दक्षिण भारत का गुड्डिया पूजा
नवरात्री ऐसा पर्व है की पुरे भारत में देवी का पूजा खूब धूम धाम से मनाया जाता है। भले नाम और रूप अलग हो पर देवी का ही पूजा करते है। जैसे बंगाल में दुर्गा पूजा का धूम होता है, तो गुजरात में गरवा और दूसरे जगहों में देवी के नौ रूप का नौ दिनों तक चलने वाला पर्व। वैसे ही दक्षिण भारत में गुड़िया पूजा करते है।
नवरात्री में दक्षिण भारत के लोग अपने घरों में लकड़ी के प्लेटफॉर्म में लकड़ी की गुड़िया सजा कर नौ दिनों तक पूजा करते है। लकड़ी का प्लेटफॉर्म भी खास होता हो जो की 3,5,7 ऑड नम्बर में होता है। सबसे ऊपर की पंक्ति में कलश रखा जाता है। फिर उसके बाद महाभारत,रामायण या कोई हिन्दू धार्मिक कहानी के थीम में उसके पद के क्रम में उस पात्र को सजाया जाता है।इन्ही गुड्डियों को गोलू बोला जाता है।
प्रथम तीन दिन दुर्गा ,फिर तीन दिन लक्ष्मी और अंत तीन दिन सरस्वती जी की पूजा करते है। रोज अलग -अलग दाल और अनाज उबाल कर अलग तरह प्रसाद बनाते है। जिसे संदल प्रसादम बोला जाता है। पड़ोसी ,मित्रगण वगैरा एक दूसरे के घरों में गोलू पूजा की सजावट देखने जाते है और संदल का प्रसाद पाते है।
हर साल नौ दिनों तक पूजा करने के बाद इन गोलूओं को संभाल कर अगले साल के लिये रख दिया जाता है।हमलोगों का बचपन टेल्को कॉलोनी में बीता था तो हमारे बहुत सारे दक्षिण भारतीय मित्र और पड़ोसी भी थे. तो हमलोगो को गुड्डिया पूजा देखने और संदल का प्रसाद भी खाने का सौभाग्य मिला। दुर्गा पूजा के समय गोलू पूजा का भी इंतजार रहता था।
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