बुधवार, 15 जून 2022

#WHITE#TIGER#SAFARI#ZOO#MUKUNDPUR#REWA

                                         सफ़ेद बाघ की सफारी 

                                       मुकुंदपुर रीवा मध्य प्रेदश 

               विंध्य प्रदेश में रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने1951 में  एक सफ़ेद बाघ का बच्चा  जंगल में पकड़ा। उन्हें बहुत पसंद आया वे अपने महल में ले आये और उसका नाम मोहन रखे और उसे बहुत ही लाड  प्यार से पालने लगे।बाद में मुकुंद पुर के जंगल में रखा गया। आज दुनिया में जीतने भी सफ़ेद बाघ है सब मोहन और राधा के ही सन्तत्ति है। मोहन का निधन 1969 में हुआ। अब मुकुंदपुर में सफ़ेद बाघ सफारी और ज़ू बना दिया गया है। यहाँ सिर्फ चार सफ़ेद बाघ और तीन पीला बाघ है। 25 हेक्टर जंगल में खुले में सफ़ेद बाघ को रखा गया है और उसका नाम रघु है। बंद बस में ज़ू में बाघ देखने ले जाते है। आदमी पींजरे में और बाघ खुले में इसका मजा भी अलग है। 
                    ज़ू में बैटरी कार से भी घुमाते है। जिस इलाके में रघु और दूसरा सफ़ेद बाघ है वहाँ तो बंद गाड़ी में लेजाते है पर बाकी पुरे जू में बैटरी गाड़ी से जाना होता है। तरह तरह के जीव जंतु तो वहां है पर सफ़ेद हरिण वहाँ पहली बार देखने मिला।सफ़ेद हरिण का झुण्ड देख कर लगता था की सफ़ेद बकरी चर रही है। देख कर दिल खुश हो गया कभी सुने नहीं थे की सफ़ेद हरिण भी होता है और इतने नजदीक से देखने मील गया  इसके अलावा कस्तूरी मृग ,चीतल ,सांभर ,नील गाय ,भालू ,शुतुरमुर्ग आदि नाना प्रकार के जानवर देखने मिला। मोहन के बाद रघु ही जंगल का राजा है। 1987 में मोहन का डाक टीकट भी बना। बहुत दिन से जानते तो थे की सफ़ेद बाघ सिर्फ भारत के रीवा में पाया जाता है पर कभी रीवा जाना नहीं हुआ था। इस वार रीवा जाना हुआ और सफ़ेद बाघ और सफ़ेद हरिण को नजदीक से देखने का मौका मिला मजा आगया। रीवा जाना जंगल घूमना वर्थ था।  





 

रविवार, 12 जून 2022

#PADMAVATI#DEVI#TEMPLE#PANNA

                          पद्मावती देवी मंदिर पन्ना 

                                        शक्ति पीठ पन्ना 

             पन्ना में पद्मावती शक्ति पीठ है। पन्ना में सती का दाहिना पैर (पदम )गिरा था। इसलिए इस शक्ति पीठ का नाम पद्मावती पड़ा। यहाँ हर धर्म के लोग मानता मांगने आते है और माथा टेकते है। उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।   प्राचीन काल में पद्मावत नाम के राजा थे ,जो की शक्ति के उपासक थे। उन्होने अपनी आराध्य देवी माँ दुर्गा को  पद्मावती नाम से मंदिर में स्थापित किया। इस छेत्र का नाम इसीसे पद्मावती पूरी हुआ।  बाद में परना नदी के किनारे होने के कारन परना और फिर पन्ना हुआ।

              पन्ना से पबई 45 किलोमीटर की दूरी में है यहाँ कालिका जी का मंदिर है। 

             पबई से मैहर 45 किलोमीटर की दूरी में है यहाँ शारदा देवी का मंदिर है। 
            मैहर से पन्ना 45 किलोमीटर की दूरी में है यहाँ दुर्गा देवी का मंदिर है।          
            तीनों मंदिर त्रिकोण में है और तीनो ही देवी का है। और ये आज का नहीं सैकड़ों साल पहले का है कैसे उस ज़माने में कौन से  गणित से बना होगा क्या सोच रहा होगा। इस छेत्र में तीनो मंदिरों को लोग बहुत मानते है। 




        

  


