गुरुवार, 31 अगस्त 2017

GANGARAMA BUDDHA TEMPLE

                                       GANGARAMA BUDDHA TEMPLE


                                                    गंगाराम बुद्ध मंदिर

                  गंगाराम बुद्ध मंदिर कोलम्बो का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस में मॉर्डन और ओल्ड कल्चर का संगम  दिखता है। इस मंदिर में थाई ,चीनी ,इंडियन और लंका सभी का छाप दिखता है। यहाँ भी बोद्धी ट्री ,सत्संग भवन ,पैगोडा ,विहार ,म्युजियम ,मठ सभी कुछ है। सैकड़ों बुद्ध प्रतिमा कतार से  बैठे मुद्रा में स्टेप्स में है। रोड के एक तरफ गंगाराम मंदिर है तो रोड के दूसरे ओर बेरिया लेक में सीमा मलाका मंदिर है।

                                                             सीमा मलाका

                 सीमा मलाका को  गंगाराम मंदिर का ही पार्ट माना जाता है। 19 वीं सदी में एक मुस्लिम व्यापारी ने इसे वनवाया था। यहाँ पर बोधी ट्री के नीचे भगवान बुद्ध का बड़ा मूर्ती है और अंदर विष्णु भगवान का मंदिर है। लेक के ऊपर प्लेटफॉर्म में अलग -अलग मुद्रा में बुद्ध प्रतीमा कतार में है। मंदिर में असेंबली हॉल है जहाँ मॉन्क ध्यान करते हैं। लेक शहर के बीचों बीच होने के कारन जब भी घूमो तो आते -जाते चारो तरफ से दर्शन हो ही जाता है।
                                                                                                                                            क्रमशः

                               

       





बुधवार, 30 अगस्त 2017

ANJANEYAR TEMPLE COLOMBO

                                                             कोलम्बो  की  सैर 
     
              जंगल ,पहाड़ ,समुन्दर घूमते घामते आखिर फिर से  राजधानी कोलम्बो पहुँच गये। हिन्द महासागर के किनारे बसा हुआ बहुत ही सुन्दर वेल प्लान ,नीट क्लीन सिटी कोलम्बो है।वैसे तो राजधानी होने के कारन मॉल ,चौक -चौराहा ,इंडिपेंडेस सर्किल  बहुत कुछ देखने योग्य है।  तमिल लोगों के कारन हिन्दू मंदिर और बुद्धों के कारन बुद्ध मंदिर भी बहुत सा देखने मिला। लेकिन यहाँ का प्रमुख  गंगाराम मंदिर और आंजनेयर  मंदिर देखने लायक है। 
                                             
                                                         आंजनेयर मंदिर 

                           आंजनेयर मंदिर   जैसा की नाम से ही पता चलता है की अंजना  और पवन का पुत्र हनुमान जी का मंदिर। 1996 में पंचमुखी हनुमान जी का पंचरत्न से मूर्ती बनवाया  गया था। पवित्र नदियाँ  गंगा ,जमुना ,सरस्वती के जल से कुण्ड बना कर हनुमान जी की   मूर्ती स्थापित किया गया। 
       इस मंदिर में गणेश ,कार्तिक ,विष्णु ,लक्छमी ,पार्वती जी का भी मूर्ती है। हर साल हनुमान जयंती में 12 दिन का उत्सव होता है और रथ जात्रा किया जाता है।
                                                                                                                                           क्रमशः 





मंगलवार, 29 अगस्त 2017

KANDE VIHARE TEMPLE

                                    KANDE VIHARE TEMPLE 

                                             कांदे विहार टेम्पल 

                बेन्टोटा घूमते हुए हमलोग कोलम्बो की ओर बढ़ गये। कोलम्बो  के पहले पहाड़ के ऊपर बुद्ध का 160 फ़ीट ऊँचा कमल के फूल के ऊपर ध्यान मगन में बैठे बुद्ध प्रतीमा देखने मिला। जो की बहुत दूर से दीखता है। मूर्ती के नीचे प्रकोष्ठ बना हुआ है। जिसमे बुद्ध  की प्रतिमा तो है ही साथ ही चैम्बर के दीवार में भगवान बुद्ध की पूरी जीवनी उकेरी गयी है। जिसे देख कर बचपन में पढ़ी पूरी कहानी याद आ गई। 
                    कांदे विहार में बुद्ध मूर्ती के अलावा 300 साल पुराना बोधी ट्री भी है। यहाँ बुद्ध भिक्छुओं को शिक्छा दिया जाता है। पहाड़ को कांदे बोला जाता है और मठ को  विहार, इसलिए कांदे  विहार नाम पड़ा है। कांदे विहार घूम कर हमलोग कोलम्बो की ओर बढ़ गए।
            एकदम पहाड़ से नीचे समुन्दर किनारा और फिर बेन्टोटा घूमते राजधानी कोलम्बो की ओर बढ़ गये।
                                                                                                                                 क्रमशः





