबतक पता ही नहीं था की लीची इतना अच्छा गुदे दार मीठा  भी होता है।पहले जानते थे गर्म देश का फल है बिहार के मुजफर पुर में ही होता है। बाबा भी दो लीची का पेड़ मुजफर पुर से मंगा कर लगाए थे। उसमें 6 -7 साल बाद   फल होना शुरू हुआ ,फल भी बहुत होता था पर चीन जैसा स्वादिस्ट नहीं होता था। एक बार गर्मी में देहरादून जाने का मौक़ा मिला क्या देखते है करीब -करीब हर घर में आम जैसा बड़ा -बड़ा पेड़ है और उसमें लीची भरा हुआ है। इतना बड़ा 15 -20 फिट ऊँचा पेड़ गुलाबी छिलके वालाफलों से भरा हुआ  देख कर बहुत आश्चर्य भी हुआ और मजा भी आया। 
               ऑक्टूबर में लीची में फूल आजाता है और फल धीरे -धीरे होते हुए गर्मियों में जून तक पाक कर लाल हो जाता है। वास्तव में बाहर जा कर नहीं देखते तो पता ही नहीं चलता की लीची बिहार का फल है या पटरानी की देन  है। गर्मी का महीना है रायपुर में भी बहुत मिलता है ,आज कल रोज खा रहें है तो बस पूरा कहानी और सब बात लीची के सम्बन्ध में याद आ गया। शायद आप लोंगो को भी पढ़ करकुछ  मजा आजाये।