शनिवार, 29 अगस्त 2015

RAKSHA BANDHAN

SUN,30 AUG

                                                       राखी का त्यौहार 

इस बार राखी मेरे लिये कुछ खास था। पहले तो सोचे कहाँ कुन्नूर से आगये किशोर है नहीं कुणाल भी पता नहीं अपायेगा या नहीं ,पर अच्छा हुआ आगये।कुणाल बुखार में भी राखी बँधवाने नारायणपुर से आया। अपना पहला तनखा से मेरे लिये साड़ी लेकर आया ,इतना अच्छा लगा। गिफ्ट और साड़ी तो मिलते रहता है ,कभी बहु -बेटा ,कभी नाते -रिश्तेदार पर कुणाल का पहला गिफ्ट मेरे लिये बहुत ही खाश है। 
 इस बार राखी में राघव को भी राखी बंधने का अवसर मिला राहुल का कमी पूरा हो गया। 



MY BROTHER

FRI,28 AUG

                                                         मेरे भईया 

                      मेरा प्यारा छोटा भाई ,आज बहुत -बहुत याद आरहे हो। जब से रायपुर आएं हैं करीब -करीब हर साल राखी धूम -धाम से ही मनाये हैं। अब 5 -6 साल से तुम नहीं हो और हम भी राखी में कुन्नूर में रहते हैं ,राहुल और राजेश को राखी बान्ध कर संतोष कर लेते थे.  
                   वैसे  तो हमारे बचपन में टाटा में राखी बांधने का रिवाज ही नहीं था। बस पंडित आता था ,बाबा ,दादा काका लोंगो को राखी बांध कर आशीर्वाद देकर चले जाता था। पंजाबी लोग राखी बांधते थे हमलोगों को स्कूल में छुट्टी भी नहीं होता था। फिर मूवी और रेडिओ से गाना सुन कर राखी का चलन होगया। 
  हमारे घर हमारी छोटी बहन ज्योति राखी का त्यौहार मनाना शुरु की हमलोग भी खुश होगये और राखी बंधना शुरू हो गया।




गुरुवार, 27 अगस्त 2015

ONAM FESTIVAL

THU,27 AUG

                                                              केरल का ओणम 

     केरल दक्षिण भारत का एक बहुत ही हरा -भरा प्रक्रिति से सम्र्रद राज्य है। अधिकांश भाग में साल भर हरियाली रहती है। सभी ओर नारियल के पेड़ दिखते हैं। अनेक तरह के मसाले जड़ी बूटीयाँ यहाँ उगाये जाते हैं। रबड़ और कई तरह के केले यहाँ होते हैं। यहाँ के लोग मलयाली होते है। मल्यालीयों का सबसे बड़ा त्यौहार ओणम होता है। ओणम ऑगस्त से सितम्बर महीने में होता है। 
      ओणम के अवसर में पूरे घर और शहर को सजाते हैं। हर जगह चौक चौराहा में खुब बड़ा बड़ा सुन्दर सुन्दर फूल से रंगोली बनाते हैं। ओणम में तरह तरह के पकवान बनाते हैं केले ,गुड से और कई तरह के खीर बनाते हैं जिसे पायसम बोलते हैं। बाघ नाच ,और हंथीयों का विशेष पूजा कर पकवान खिलाना। एल्लेपी में स्नेक बोट रेस होता है जिसे नेहरू जी ने शुरू करवाया था। और जो दल जीतता है उस दल को नेहरू ट्रोफी दीयाजाता है। 
   ओणम के बारे में एक कहानी ये भी प्रचलित है की केरल का राजा महाबली काफी लोकप्रिय थे एकबार वह यज्ञ कर रहे थे उनके यज्ञ को भंग करने भगवान बिष्णु वामन रूप लेकर आये और राजा से पूरा राज दान में लेलीये। राजा ने बरदान माँगा की साल में एक बार आकर अपने प्रजा का हाल चाल देख कर जायेंगे। तब से हर  साल लोग अपने घर और मंदिर को सजाते है और पकवान बना कर अपने राजा के आने का स्वागत करते हैं ,और इस तरह ओणम का त्यौहार हर साल  मनाया जाता है।



 हमको भी दो तीन बार ओणम में केरल जाने का मौका मिला ,बोट रेस देखने और पायसम (खीर )खाने का मौका मिला। 

