सोमवार, 9 सितंबर 2019

DWARKADHISH

                द्वारकाधीश  (तीसरा धाम  )

     पश्चिम में अरब सागर और गोमती के तट पर गुजरात में द्वारका तीसरा धाम है। भगवान कृष्ण द्वारा बनाया गया था। पर दो बार सागर में समा गया। ये तीसरी बार कृष्ण के वंशजों ने बनवाया था। द्वारका आने पर यहाँ स्टीमर से भेंट द्वारका भी जाते है यही कृष्ण -सुदामा की भेंट हुई थी। द्वारका दर्शन करने के बाद आगे बढ़ने पर नागेश्वर ज्योतिर्लींग और अरब सागर के तट पर ही सोमनाथ ज्योतिर्लींग का भी दर्शन हो जाता है।

                                          सोमनाथ ज्योतिर्लींग

    सोमनाथ अरब सागर के किनारे 12 ज्योतिर्लींग में से प्रथम लिंग माना जाता है। चंद्रदेव द्वारा ज्योतिर्लींग स्थापित किया गया था, इसलिए इसका नाम सोमनाथ पड़ा। 18 वीं सदी में अहिल्याबाई द्वारा सोने का मंदिर बनवाया गया था। मोहम्मद  गजनी ने अनेको बार आक्रमण कर मंदिर से सोना लूट कर ले गाया था। बाद में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने मंदिर का फिर से जीर्णोद्वार करने का बीड़ा उठाया। सारा सोना तो लुटा जा चूका था। भक्त दिलीपलेखी और उनके परिवार वालों के सोना दान से  पुरे मंदिर में फिर से सोने के पत्तर से सजाया जा रहा है। अभी तक 104 किलो सोना से मंदिर सज चूका है। पर किसी ज़माने में 200 मन सोना लगा था। मंदिर के गुम्बज में ही 20 मन का कलश था। सोमनाथ अरब सागर और बंगाल की खड़ी के किनारे होने के कारण सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय मंदिर का दृश्य बहुत ही मनोरम हो जाता है।
 द्वारका आने पर तीसरा धाम और दो -दो ज्योतिर्लींग का भी दर्शन हो जाता है।




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