मंगलवार, 10 सितंबर 2019

JAGANNATH PURI

                      जगन्नाथ पुरी   (चौथा धाम  )

    चारधाम का चौथा धाम जगन्नाथ पुरी पूर्व दिशा में है। ये भी सागर तट पर है। यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण उनके भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा का काष्ठ प्रतीमा मंदिर में विराजमान है। हर साल तीनो भाई -बहन की प्रतीमा को आषाढ़ के दूज तिथि  में रथ में सुसज्जित कर के नगर भ्रमण कराया जाता है।जिसे रथ यात्रा बोला जाता है। जिसे देखने लाखों लोग आते है।नगर भ्रमण के बाद रथ को भगवान के मौसी के घर ले जाते है, जहाँ भगवान स्वास्थ लाभ करते है.दूज से एकादशी तक वहाँ रहकर फिर वापस रथ मंदिर मे लाया जाता है।  
       पुरी आने पर साखीगोपाल भी जरूर जाते है। मान्यता है की भगवान पुरी आये थे उसका साक्छी है साखीगोपाल का मंदिर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर भी जग प्रसिद्ध है ही ,इसके अलवा भुवनेश्वर का लिंगराज का मंदिर भी देखने योग्य है। यहाँ हर साल शिवरात्री का मेला लगता है।पुरी का चिल्का लेक भी बहुत ही विशाल और प्रसिद्ध है। यहाँ 3 -4 घंटा बोटिंग का भी मजा लिया जाता है.यहाँ डॉल्फिन भी पाया जाता है। सीपी से मोती भी निकाल कर दिखाया जाता है।
  पुरी में चैतन्य महाप्रभु का भी आश्रम है जो गौर आश्रम के नाम से जाना जाता है। वे बचपन से ही कृष्ण भक्त थे।  रथयात्रा के दिन उनका जीवन लीला यही समाप्त हुआ था। पुरे आश्रम में कृष्ण और विष्णु जी का लीला का मूर्ती बना हुआ है।ये आश्रम भी देखने योग्य है।



    
       
   

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