सोमवार, 4 सितंबर 2017

ONAM FESTIVAL

                                                         ONAM  FESTIVAL

                                                               केरल का ओणम 

                   हर साल भादों के महीने में केरल में ओणम का त्योहार मनाया जाता है। 10 दिनों का या त्योहार केरल का नव वर्ष तो है ही साथ ही नये फसल का भी अवसर होता है ,उसकी भी खुशी मनाया जाता है।वैसे ये भी मान्यता है की राजा महाबली धरती में आकर अपने देश वाशियों का खुश्याली देखने आते है। प्रजा का हाल चाल देख कर वापस चले जाते है। विष्णु अवतार वामन भगवान को अपना राज -पाट राजा ने दान में दे दीया था ,उनको बरदान मिला था की हर साल प्रजा का खोज खबर लेने धरती में 10 दिन के लिये आ सकते हैं। तब से ही ये प्रथा केरल में  चला आ रहा है की पुरे राज्य के लोग घर द्वार सजाते है। नए वस्त्र पहनते है और पकवान बनाते है ,और ओणम का त्योहार मनाते है। लोग बाग नये कपडे ,गहने ,बर्तन भी खरीदते है हमारे दिवाली जैसा ही माहौल दिखता है। 
                     दसों दिन दस तरह का कार्यक्रम चलते रहता है। महिलाएं सामुहिक फूलों की रंगोली बनाती है और नृत्य करती है तथा 26 प्रकार का पकवान बनाती  है जिसे ओणम सदया बोला जाता है।इसमें 4 -5प्रकार का   खीर जरूर होता है  .केले के पत्ते में खाया जाता है। घर में तो बनाया ही जाता है पर पुरे केरल में ओणम के दिन होटलों ,रेस्टुरेंट सब जगह  सदया लंच  मिलता है। 
                            केरल के हर शहर में कुछ न कुछ प्रोग्राम भी चलते रहता है एलेपी में स्नेक बोट रेस ,त्रिशूर में हाँथियों को सजा कर मंदिर से जुलुश निकलता है ,कहीं रोड में शेर के भेस  में लोग नाचते मिलेंगे ,तो कहीं महाबली राजा बन कर कोई घूम रहा है ,कहीं कथकली नृत्य करते लोग दिखेंगे तो कहीं मार्शल आर्ट करते। बस सब जगह कुछ न कुछ देखने मिल जायेगा। दस दिन केरल ओणम के रंग में सजा रहेगा। दो -तीन बार ओणम में मेरा भी केरल जाना हुआ था और ये सब प्रोग्राम भी देखे थे और तरह -तरह का खीर भी खाये थे पर इस बार कोचीन नहीं जा पाये कुन्नूर में ही रह गए। 









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