शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

ORCHID

                                          ORCHID-----आर्किड 

                     आर्किड का पौधा 30000 हजार प्रकार का पुरे दुनिया में पाया जाता है। इसे भी दो तरह से लगाया जाता है। एक तो बड़े मोटे तने के पेड़ में लपेट देने पर इसके सफ़ेद जड़ धीरे से पौधे से नमी लेकर बढ़ते जाता है। दूसरे तरह का आर्किड गमले में लगा सकते है। इसे लगाने का गमला भी बहुत ही खास जाली दार होता है। गमले में नारियल हस्क ,कोयला का चुरा ,मॉस इत्यादी डाल कर ही पौधा रोपा जाता है। गमले में लगाने के पहले थोड़ा सा जड़ को छाँटना ठीक रहता है। 
         पौधा पेड़ में लगायें या गमले में बस इतना ध्यान रहे की रोशनी भरपूर मिले ,इसे लाईट ईटर भी  बोला  जाता है।  जब की पानी कम ही डालना पड़ता है। तभी भरपूर फूल खिलता है। एक बार फूल हुआ तो बस महीनों रहता है। रंग -बिरंगा खूबसुरत प्लास्टिक जैसा दिखता है।नर्सरी में पौधा आसानी से मिल जाता है बस केयर थोड़ा ज्यादा करना पड़ता है।  । 
          कुन्नूर में एक मित्र ने 5 -6 साल पहले एक छोटा सा आर्किड का पौधा दिया था। तब से खूब अच्छी तरह से बढ़ रहा है ,और फूल भी खिल रहा है। रायपुर में भी लाकर लगा दिए पर उतना अच्छे से नहीं बढ़ रहा है। वैसे सिंगापुर हो या आसाम दुनिया में  बहुत जगह में ग्रीन हॉउस बना कर इसका पौधा लगाते है और पूरी दुनिया में फूल भेजते है। टूरिस्ट भी देखने आते है और व्यापर भी हो जाता है। 
       बचपन में जब बाबा के साथ जंगल में पिकनिक जाते थे तो बाबा जंगली पेड़ वाला आर्किड खोज ही लेते थे और घर लाकर किसी पेड़ में तार से लपेट देते थे। और पौधा का सेवा करते थे। तब उसमे हल्का सफ़ेद वैगनी रंग का फूल होता था। फूल देख कर बहुत ताजुब भी होता था की कैसे एक छोटा सा पौधा एक दूसरे पेड़ के सहारे पनप जाता है। मेरा तो पीला फूल वाला आर्किड है पर दूसरे रंगो वाला और पौधा खोज रहे है मिले तो उसे लगाएंगे। कुन्नूर का मौसम भी आर्किड को शूट करता है। 





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