शुक्रवार, 10 जून 2022

#FAMOUS#TEMPLE#PANNA

               मंदिरो की नगरी पन्ना 

                     पन्ना मध्यप्रेदश के बुंदेलखंड की ऐतेहासिक नगरी है।बुंदेलखंड के  राजा छत्रसाल 1675 में पन्ना नगर में  संगमरमर के गुम्बद वाले मंदिर बनवाया था।  पन्ना हीरों की खान के लिये फेमस है,17 वीं शताव्दी से खान
में खुदाई हो रहा है।  इसके आलावा मंदिरो की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।शहर के बीच में ही सारा मंदिर है मंदिरो की बनावट मुग़ल शैली में बना है। मंदिर का शिखर मस्जिद के गुम्बद जैसा है। करीब करीब सभी मंदिरो में एक जैसा बड़ा बड़ा प्रांगण और उसके बीच में मंदिर और सभी मंदिर  का रंग रोगन भी करीब करीब एक जैसा है.
            पन्ना का प्रमुख मंदिर में -----
             प्राणनाथ जी मंदिर --1692 में बना है। 
            जुगल किशोर जी का मंदिर -1758 में बना है। कृष्ण -राधा जी का है जो की बृन्दावन से लाया गया था। 
            बलदेव जी का मंदिर, राम जानकी का मंदिर ,जगरनाथ जी का मंदिर,और पद्ममावत शक्तिपीठ भी यहाँ है।
महाभारत कालीन विराट नगर (बरहटा ) पन्ना में है। सम्राट चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य की जन्म स्थली भी यहीं है।अगस्त मुनी राम जी से यहीं मिले थे। पन्ना में टाइगर रिज़र्व नेशनल पार्कभी है।
 






  

   


मंगलवार, 7 जून 2022

#KHAJURAHO#TEMPLE

                              खजुराहो मंदिर 

              खजुराहो स्मारक समूह हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का समूह है।ये  मध्यप्रदेश के छतरपुर में है। ये स्मारक यूनेस्को विश्व धरोहर में जाना जाता है। 10 वीं से 12  वीं शताव्दी तक चंदेल वंश के अलग अलग राजाओं ने यहाँ अलग अलग मंदिरों का निर्माण किया था.उस कल में ८५ मंदिर थे पर अब सिर्फ 25 ही रह गए है।  
          उस ज़माने में यहाँ खजूर का विशाल वन था इसलिए खजुराहो नाम पड़ा। यहाँ के राजा चन्द्रवर्मन को इंद्र का पुत्र माना जाता था। इसीसे चंदेल वंश नाम पड़ा। एक ब्रिटिश इंजीनियर ने खजूर के जंगल में मंदिरो की खोज की थी जो की हजारो साल से वन में छीपा हुआ था। उसके बाद ही 1980 में वर्ल्ड हेरीटेज बना। यहाँ का सबसे बड़ा मंदिर में कंदरिया महादेव मंदिर है जो की बहुत ही सुन्दर है।यहाँ के खजूर वन में एक बहुत ही बड़ा शिवलींग भी मिला था जो की बहुत दूर से दिख जाता है। 
                यहाँ का प्रमुख मंदिर में दुलादेव मंदिर शिव को समर्पित हे ,चतुर्भुज मंदिर भगवान विष्णु को ,कंदरिया महादेव ,विश्वनाथ ,वामन ,लक्षमण ,सूर्य मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है। बहार से  करीब करीब सब मंदिर और नक्काशी एक जैसा लगता है पर हर नक्काशी अलग कहानी बताती है। तांत्रिक संप्रदाय ,धार्मिक ,सौन्दर्य कला ,युद्ध आदि दर्शाता है।  
मंदिर की रचना ऐसी है की सूर्योदयऔर सूर्यास्त के समय सूरज की रौशनी सीधे गर्भ गृह में भगवान की मूर्ती में जाती है। एक मंदिर में मूर्ती ऐसा है की देखते ही रह जाओ । एक ही मूर्ती में सिर शिव का शरीर चतुर्भुज विष्णु जी का पैर कृष्ण जी का  . उस जमाना का  सोच और कारीगरी का तुलना कर ही नहीं सकते है।
यहाँ हर साल फरवरी के महीना में डांस फेस्टीवल होता है। यहाँ मंदिर समूह के प्रांगण में रोज रात्रि को ध्वनी और प्रकाश का प्रोग्राम अमिताभ बच्चन जी के आवाज में होता है ,जो जरूर देखना चाहिए। मंदिर बनने की सारी  जानकारी कहानी के रूप में बताया जाता है।
10 वों साल से खजुराओ का प्रोग्राम बनता था। जाना ही नहीं हो पा रहा था। आखिर मई की भीषण गर्मी में हमलोग का प्रोग्राम बना ,गाइड भी अच्छा मिला अच्छे से सब मंदिर घुमा दिया। बिना गाइड का तो मंदिर देख कर कुछ समझ ही नहीं आता।