विश्वकर्मा जयंती
विश्व रचयता ब्रम्हा जी के पौत्र विशवकर्मा जी को दिव्य इन्जीनियर और ब्रह्माण्ड के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है।हर साल १७ सितम्बर को विश्वकर्मा जयन्ती मनाया जाता है। इस दिन इन्जीनियर ,बुनकर ,शिल्पकार ,औद्योगिक घराना सब जगह सब लोग विश्वकर्मा जी का पूजा अर्चना करते है,और अपने -अपने औजारों का भी पूजा करते है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इन्होने भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका का निर्माण महाभारत काल में किया था और उस युग के अंत के बाद द्वारका जल में विलीन हो गयी थी। रामायण कल में लंका में सोने की लंका का निर्माण किया था और बाद में ये भी जल कर जल में समां गयी। युधिष्ठिर की नगरी इंद्रप्रस्थ भी इनकी ही देन थी । यहाँ तक की इंद्र का इंद्रलोक और इंद्र का ब्रज का भी निर्माण इनके ही द्वारा हुआ था।
इन्ही सब कारणों से विशवकर्मा जी पूजे जाते है ,और हर साल लोग बाग धूम धाम से इनकी जयन्ती 17 सितम्बर को मनाते है। हमलोग का बचपन टाटा में बीता तो हमलोग भी बहुत ही उत्साह से टाटा कंपनी जाते थे। पूरा शहर ही इस दिन का इंतजार करता था। कंपनी का गेट भी सबों के लिये खुला रहता था ,सब आओ घूमो हर डिपार्टमेंट का पूजा देखो प्रसाद पाओ। हमलोगो को इस दिन का इंतजार रहता था। ना तो आतंकवाद का डर था न कुछ अब तो फैक्ट्री के अंदर सिर्फ फैक्ट्री के एम्प्लॉय ही जा सकते है।
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