PHILATELY PART-5
3D शेडिंग स्टाम्प
कई देशों में 3 डाइमेन्सन और उभरे चित्रों वाले टिकट जारी किये गये। ये देश भूटान ,मलाया आदि है । इन टिकटों को लिफाफे पर लगाना सुविधाजनक नहीं था इसलिए ये डाक के काम में नहीं आ सके। बस संग्रहियों के पास दिखाने के लिये रह गए है।
संसार के सभी देशों के डाक टिकटों पर उस देश का नाम छपा होता है पर ब्रिटेन ही एक ऐसा देश है जिसके टिकटों पर देश का नाम नहीं होता है। ऐसा इसलिए की सबसे पहले सिर्फ ब्रिटेन में ही डाक टिकट जरी हुआ। तब दूसरे देशों के डाक टिकट नहीं होते थे इसलिए देश का नाम छापने की आवश्यक्ता नहीं थी। यही परंपरा अभी भी जारी है।
एक और रोचक और मजेदार लिफाफे की कहानी है। ऑस्ट्रेलिया के आजीवन कैदियों को खास तरह के कागज दिए जाते थे अपने घर चिट्ठी भेजने के लिये। .उस पर चिट्ठी लिख कर जेलर को देना पड़ता था. जिसे वे पढ़कर बंद कर एक छेद कर पोस्ट कर देते थे। डाक टिकट नहीं लगाए जाते थे ,पर चिट्ठी पाने वाले को डाक खर्च देना पड़ता था। छेद का अर्थ था कि आजीवन कैदी की चिट्ठी है। जिसे अच्छी तरह पढ़ और जाँच कर लिया गया है। कहीं कोई आपत्तिजनक बात लिखी नहीं हो।
ऐसे ही फिलैटली जगत में बहुत तरह के अजीबोगरीब घटनाएं होती रहती है।
जैसे -
1 -सर्बिया में सन 1904 में एक स्मारक टिकट जरी हुआ ,जिसमे जार्ज के चित्र होने थे पर उसमें एक छाया भी दिख रहा था। जोकि डिजाइन बनाने वाले फ्रांसीसी कलाकार की गलती से हुआ था। उसे भूत स्टाम्प का नाम दिया गया और बंद करवा दिया गया।
२-कनाडा में सन 1935 में एक सेंट वाले राजकुमारी एलिजाबेथ के चित्र वाले स्टाम्प में आंसुओं की बून्द का आभास देने वाला चिन्ह छप गया तो इसे रोती राजकुमारी नाम दिया गया और फिर बंद कर दिया।
इसी तरह अभी बाबा के खजाने में एक से एक मजेदार दुर्लभ स्टाम्प की रोचक कहानी है जो की अब बस स्टाम्प और कहानी संग्राहलय में ही रह गयी है।
क्रमशः
3D शेडिंग स्टाम्प
कई देशों में 3 डाइमेन्सन और उभरे चित्रों वाले टिकट जारी किये गये। ये देश भूटान ,मलाया आदि है । इन टिकटों को लिफाफे पर लगाना सुविधाजनक नहीं था इसलिए ये डाक के काम में नहीं आ सके। बस संग्रहियों के पास दिखाने के लिये रह गए है।
संसार के सभी देशों के डाक टिकटों पर उस देश का नाम छपा होता है पर ब्रिटेन ही एक ऐसा देश है जिसके टिकटों पर देश का नाम नहीं होता है। ऐसा इसलिए की सबसे पहले सिर्फ ब्रिटेन में ही डाक टिकट जरी हुआ। तब दूसरे देशों के डाक टिकट नहीं होते थे इसलिए देश का नाम छापने की आवश्यक्ता नहीं थी। यही परंपरा अभी भी जारी है।
एक और रोचक और मजेदार लिफाफे की कहानी है। ऑस्ट्रेलिया के आजीवन कैदियों को खास तरह के कागज दिए जाते थे अपने घर चिट्ठी भेजने के लिये। .उस पर चिट्ठी लिख कर जेलर को देना पड़ता था. जिसे वे पढ़कर बंद कर एक छेद कर पोस्ट कर देते थे। डाक टिकट नहीं लगाए जाते थे ,पर चिट्ठी पाने वाले को डाक खर्च देना पड़ता था। छेद का अर्थ था कि आजीवन कैदी की चिट्ठी है। जिसे अच्छी तरह पढ़ और जाँच कर लिया गया है। कहीं कोई आपत्तिजनक बात लिखी नहीं हो।
ऐसे ही फिलैटली जगत में बहुत तरह के अजीबोगरीब घटनाएं होती रहती है।
जैसे -
1 -सर्बिया में सन 1904 में एक स्मारक टिकट जरी हुआ ,जिसमे जार्ज के चित्र होने थे पर उसमें एक छाया भी दिख रहा था। जोकि डिजाइन बनाने वाले फ्रांसीसी कलाकार की गलती से हुआ था। उसे भूत स्टाम्प का नाम दिया गया और बंद करवा दिया गया।
२-कनाडा में सन 1935 में एक सेंट वाले राजकुमारी एलिजाबेथ के चित्र वाले स्टाम्प में आंसुओं की बून्द का आभास देने वाला चिन्ह छप गया तो इसे रोती राजकुमारी नाम दिया गया और फिर बंद कर दिया।
इसी तरह अभी बाबा के खजाने में एक से एक मजेदार दुर्लभ स्टाम्प की रोचक कहानी है जो की अब बस स्टाम्प और कहानी संग्राहलय में ही रह गयी है।
क्रमशः
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