सोमवार, 28 अगस्त 2017

TURTLE HATCHERY LANKA

                                                       TURTLE  HATCHERY

                                                         कछुआ का पालन गृह 

                     बेनटोटा में  समुन्दर किनारे टर्टल हेचरी देखने मिला। हमारे लिये एकदम नया अनुभव था। समुन्दर के किनारे -किनारे करीब -करीब 15 -20 हेचरी है। हर साल पाँच प्रकार के कछुए तट में अंडे देने आते है ,और अंडे दे कर वापस पानी में चले जाते हैं।यहाँ के तट रक्छक और मेरीन वालों ने अंडा और कछुआ बचाने का बड़ा ही अच्छा इंतजाम कर रखा है। हेचरी वालों को स्पेसल लाइसेंस दिया गया है। हेचरी वालों का काम है की जब कोई कछुआ किनारे अंडा देने आता है तो उसका ध्यान रखना और तट रक्छक को बताना। 
           जब कछुआ अंडा देती है तो ऑफिसर आकर गिनते है। अंडा एक बार में कम  से काम  100 -125 होता है। अंडा हेचरी वालों को पालने  और सँभालने दे देते है। अंडे को एक मीटर रेत के अंदर रख कर ढँक दिया जाता है। एक सप्ताह के बाद उस मे से बच्चा बाहर आ जाता है।ऑफिसर फिर गिनती करते है की कोई नुकसान या चोरी तो नहीं हुआ है। फिर 2 -4 बच्चों को छोड़ कर बाकी समुन्दर  में आगे की यात्रा के लिये डाल  दिया जाता है। वैसे समुन्द्र से  कभी -कभी बीमार या शिकारियों के कब्जे से छुड़ा कर लाया बड़ा कछुआ भी ला कर इन हेचरी वालों को दिया जाता है और उनका डॉक्टरों से इलाज करवाया जाता है। जब वे कछुए स्वस्थ हो जाते है तो उन्हें भी पानी में छोड़ा जाता है। एक साथ अंडा ,रंग -बिरंगा छोटा बड़ा अलग -अलग प्रजाति का कछुआ एक जगह में एक साथ देखने मिल गया।  
      ये तो अंडा से बच्चा और फिर जल में छोड़ने की प्रक्रिया है। पर वहाँ एक और नया चीज देखने और समझ ने मिला। वहाँ 15 -20 चीनी विद्यार्थी हेचरी की साफ -सफाई ,कछुओं को खाना देना ,सेवा करना वगैरा कर रहे थे। पता चला हर साल 20 -25 विद्यार्थी यहाँ आते है महीना भर रहकर रिसर्च करके वापस चले जाते है। और टूरिस्ट भी ये सब देखते और समझते है। इस लिये कुछ अंडा और कुछ कछुआ ऑफिसर छोड़ के जाते है। पर हर कछुए के अंडे और बच्चों वगैरा पर निगरानी और गिनती होते रहता है जिससे इन्हे कोई नुकसान नहीं हो। एक पंत दो काज हो जाता है संरक्छन ,पढ़ाई और टूरिस्ट का घूमने और जानने समझने का एक पाईंट। हमारे लिये तो एकदम नया एक्सपीरियंस था। अब हम घूमते हुए आगे के सफर के लिये चल पड़े।
                                                                                                                                            क्रमशः







रविवार, 27 अगस्त 2017

TSUNAMI BUDDHA BENTOTA

                                     TSUNAMI BUDDHA BENTOTA

                                                            बेनटोटा 

                    पिन्नेवेला से हाँथियों की मस्ती देख कर हमलोग बेनटोटा की और बढ़ गए। बेनटोटा हिन्द महासागर के किनारे एक खुबसूरत बीच है। जब 26 दिसम्बर 2004  को चेन्नई में सुनामी आया था ,तब बेनटोटा आईलैंड में भी भयंकर सुनामी हुआ था और करीब -करीब पूरा का पूरा शहर ही तबाह हो गया था। घर ,मंदिर सारा बिल्डींग सब बर्बाद हो गया था। सुनामी के बाद फिर से बनाया और बसाया गया ,अब तो तबाही का  नामो निशान नहीं है। 
        समुन्दर के किनारे एक बहुत बड़ा भगवान बुद्धा का मूर्ती बनाया गया है और इस मूर्ती की खासियत ये है की मूर्ती खड़ा है और समुन्दर की और निहार रहा है। जैसे आने वाले विपदा से बचाने वाले हों। आज तक बुद्ध प्रतिमा बैठे वाला ही देखे थे यहीं पर पहली बार  खड़े वाले बुद्ध प्रतिमा देखने मिला। 
        बेनटोटा देख कर लगा की गोवा घूम रहे है, वैसे ही विदेशी लोगों को समुन्दर किनारे घूमता देख कर। एकदम साफ -सुथरा समुन्दर किनारा ,बाजार वगैरा। एक लाईन से बीच में  सिर्फ होटल और बाजार में टूरिस्ट। रात बेनटोटा में विश्राम कर के सुबह फिर घूमने निकल गएँ। 
                                                                                                                                        क्रमशः



