मंगलवार, 24 सितंबर 2019

MAHALAYA AMAVASYA

                        महालया अमावस्या

        वर्षा काल समाप्त होते ही शरद रितु आरम्भ होता है।इस दिन पितर पक्छ समाप्त हो कर देवी पक्छ की शुरुआत होती है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिये तर्पण करते है। इसी दिन दुर्गा जी की अधूरी गढ़ी मूर्ती पर मूर्ती कार आंखे गढ़ते है। दुर्गा पूजा की विधिवत शुरुआत महालय से ही होती है। नवरात्र के पूर्व देवी का आहवान महालय से होता है।
    इस दिन तर्पण कर मंत्र से पूर्वजों को तृप्त करने के साथ ही विश्व के सभी लोगों की मंगल कामना भी की जाती है। विश्व मैत्री की भावना से संकल्प की सिद्धी के लिये माँ दुर्गा की प्रार्थना की जाती है। सारा विश्व एक ही आलय में सिमट जाता है ,इसलिए इस दिन को महालय कहा जाता है। महालय का अर्थ बड़ा घर अर्थात सारा विश्व है।
  महालय के दिन ही सभी देवताओं ने महिषासुर का वध करने के लिये माँ दुर्गा को शास्त्र प्रदान किया था। इसके बाद ही माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। महालय के दिन से ही चंडी पाठ शुरू होता है। महालय के दिन सुबह चार बजे से आकाशवाणी के सभी केंद्रों से महिषासुर मर्दनी कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है। सन  1931 में पहली वार आकाशवाणी के कोलकत्ता केंद्र से इसका प्रसारण वीरेंद्र कृष्ण भद्र की आवाज में प्रसारण हुआ था। तब से अबतक हर साल इसका प्रसारण होता है। इसमें सारा जग भक्तिमय व पूजामय हो जाता है ,यही महालय है।
  बचपन बंगालियों के बीच गुजरा उस समय महालय का अर्थ समझ नहीं आता था ,बस इतना पता था की पूजा के पहले महालय के दिन रेडियो में सुबह चार बजे बंगालियों का कुछ प्रोग्राम आता  है ,जो वे लोग बहुत चाव से सुनते है। अब जा कर समझ आया की बंगाली नहीं हर हिन्दुओं के लिये महालय होता है।








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