मंगलवार, 23 जुलाई 2019

NATIONAL COUSINS DAY

                        कजिन दिवस

         दुनिया में हर साल तरह -तरह का एक दिवस मनाया जाता है ,उसी में एक कजिन दिवस भी है। कजिन दिवस कब से शुरू हुआ है ये तो  ठीक से अभी पता नहीं चला है। हर दिवस की तरह ये भी एक दिवस 24 जुलाई को मनाया जाता है।
  भारत में शुरू से संयुक्त परिवार का रिवाज था। जिसमे चाचा -चाची ,ताया -ताई ,बुआ ,दादी -दादा सारे परिवार के लोग एक साथ रहते थे। तो घर में चचेरे ,ममेरे सारे कजिन भाई -बहन एक साथ एक घर में खेलते- कूदते ,लड़ते -झगड़ते बड़े हो जाते थे। पर आजकल परिवार छोटा हो गया है इसलिए कजिन दिवस मना कर साल में एक बार अपने सारे कजिन को याद करा जाता है। हमलोग के बचपन में भी हमलोगों का लालन -पालन सयुंक्त परिवार में हुआ था। इसलिए हमलोग अपने चचेरे भाई बहन के साथ अच्छा समय बिताये है पर अब तो बस सबों की याद ही रह गयी है। मिलना भी नहीं हो पता है सब अपने अपने परिवार और काम में अपने -अपने घरों में व्यस्त रहते है। बचपन का मस्ती, घूमना ,पिकनिक ,दादा -दादी से सिकायत करना रूठना मनाना बस सब अब याद बन कर रह गया है।वो भी क्या दिन थे।








सोमवार, 22 जुलाई 2019

DRINKING TEA IN A TEA GARDEN

                            चाय बगान में चाय का लुफ्त

                बरसात का मौसम रविवार की शाम परिवार के साथ चाय बगान में बैठ कर चाय का लुफ्त उठाने का मजा ही कुछ और ही है ,फिर क्या था निकल पड़े। रविवार को सबों का छुट्टी का मूड था ही  .प्रकृति का नजारा देखते हुए चाय पकौड़े का लुफ्त सबो ने उठाया।चारो तरफ हरा भरा चाय का बाग। बीच में छोटा सा चाय का दुकान , रेस्टुरेंट में भांति -भांति के रंग बिरंगी फूल, वाह क्या नजारा था। रविवार शाम घूमने का सही उपयोग भी हो गया।





  

रविवार, 21 जुलाई 2019

BOATING IN SIMS PARK

             सिम्स पार्क में नौका विहार 

    सिम्स पार्क कुन्नूर का एक इम्पॉर्टेंट टूरिस्ट प्लेस है। पार्क सैकड़ों एकड़ में फैला हुआ है। हजारों साल पुराना है, J . D.SIMS के नाम पर 1874 में बना था। ये पार्क +बोटॉनिकल गार्डन है। यहाँ देशी विदेशी हजारो प्रकार के पेड़ ,पौधा ,फूल पत्ती झाड़ वगैरा है।उस ज़माने में सारी दुनिया से मंगवाया गया था। 
   पार्क में एक छोटा सा बच्चो के खेलने के लिये भी पार्क और बोटींग का भी इंतजाम है।घर के बगल में होने के कारन कभी भी घूमने जा सकते है। शनिवार की दोपहर को दादी -पोता पार्क में बोटींग करने चल पड़े।मौसम भी खूब सुहाना था ,नहीं तो कुन्नूर का बरसात का कोइ ठिकाना नहीं है कभी भी बरसने लग जाता है।  सिम्स पार्क में नौका विहार का मजा लिये।वैसे साल भर यहाँ टूरिस्ट का मेला लगा रहता है। लेकिन हमलोग को बोटींग करने मील ही गया। शनिवार की शाम का सदुपयोग भी हो गया।




   