शनिवार, 26 अगस्त 2017

PINNAWELA ELEPHANT ORPHANAGE

                                          ELEPHANT ORPHANAGE

                                                    हाँथियों का आश्रम 

                    मसालों का बाग घूमने के बाद आगे बढ़ने पर पिन्नावेला गावँ आया। यहाँ पर हाँथियों का आश्रम देखने मिला। पहले तो जरा आश्चर्य हुआ की हाँथी का भी आश्रम होता है। बुजर्गों का ,महिलाओं  का अनाथ बच्चों का आश्रम सुने और देखे थे। हाँथी तो जू या जंगल में होता है। पर जब पिन्नावेला पहुँचे और आश्रम गये तो पता चला की जंगल में जब हाँथी का छोटा बच्चा अपने परिवार से बिछड़ जाता है या कोई बीमार हाँथी रह जाता है तो ,जंगल विभाग वाले वाइल्डलाइफ संरक्छक को खबर करते है। फिर वे लोग इस आश्रम में लाकर रखते है और उनका इलाज वगैरा करते हैं। 
        1975 से 25 एकड़ जगह में ये आश्रम बना हुआ है। यहाँ पर करीब 100 हाँथी और 50 महावत हैं। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग हाँथी यहाँ पर है। हांथियों का तीसरा पीढ़ी एक साथ यहाँ रहते हैं। सुबह -शाम दोनों टाईम 20-25 हांथियों के ग्रुप को बारी -बारी से नदी स्नान कराने ले जाते है। रोड के इसपर खुले जंगल वाला कैम्पस में हाँथी रहते हैं और रोड के उस पार  नदी बहती है उसी में हाँथी को घंटो स्नान कराया जाता है। 
         टूरिस्ट लोग टिकट ले कर नदी किनारे खड़े हो जाते हैं और हांथियों का मस्ती करके स्नान करना देखते हैं। एक ग्रुप स्नान कर लेता है तो महावत लोग लाईन से हाँथियों को वापस कैम्पस ले जाते हैं और उन्हें उम्र के हिसाब से भोजन कराते हैं। तब तक दूसरा ग्रुप नहाने नदी जाता है। यही क्रम दिन में दो बार चलता है और टूरिस्ट इसका मजा लेते हैं। वैसे जो व्यस्क  मेल हाँथी होता है उससे कैम्पस का छोटा -मोटा काम भी कराया जाता है। पर एक ही  दाँत वाला टस्कर हाँथी देखने मिला। हमारे लिये ये भी एकदम नया अनुभव था। घंटो कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। अब हमलोग पिन्नावेला  से हांथियों का प्रोग्राम देख कर आगे के सफर के लिये बढ़ गये। 
                                                                                                                                            क्रमशः 








शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

SPICE GARDEN MAWANELLA

                                     SPICE GARDEN MAWANELLA

                                                         मसाले का बाग 

                        रामबोड़ा से वापस कैंडी की  ओर बढ़ चले। कैंडी से आगे मवानेल्ला गावँ पहुँचे। यहाँ मसाले का बाग देखने मिला एकदम केरल के थेकड़ी के जैसा। हजारो प्रकार के वनस्पति ,औषधी गुणों वाला पौधा ,मसाला ,कोकोबीन ,एलोवीरा ,वेनीला वगैरा का पौधा देखने मिला। वैसे ऐसा मसालों का गार्डन केरल में देखे और खरीदे भी थे ,पर यहाँ एक नया चीज देखने और समझ ने मिला।
               अभी तक नारियल दो प्रकार का देखे थे ऑरेंज रंग और हरा। कोई भी नारियल का पानी पीओ या चटनी वगैरा के काम में लेलो यही जानते थे। यहाँ पर 3 -4 प्रकार का नारियल का पेड़ देखने मिला और उसके उपयोग का पता चला। यहाँ तक छिलके को भी क्यारी में ईंट जैसा लाईन से रखे थे ये भी नया सिखने मिला। 
  1  ऑरेंज रंग- -किंग नारियल--पानी पीने केलिए , 
  2 लाल  नारियल --दवाई बनाने के काम आता, 
  3 हरा नारियल --चटनी मसाले के लिये ,
  4 हरा -पीला ---   कुकिंग तेल के लिये ,
  इतने प्रकार के मसाले वगैरा होने के कारन से ही इतना छोटा एक टापू होने पर भी जल मार्ग से सैकड़ों सालों से विदेशी  व्यापारी श्री लंका व्यापर करने आते थे। ये सब देख कर ही पता चला ,नहीं तो अभी तक सीलोन टी के लिये फेमस है यही पता था। मसाला बागान देख कर आगे के सफर के लिये चल पड़ें। 
                                                                                                                                        क्रमशः 
           












