उड़ने वाली डाक टिकटें PART -6
वायुयान पूरी तरह से विकसीत होने के पहले गर्म हवा भरे बैलून द्वारा भी डाक भेजने का प्रयास हुआ जो कामयाब नहीं हो सका। द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद राकेटों द्वारा भी डाक भेजने की चेष्टा की गयी। विश्व का पहला हवाई डाक भारत में शुरू हुआ। 18-२-1911 को इलाहाबाद से नैनी तक अनेक पत्र और कार्ड वायुयान से भेजा गया। जब हवाई डाक नियमित रूप से होने लगा तो इसके लिये तरह -तरह के टिकट जारी हुए,जिसमे वायुयान का चित्र थे और अधिकतर टिकटें नीले बैक ग्राउंड वाले होते थे। किसी में पुराने डिजाईन के हवाई जहाज ,किसी में उड़ता पक्छी इत्यादी होता था।
भारत में 6-1-1961 को और 1979 को हेलीकॉप्टर ,बोईंग ,पुस्मोथ विमान वाला टिकट छपा।
क्रमशः
वायुयान पूरी तरह से विकसीत होने के पहले गर्म हवा भरे बैलून द्वारा भी डाक भेजने का प्रयास हुआ जो कामयाब नहीं हो सका। द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद राकेटों द्वारा भी डाक भेजने की चेष्टा की गयी। विश्व का पहला हवाई डाक भारत में शुरू हुआ। 18-२-1911 को इलाहाबाद से नैनी तक अनेक पत्र और कार्ड वायुयान से भेजा गया। जब हवाई डाक नियमित रूप से होने लगा तो इसके लिये तरह -तरह के टिकट जारी हुए,जिसमे वायुयान का चित्र थे और अधिकतर टिकटें नीले बैक ग्राउंड वाले होते थे। किसी में पुराने डिजाईन के हवाई जहाज ,किसी में उड़ता पक्छी इत्यादी होता था।
भारत में 6-1-1961 को और 1979 को हेलीकॉप्टर ,बोईंग ,पुस्मोथ विमान वाला टिकट छपा।
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