शारदीय नवरात्री
वर्ष में दो बार नवरात्री होता है ,बासंती और शारदीय। क्वांर मास में शारदीय नवरात्री में धूम -धाम से दुर्गापूजा मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है की माँ दुर्गा महिषासुर राक्षस का वध करने के बाद नौ दिनों के लिये अपने पुरे परिवार के साथ मायका आती है। इसलिए नौ दिनों तक माँ के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। उसके बाद लगातार नौ दिनों तक माँ के नौ रूपों की पूजा होती है।
माँ के नौ रूप ये है --
शैलपुत्री ,ब्रह्मचारणी ,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यानी ,कालरात्रि ,महागौरी एवं सिद्धीरात्री
नौ दिन व्रत -उपवास किया जाता है। अष्टमी के दिन विशेष हवन -पूजन करते है। और नववें दिन कन्याओं का पूजा कर उनको भोजन कराकर फिर उपवास तोडा जाता है।अपनी -अपनी श्रद्धा -भक्ति के अनुसार लोग- बाग पूजन -व्रत -उपवास आदि करके नवरात्री का त्यौहार मानते है।
वर्ष में दो बार नवरात्री होता है ,बासंती और शारदीय। क्वांर मास में शारदीय नवरात्री में धूम -धाम से दुर्गापूजा मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है की माँ दुर्गा महिषासुर राक्षस का वध करने के बाद नौ दिनों के लिये अपने पुरे परिवार के साथ मायका आती है। इसलिए नौ दिनों तक माँ के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। उसके बाद लगातार नौ दिनों तक माँ के नौ रूपों की पूजा होती है।
माँ के नौ रूप ये है --
शैलपुत्री ,ब्रह्मचारणी ,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यानी ,कालरात्रि ,महागौरी एवं सिद्धीरात्री
नौ दिन व्रत -उपवास किया जाता है। अष्टमी के दिन विशेष हवन -पूजन करते है। और नववें दिन कन्याओं का पूजा कर उनको भोजन कराकर फिर उपवास तोडा जाता है।अपनी -अपनी श्रद्धा -भक्ति के अनुसार लोग- बाग पूजन -व्रत -उपवास आदि करके नवरात्री का त्यौहार मानते है।
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