गुरुवार, 13 जुलाई 2017

A STORY OF TEA LEAF

                                                      एक कहानी चाय पत्ती की जुबानी 

               हममें से प्राय:सभी हरी ,काली होते हुए भी सभी लोगों की दिल की रानी है। हमारा मायका -ससुराल सभी ऊंची -ऊंची पहाड़ियों पर है ,जहाँ बराबर ठंड का मौसम रहता है और रिमझीम -रिमझीम वर्षा भी होते रहता है। प्रकृति सौन्दर्य का क्या कहना जो एक बार जाये तो बस वहीं बस जाये। चाय बगान के मजदूर हमारी खूब सेवा करते है। बगान में बीच -बीच में सिल्वर ओक का पेड़ भी लगा देते है जिससे हमें धूप और वर्षा से वचाओ भी हो। 
           हम कितने गुणकारी हैं ये तो सभी जानते है बस एक घूंट पीजिये और तरो  ताजा हो जाइये ,सुस्ती ,थकावट गायब।चाय पीकर देर रात तक पढ़िए नींद नहीं आएगी ।है ना हम कमाल के औषधीय गुणों से भरपूर। अब कोई चीज का अति तो  नुकसान दायक होता है  ,पर हिसाब से पीने पर फायदा है। 
          हम पर डाक टिकट भी जारी  हुआ है। हम पुरस्कार के लायक है ही। कोई ग्रीन टी तो कोई  ब्लैक टी तो कोइ दूध डाल  कर स्वाद लेता है।हमारी उत्पत्ति की कहानी भी बड़ी रोचक है, तो ये भी सुन लीजिये।हजारों वर्ष पूर्व दक्छिन -पूर्व चीन के पहाड़ी जंगली इलाके में एक साधूबाबा 100 वर्ष तक बिना पलक झपके तपस्या में लगे थे ,एक रात उनकी पलकें झपकी और वे सो गये। उनकी तपस्या भंग हो गयी। जब वे जगे तो उन्हें बहुत गुस्सा आया। बस क्या था वे अपने पलकों को काट कर फेंक दिए. जहाँ पलके फेके थे ठीक उस जगह कुछ वर्षों बाद  कुछ पौधा ऊगा साधू बाबा समझ गये की ये वही बदमाश पलकें है जिसके कारण उनकी तपस्या भंग हुई थी। बस क्या था उन्होंने श्राप दे दिया की जो कोई भी इसका सेवन करेगा उसकी नींद गायब हो जाएगी। साधूबाबा अक्सर अपने शिष्यों से रातभर जप करवाते थे। जो सो जाता उसे सजा मिलता था। एक चालाक   शिष्य जो श्राप सुना था उस पौधे की पत्ती खाकर जप में बैठा उसे नींद नहीं आई। दूसरे भी हमारी गुण जान गए और धीरे -धीरे सभी हमारी पत्तियों का व्यवहार करने लगे। है ना मजेदार कहानी। अच्छा बस टा टा बाई बाई  . 
          ये तो चाय पत्ती की जुबानी थी। पर क्या और कितना सच है ये तो पता नहीं पर जहाँ -जहाँ भारत से  बुद्धिस्ट गए है,चीन ,जापान हो या श्री लंका। और अंग्रेज तो पूरी दुनिया में घूम -घूम कर राज किये थे। बस उन्हीं जगहों में चाय की खेती होती है और पहाड़ी इलाके में चाय  बागान होता है।तो शायद ये हमारे देश से ही सारी दुनिया में फैला होगा और इस्तेमाल होता होगा  अब सच जो हो क्या करना। सुबह शाम चाय का आनंद लेने में ही मजा है।





  


             

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें