बुधवार, 11 सितंबर 2019

ONAM

                              केरल  का  ओणम

         केरल दक्छिन भारत का एक बहुत ही हरा भरा प्रकृति से समृद्ध राज्य है। अधिकांश भाग में साल भर हरियाली रहती है। सभी ओर नारियल के पेड़ दिखते है। अनेक तरह के मसाले ,जड़ी -बूटी उगाये जाते है।रबड़ और कई तरह के केले यहाँ होते है। यहाँ के लोग मलयाली  होते है। मलयालियों का सबसे बड़ा त्यौहार ओणम अगस्त से सितम्बर के बीच में होता है।
    ओणम के अवसर में पुरे शहर और घर को सजाया जाता है। हर चौक -चौराहा ,होटल ,मॉल ,घर आदि जगहों में बड़ा -बड़ा सुन्दर-सुन्दर  फूलों की रंगोली  बनाते है। ओणम में तरह -तरह  का पकवान बनाया जाता है। केले ,गुड़ ,नारियल ,कई तरह की सब्जी ,कई तरह का चावल  इसमें प्रमुख रहता है। और कई तरह का पायसम (खीर) जरूर रहता है। पुरे पकवान को ओणम सद्यया बोला जाता है। जैसे अपने तरफ छपन भोग होता है वैसे ही ओणम सद्यया में भी 25वो  वैरायटी का पकवान होता है। इसे केले के पत्ते में परोसा जाता है।
 ओणम का त्यौहार पुरे केरल में हफ्तों चलता है। केरल के एल्लपी में स्नेक बोट रेस होता है। जिसे नेहरू जी ने शुरू करवाया था। जो दल  इस रेस में जीतता है उसे नेहरू ट्राफी दिया जाता है। त्रिशूर में हाँथियो को सजा कर पूजा करके पकवान खिलाया जाता है। पुरे केरल में ही जगह जगह बहरूपिया बनकर लोग -बाग घूमते हुए दिख जायेंगे।
  ओणम के बारे में एक कहानी ये भी प्रचलित है। केरल का राजा महाबली काफी लोकप्रिय था। एक बार राजा यज्ञ कर रहे थे। उनके यज्ञ को भंग करने भगवान विष्णु वामन रूप लेकर आये और राजा से पूरा राज्य दान में मांग लिये। राजा ने अपना राज्य दान में वामन रूप धरे ब्राह्मण को दे दिया। भगवान खुश होकर वरदान माँगने कहा। राजा ने कहा की वरदान देना ही है तो  साल में एकबार वे अपने प्रजा का हालचाल देख कर जायेंगे। तब से ही हर साल लोग -बाग अपने घरो को सजा कर पकवान बना कर राजा के स्वागत की तैयारी करते है। इस तरह ओणम का त्यौहार मनाया जाने लगा।
  दो -तीन बार केरल में ओणम का त्यौहार देखना हुआ। बोट रेस भी देखे ,तरह तरह का पायसम (खीर )भी खाने का मौका मिला, ओणम सद्यया (पकवान )भी खाये। इस बार केरल नहीं जा पाए। पर तमिलनाडु  केरल का पड़ोसी राज्य होने के कारण यहाँ भी ओणम मनाया जाता है। इसबार कुन्नूर में सद्यया का लुफ्त उठा कर ओणम का त्यौहार मनाए।  






     

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