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

KISHKINDHA

WED,26 AUG

                                                            किष्किन्धा   नगरी 

                   तुंगभद्रा नदी के किनारे पत्थरों ,चटानो वाला पहाड़ से घिरा किष्किन्धा नगरी का राजधानी अनीगुंडी था। रामायण काल में वाली का राजधानी यहीं था। जोकी पम्पा सरोवर तक फैला हुआ था। 
11 -12 सेंचुरी में विजय नगर के नाम से जाना जाने लगा। विजय नगर के राजा बहुत ही खुले वीचार के थे ,उनके काल में कल्चर ,लिटरेचर और व्यापर के लिये देश -विदेश से व्यापारी और लोगों का आनाजाना लगा रहता था। उस समय बार्टर ट्रेड का चलन था। घोड़ों का व्यापारी चीन से आते थे ,राजा और रईसों को घोडा बेच कर बदले में हीरा -सोना वगैरा लेजाते थे। 
     बहुत ही भव्य शहर था। मंदिरो में भी चीनी व्यपारियों का मूर्ती खुदा हुआ है। यहाँ शिव ,गणेश और विष्णु जी का भव्य मंदिर बना हुआ है। अब ना तो रामायण काल  है ,और ना तो राजा का राज रहा अब तो बस खण्डरों का देश रह गया है।अब तो कर्नाटक के बेलारी जिले के होस्पेट तालुक में है। होस्पेट से हम्पी जाने पर ही इस जगह को देख पाएंगे। 





सोमवार, 24 अगस्त 2015

PAMPA SAROVAR

TUE,25 AUG

                                                            पम्पा सरोवर 

                         हम्पी जाएँ और पम्पा सरोवर ना देखें और टोकरी वाली नौका में सैर ना करें तो क्या देखें। नौका विहार तो बहुत बार बहुत जगह में करने का मौका मिला पर टोकरी में बैठ कर पम्पा सरोवर का सैर में बहुत ही मजा आया क़ुछ अलग ही एक्सपीरियंस हुआ। चारो तरफ सफ़ेद पत्थर ,आड़ा तिरछा जल की धारा बह रही और उसमें से गुजरना। 
                     रामायण काल में बाली और सुग्रीव का यहीं पर वास था। इन्हीँ कंदराओं में ओ अपनी वानर सेना के साथ रहते थे ,और वनवास के दौरान यहीं पर श्री राम प्रभु से उनकी मुलाकात हुई थी। चार महीना इसी जगह में बरसात बितने का इन्तजार करे थे और हनुमान जी से यहीं पर पहली वार भेट हुई थी। 



HAMPI KA HOTEL

MON,24 AUG

                                                   हम्पी के होटल में मस्ती 
           
              कर्नाटक के हम्पी में घूमने गये ,वहाँ बहुत कुछ देखे घूमे और मजे किये। होटल में भी मस्ती किये थोड़ी देर के लिये बच्चे बनकर मजे किये। 





                                बच्चों के साथ घूमने का मजा अलग है और खुद बच्चे बनजाओ और घुमो ऊसका मजा भी कम नहीं है। 

शनिवार, 22 अगस्त 2015

CHAMUNDESHWARI TEMPLE

SUN,23 AUG

                                                                  चामुंडेश्वरी मंदिर 

                     कर्नाटक के मैसूर राज्य में शहर से 13 किलोमीटर की दूरी में चामुंडी हिल में चामुंडेश्वरी का मंदिर बना हुआ है। द्रविड़ स्टाईल में माँ दुर्गा का मंदिर है। कर्नाटक क्या सारे देश से जो भी मैसूर घूमने आते हैं वो मंदिर जरूर देखने जाते हैं। बहुत ही सुन्दर बना है। चारो और पहाड़ ,जंगल से घिरा है। ऊपर से मैसूर का दृश्य बड़ा अच्छा दिखता है। 101 सीढ़ी चढ़ने के बाद ही मंदिर जा सकते है। वैसे तो 2 -3 बार मैसूर से गुजरना हुआ पर आखिर इस बार मंदिर जाना हो पाया और देवी का दर्शन कर पायें। 

