शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

TIRTHA YATRA

                                      तीर्थ यात्रा

     तीर्थ यात्रा हमारे पुर्वजों ,साधु -संतो और जगत गुरु शंकराचार्य की देन है। तीर्थ के बहाने पुरे देश को जोड़ा गया था। चार धाम ,बारह ज्योतिर्लिंग और 51 शक्ति पीठ। ,इसके लिये पुरे भारत का भ्रमण करना पड़ता है। हमारा देश बहुत ही विशाल है ,उत्तर से दक्छिन ,पूरब से पश्चिम चारो दिशा में गए बिना सब तीर्थ का दर्शन नहीं हो पायेगा। जब की हर प्रान्त की बोली -भाषा ,रहन -सहन ,खान -पान  ,पहनावा इत्यादी सब कुछ एकदम भिन्न है। फिर भी भगवान विष्णु ,शिवजी हो या देवी माँ ,सभी लोग जानते भी है मानते भी है पूजते भी है,और तीर्थ यात्रा करने भी जाते है। पहले ज़माने में तीर्थ बहुत ही कठिन था। कोई ज्यादा साधन -सुविधा भी नहीं था। उस काल में सिर्फ घर के बड़े बुजुर्ग ही तीर्थ यात्रा पर जाते थे। पर अब समय बदल गया है। रास्ते में अच्छा इंतजाम और साधन होने के कारण अब हर वर्ग  और हर उम्र के लोग तीर्थ यात्रा में जाने लगे है। घूमना का घूमना और तीर्थ का तीर्थ भी हो जाता है,बस मौसम साथ दे।
    उत्तर में जहाँ बद्रीनाथ में भगवान विष्णु का मंदिर है और केदारनाथ में स्वम्भू ज्योतिर्लिंग है ,वहीं दक्छिन के  रामेश्वरम में ज्योतिर्लिंग है। पश्चिम में कृष्ण का द्वारका है, वही नागेश्वर और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भी है। और पूर्व में कृष्णका जगन्नाथ का  मंदिर है। सैकड़ो साल पहले जगत गुरु शंकराचार्य ने पता नहीं  चार पीठ और चार धाम की स्थापना कैसे किया था। जिससे सारे हिन्दू आज भी जुड़े है और खुशी -खुशी से चार धाम यात्रा करना अपना सौभाग्य मानते है।हम खुश नसीब है की हम चार धाम यात्रा कर पाए।


  

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