शनिवार, 20 जुलाई 2019

SIMS PARK MAI HYDRANGEA KI BAHAR

                 हाइड्रेंजिया फूल की बहार

        कुन्नूर के सिम्स पार्क में चारो तरफ हाइड्रेंजिया फूल का बहार देखने मिला। हाइड्रेंजिया का मूल स्थान चीन ,जापान और एशिया के थोड़ा ठंडा स्थान में पाया जाता है। कुन्नूर ठंडा जगह है इसलिए यहाँ घर हो या पार्क इसका फूल देखने मील ही जाता है। पर सिम्स पार्क में फूल का बहार देख कर बहुत ही अच्छा लगा।
     हाइड्रेंजिया का पौधा 1 -3 फ़ीट हाइट का झाड़ी नुमा पौधा है। इस पौधे की खासियत ये है की फूल सफ़ेद से होकर गुलाबी होते तक बैगनी रंग का गुच्छे में होता है। मिट्टी में यदि एल्युमुनियम की मात्रा ज्यादा हो तो बैगनी रंग का हो जाता है यदि एल्कलाइन का मात्रा हो तो गुलाबी ,सफ़ेद रंग का फूल होता है।
   चीन ,जापान ,कोरिया आदि देशों में हर्बल चाय में इसके फूल पत्ती का उपयोग किया जाता है। एक बार फूल जब खिलता है तो महीनों तक फूल का गुच्छा खिला ही रहता है और सूखने पर रंग बदलते जाता।जब फूल पूरी तरह सुख जाता है तो इसे अच्छी तरह कटींग कर देना चहिये। और कटींग को फिर से लगा देने पर अगले मौसम के लिये पौधा तैयार हो जाता है। फिर नया और पुराना पौधा में फूल का बहार देखने मिलता है। 



गुरुवार, 18 जुलाई 2019

HOLY BASIL

               तुलसी पौधा

     हिन्दू धर्म में तुलसी को लक्ष्मी का रूप मानकर घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया जाता है। हजारों साल से हमारे पूर्वजों को तुलसी का गुण  पता था इसलिए इसे पूजनीय बना कर रोज पूजा किया जाता था। वैसे तुलसी एक औषधीय पौधा है, एलोपैथी ,यूनानी ,होमियोपैथी और आर्युवेद सबों में दवाई बनाने के लिये उपयोग किया जाता है। बहुत सारी बीमारियों में इसका उपयोग होता है। इसका पौधा झाड़ी नुमा 1 -3 फ़ीट हाइट का होता है। इसकी पत्तियाँ  हरा -बैगनी रंग की होती है। वर्षा काल में नए पौधा लगाने पर शीतकाल में फूलते है। पुष्प मंजरी बहुरंगी छटा वाली होती है। करीब 3 साल बाद पौधा बदल देना चाहिए ,क्योंकि 3 साल बाद पौधा का  वृद्धा अवस्था हो जाता है तब कम फूलता फलता है।
     तुलसी की बहुत सारी प्रजाति होती है-------
1 -राम तुलसी -राम तुलसी का पत्ता हरा होता है और फूल वैगनी रंग का होता है। इसका खुशबु और स्वाद हल्का लॉन्ग जैसा होता है।
2 -कृष्णा तुलसी -इसे श्यामा तुलसी भी बोला जाता है और पत्ती ,फूल मंजरी सब वैगनी रंग का होता है।
3 - विष्णु तुलसी- इसे श्वेत तुलसी के नाम से भी जाना जाता है।इसकी पत्ती हल्का हरे रंग का और फूल सफ़ेद रंग का होता है।
४-नीम्बू तुलसी -इसे वाना तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। इसका  पत्ताका ऊपरी भाग  हल्का हरा और पत्ते का नीचला हिस्सा डार्क हरा होता है। इसकी खुशबू और स्वाद हल्का नीम्बू जैसा होता है।
5 -वन तुलसी -ये जंगलो में पाया जाता है,और झाड़ीनुमा होता है।
पाँचो तुलसी का अर्क मिला कर दवाई बनता है जो की बहुत सारी बीमारीयों में उपोयग किया जाता है।
  तुलसी के पत्ते को चाय में तो डाला ही जाता है।इसके 108 मनके के माला से जाप भी किया जाता है।
    तुलसी के मंजरी के बीज से नया पौधा तैयार किया जाता है। एक बार बीज लगाने पर महीना तो लग ही जाता है पौधा निकलने में फिर पौधा तैयार होने पर इसे रोपा जाता है।ये सब तो सभी कोइ जानते ही है।  पर जब तक कुन्नूर नहीं आये थे तब तक पता ही नहीं था की तुलसी के पौधे को कटिंग से भी लगाया जाता है। इसके डंठल को काट कर मंजरी और पत्ते को निकाल कर  पानी वाले पात्र  में छोड़ देने से 8 -10 दिन बाद ही जड़ निकलना शुरू हो जाता है। और फिर कुछ दिनों बाद पौधा रोपने लायक तैयार हो जाता है।कुन्नूर में पाया जाने वाला तुलसी का पत्ता हल्का हरा थोड़ा मोटा और फूल सफ़ेद होता है और इसका स्वाद भी थोड़ा कडुआ होता है।शायद पहाड़ी पौधा होने के कारन ऐसा होता होगा। पर वैसे भी तुलसी के पत्ते को नाख़ून से खोटना नही चाहिए और ना तो दांत से चबाना चाहिए बहुत ही स्ट्रॉग होता है इसे निगल लेना चाहिए।





    

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

NIGHT BLOOMING JASMINE (YELLOW RATRANI )