SAT,22 AUG

                                                       चार महीना कुन्नूर का 




                        4 महीने के बाद आखिर घूमते हुए रायपुर आही गये।कुन्नूर से बड़ा ही भारी मन से चले थे ,बहुत सारी खट्टी मीठी याद लेकर। बंच्चों के साथ नोक झोंक ,मस्ती करते हुए कैसे 4 महीना बीत गया पता ही नहीं चला। कुन्नूर से बांदीपुर होते हुये कर्नाटका होते हुए रायपुर आना हुआ। बांदीपुर के जंगल में तरह -तरह के जानवर देख कर मन प्रसन्न हो गया। कुन्नूर में तरह -तरह के फूल भी देखने मिला ,छोटी -छोटी चिड़ियाँ चाय बागान की सुंदरता। सब मिला कर मजे में समय बीत ही गया। अब अगले साल ही फिर जाना हो पायेगा। दो बेटा दो घर बस दोनों जगह घूमते आते जाते दिन बीत जाता है।  

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

A CUP OF TEA

WED,12 AUG

                                                                         एक प्याली चाय 

                          सुबह की चाय की चपास हर को होती।है। अँग्रेजों का दिया नाम बेडटी ,पहले लगता था ये क्या बात सुबह बासी मुहँ कोई कैसे चाय पीयेगा ओभी बिस्तर में ,रायपुर में तो सुबह की चाय बरामदे में झुला में बैठ कर पीना अच्छा लगता है। चाय पीते -पीते फुआरा देखना ,पौंड में तैरती रंगबिरंगी मछलियों को देखना। नील कमल देखना बड़ा अच्छा लगता है। 
         कुन्नूर में ठंड होने के कारण बेड में चाय पीने का मजा अलग है। सुबह खिड़की खोल कर ताजी हवा आने पर जंगली फूल का खुशबु लेना ,छोटी -छोटी तरह -तरह की चिड़ियों को फुदकते देखना बड़ा अच्छा लगता है। अब समझ आया सुबह की चाय को बेड टी क्यों बोला जाता है। ठंडी जगह में बेड में ही चाय पीना कितना आनंद का काम है। 




बुधवार, 5 अगस्त 2015

MY BIRTHDAY GIFT

THU,6 AUG                              मेरा जन्म दिन का गिफ्ट 

                               जन्म दिन में हर साल की तरह केक भी काटे, फूल भी मिला, पार्टी भी परिवार के साथ मनाये। पर सबसे मजा तब आया जब मेरी बचपन की सहेलीका फ़ोन नम्बर हमको पता चला और उससे हम बात किये। 1 9 77 के बाद अब जाकर 20 15 में हमलोग फिर से जुड़ पाये। ये सब फेसबुक के कारण हो पाया। उस ज़माने में फ़ोन का साधन नहीं होने के कारण हमलोग का कांटैक्ट ही नहीं हो पाया। हमलोग स्कूल -कॉलेज साथ पढ़े और शादी के बाद हम रायपुर और हमारी सहेली चंडीगढ़ चलीगई। 2 -4 साल तो पत्र व्यवहार भी हुआ। हम चंडीगढ़ भी उससे मिलने गए। फिर धीरे -धीरे पत्र कम होने लगा। हमलोग अपने -अपने घर परिवार में व्यस्त रहने लगे। 
         जन्म दिन के दिन ही फोन नम्बर पाकर हम बहुत खुश हुए मेरे लिये सबसे बढ़िया गिफ्ट था इससे अच्छा और क्या हो सकता है। मेरी सहेली का भतीजा का बहुत -बहुत शुक्रिया हम दोनों सहेली को मिलने का। 





मंगलवार, 4 अगस्त 2015

MY BIRTHDAY

WED,5AUG

                                                 जन्म दिन आया 

                  जन्म दिन फिर आगया  ,हर साल की तरह इस बार भी आही गया अब इस उम्र में क्या जन्म दिन क्या सादा दिन हर साल की तरह फिर आया। वही रूटीन खाओ पीओ घुमो बस यही ,कुछ खास करने का नहीं। पढ़ने ,लिखने और गार्डनिग का शौक है बस यही सब चलते रहता है। 
उम्र के इस पड़ाव में और क्या। दोनों कुल में नाम ,इज्जत ,मान -सम्मान सब है और क्या चाहिए  भरा पूरा घर और सुन्दर परिवार भगवान का लाख -लाख शुक्रिया ये सब  देने का। अपने बचपन को जरूर याद कर ही लेते है। 
                                                                 हम  तब  और अब