कजिन दिवस
दुनिया में हर साल तरह -तरह का एक दिवस मनाया जाता है ,उसी में एक कजिन दिवस भी है। कजिन दिवस कब से शुरू हुआ है ये तो ठीक से अभी पता नहीं चला है। हर दिवस की तरह ये भी एक दिवस 24 जुलाई को मनाया जाता है।
भारत में शुरू से संयुक्त परिवार का रिवाज था। जिसमे चाचा -चाची ,ताया -ताई ,बुआ ,दादी -दादा सारे परिवार के लोग एक साथ रहते थे। तो घर में चचेरे ,ममेरे सारे कजिन भाई -बहन एक साथ एक घर में खेलते- कूदते ,लड़ते -झगड़ते बड़े हो जाते थे। पर आजकल परिवार छोटा हो गया है इसलिए कजिन दिवस मना कर साल में एक बार अपने सारे कजिन को याद करा जाता है। हमलोग के बचपन में भी हमलोगों का लालन -पालन सयुंक्त परिवार में हुआ था। इसलिए हमलोग अपने चचेरे भाई बहन के साथ अच्छा समय बिताये है पर अब तो बस सबों की याद ही रह गयी है। मिलना भी नहीं हो पता है सब अपने अपने परिवार और काम में अपने -अपने घरों में व्यस्त रहते है। बचपन का मस्ती, घूमना ,पिकनिक ,दादा -दादी से सिकायत करना रूठना मनाना बस सब अब याद बन कर रह गया है।वो भी क्या दिन थे।
दुनिया में हर साल तरह -तरह का एक दिवस मनाया जाता है ,उसी में एक कजिन दिवस भी है। कजिन दिवस कब से शुरू हुआ है ये तो ठीक से अभी पता नहीं चला है। हर दिवस की तरह ये भी एक दिवस 24 जुलाई को मनाया जाता है।
भारत में शुरू से संयुक्त परिवार का रिवाज था। जिसमे चाचा -चाची ,ताया -ताई ,बुआ ,दादी -दादा सारे परिवार के लोग एक साथ रहते थे। तो घर में चचेरे ,ममेरे सारे कजिन भाई -बहन एक साथ एक घर में खेलते- कूदते ,लड़ते -झगड़ते बड़े हो जाते थे। पर आजकल परिवार छोटा हो गया है इसलिए कजिन दिवस मना कर साल में एक बार अपने सारे कजिन को याद करा जाता है। हमलोग के बचपन में भी हमलोगों का लालन -पालन सयुंक्त परिवार में हुआ था। इसलिए हमलोग अपने चचेरे भाई बहन के साथ अच्छा समय बिताये है पर अब तो बस सबों की याद ही रह गयी है। मिलना भी नहीं हो पता है सब अपने अपने परिवार और काम में अपने -अपने घरों में व्यस्त रहते है। बचपन का मस्ती, घूमना ,पिकनिक ,दादा -दादी से सिकायत करना रूठना मनाना बस सब अब याद बन कर रह गया है।वो भी क्या दिन थे।