                         ,

गुरुवार, 24 अगस्त 2017

RAMBODA FALL

                                                  RAMBODA FALL

                                                       रामबोड़ा झरना 
          
                     नुवाराएलिया घूम कर वापस रामबोड़ा गावँ में रामबोड़ा झरना के किनारे रात रुक गए। वैसे तो पुरे घाटी में झरना ही झरना था। पर क्या इतिफाक है की राम सीता के इलाके का झरना का नाम भी राम के ही नाम पर था। A -5  हाईवे में ही नुवाराएलिया के रास्ते में ही ये झरना पड़ता है और झरना किनारे होटल में रहना भी काम रोचक नहीं था।रूम में बैठे या बालकनी में हर जगह से कल -कल करता झरना बहता हुआ दिखता है। जो की बड़ा ही अच्छा लगता है। चारो तरफ चाय बागान ,पहाड़ और झरना। रात रुक कर सुबह आगे के सफर के लिये चल पड़े। 
                                                                                                                                           क्रमशः 









बुधवार, 23 अगस्त 2017

KANDY TO NUWARAELIYA

                                              KANDY TO NUWARAELIYA

                                                                 रामायण  यात्रा 

                                कैंडी घूम कर हमलोग नुवाराएलिया की तरफ बढ़ गये। यहाँ से और भी ज्यादा चढ़ाई शुरू हो गया। चारों ओर चाय बागान ,ऊँचा -ऊँचा सैकड़ों साल पुराना पेड़ ,घना जंगल ,झरना। रोड के दोनों और का दृश्य बहुत ही सुन्दर था । अंग्रेजों ने अपने ज़माने में दक्छिन भारत से तमिलों को चाय बागान में काम करने श्री लंका में यहीं लाये और बसाये थे।  भारत में भी उसी कल में दक्छिन भारत के ऊंटी और कुन्नूर में चाय बागान के लिए शहर बनाये और बसाये थे। दोनों जगह एकदम एक जैसा लग रहा था। लग रहा था की कुन्नूर,ऊंटी  में घूम रहे हैं। 
         यहीं से हमारा रामायण का टूर शुरू होता है। यहीं पर ऊँचे पर्वत पर घने जंगल में झरना के बगल में अशोक वाटिका में सीता अम्मा का मंदिर ,हनुमान मंदिर , हनुमान का पद छाप ,रामबोला झरना देखने मिला।अपने धर्म में मान्यता तो यही है की लंका का राजा रावण सीता जी का अपहरण करके अशोक वाटिका में रखा था।  अब सच जो हो पर हनुमान जी कूदते फांदते यहाँ पहुंचे थे। फिर वानर निर्मित सेतु से राम जी की वानर सेना लंका आई और राम -रावण युद्ध हुआ। 
    भारत से तमिल लोग सैकड़ों साल पहले यहाँ आये और बस गये तो अपने भगवान का मंदिर बनाये। हनुमान जी का पंजा का निशान भी अशोक वाटिका में देखने मिला। चिन्मय मिशन द्वारा हनुमान मंदिर भी पहाड़ में बना हुआ है। भारत से जो घूमने आता है वो अशोक वाटिका आकर और सीता मंदिर वगैरा जरूर देखता है। वैसे अशोक वाटिका को यहाँ अशोक गार्डन बोलते है और घने जंगल के बीच में सुन्दर फूल फुलवारी बना कर वाटिका का संरक्छन कर दिए है। टिकट कटा कर गार्डन घूम सकते है।चारों  तरफ झरना ही झरना है जिसे रमाएलिया  ,रामबोड़ा बोला जाता है। हमलोग तो पोलीटिकल कारन से आज तक भगवान राम के जन्म स्थान में उनका मंदिर नहीं बना पाये। भला हो उन तमिलों का जो रामायण से जुडी अपने ग्रन्थ को जिन्दा तो रखे। वैसे नुवाराएलिया से आगे जाने पर दामुला में बोलते है की रावण का भी निशान वगैरा है पर आगे और भी चढ़ाई होने के कारन हमलोग यहाँ से वापस लौट गये। 
                                                                                                                                      क्रमशः