                  रात की रानी (पीला रात की रानी )

       रात की रानी सोलनेसी  फैमिली का पौधा है। इसका मूल स्थान दक्छिन एशिया और वेस्टइंडीज़ है। जैसा की नाम है रात की रानी तो रात को ही खिलता है। अधिकांश रात में खिलने वाला फूल सफ़ेद और खुशबूदार होता है। इस फूल की खासियत ये है की पूर्णिमा में पुरे पौधे में फूल भर जाता है पर अमावस्या में नहीं खिलता है। फूल में पांच पंखुड़ी स्टार के आकार में होता है। वैसे इसका पौधा 10 -12 फ़ीट का होता है और इसमें साल में 4 बार फूल खिलता है पर हर बार फूल हो जाने के बाद थोड़ा काट छांट कर देने पर पौधा सूंदर भी दीखता है और 5 -6 फ़ीट का ही रहता है।
  खुशबूदार  फूल होने के कारन छोटी चिडिया  ,कीट -पतंग इत्यादी आकर्षित होते है और इसका पराग फैलाते है। आर्युवेद दवाई ,कॉस्मेटिक ,इत्र इत्यादी बनाने में भी काम आता है।वैसे तो सभी कोइ सफ़ेद रात की रानी ही जानते है और रायपुर में घर में भी लगा है जब -जब फूल खिलता है तो गार्डन में बहार आ जाता है और खुशबु से बड़ा अच्छा भी  लगता है।
       कुन्नूर में पीला -नारंगी रंग लिये हुए रात की रानी का फूल होता है पर इसमें खुशबु भी नहीं होता है। जंगल में झाड़ी नुमा पौधा होता है। जब फूल खिलता है तो बहुत ही अच्छा लगता है। जंगल होने के कारन छोटी -छोटी चिडीया फूल से रस लेते रहती है जिसे देखना अच्छा लगता है।कुन्नूर आने के पहले तक सिर्फ सफ़ेद ही रात  की रानी जानते थे। अब तो हर साल पीला रात की रानी का बहार देखने मिल ही जाता है।





    

मंगलवार, 9 जुलाई 2019

CACTUS FLOWER BLOOM

                    बगिया में  कैक्टस फूल खिले

         कैक्टस रेगिस्तान में उगने वाला कंटीला प्रजाति का पौधा है। लेकिन अपने बगीचे में भी इसे लगा सकते है। नर्सरी में बहुत आकर -प्रकार का कैक्टस मिल जाता है। बहुत में फूल नहीं होता है और उसका आकर से ही सूंदर दिखता है। बहुत में फूल खिलता है। कई प्रजाति में 25 -30 साल फूल होने में भी लग जाता है। कैक्टस को ज्यादा पानी की जरुरत भी नहीं होती है। इसे तेज सूरज की रौशनी की जरुरत होती है। कोई भी मौसम हो कैक्टस इसे झेल लेता। है।
  बहुत बार अलग -अलग टाइप का कैक्टस लगाए थे ,पर 2 -4 साल बाद पता नहीं कैसे ख़राब हो जाता था। इस बार बड़ा अच्छा कैक्टस लगा है। ये भी 3 -४ साल का हो गया है और इसमें फूल  सूंदर प्लास्टिक टाइप का हल्का गुलाबी -बैगनी रंग का बहुत सारा एक साथ खिलता है जो हफ्तों रहता है। देख कर बहुत ही अच्छा लगता है।

   


मंगलवार, 2 जुलाई 2019

RANGOON VINE

                   माधवी लता

     माधवीलता का फूल खुशबूदार गुच्छे  में होता है। यह एशिया में पाया जाने वाला लता  (वेल ) है,पर दुनिया के और भी जगहों में पाया जाता है।  साल भर इसका  फूल खिलते ही रहता है। गर्मी के दिनों में भीना -भीना खुशबू पुरे गार्डन में बिखेरता है। पर फूल का रंग जरा डल रहता है। जैसे ही बरसात शुरू हुआ इसका छठा देखते ही बनता है। फूल सफ़ेद रंग में खिलता है और फिर गुलाबी होते -होते चटक लाल रंग का हो जाता है। एक ही गुच्छे में तीनो रंग एक साथ होता है। फूल का गुच्छा भी कई दिनों तक खिला रहता है। 
   माधवी लता कई नामो से जाना जाता है। अलग अलग राज्य में इसका नाम भी अलग है। मधुमालती ,रंगून मल्ली,राधा मनोहरम इत्यादी नाम है। बर्मा में बहुत होता है ,शायद इसलिए इसका नाम रंगून पड़ा होगा।  अब बरसात भी शुरू हो गया है इसका छटा देखते ही बनता है ,गार्डन का रौनक भी लौट आया है।