VENTURA ( L A )
वेंटुरा
दूसरे दिन संडे था हमलोग नाश्ता करके वेंटुरा घूमने निकल पड़े। यहाँ बहुत ही सुंदर समुन्दर का नजारा पहाड़ पर से देखे। फिर समुन्दर के किनारे -किनारे घंटो भैया और भाभी से गप करते हुये टहले। बहुत ही शांत और सुंदर नजारा था ,सन्डे होने के कारण काफी चहल -पहल भी था।और मजे की बात तो ये भी देखने मिला की जगह -जगह लोग ग्रुप में योग कर रहे थे। देख कर बहुत ही खुशी लगा और अच्छा भी लगा।
घुमते खाते पीते शाम तक भैया के घर पहुँचे। थोड़ा आराम करके फिर भैया के घर से थोड़ी दूर में एक नया तरह का मार्केट दिखाने भईया लेगए। मार्केट क्या सारे ब्रांडेड समान का डायरेक्ट फैक्टरी शो रूम था। यहाँ भी सन्डे के कारण काफी भीड़ था। कई किलोमीटर में अलग -अलग बिल्डिंग में अलग ब्रांड का सामान सही कीमत में उपलब्ध था। आओ घूमो और अपने पसंद का सामान लेजाओ। फ़ूड कोर्ट और बहुत बैराइटी का खाने पीने का सामान भी था। वापस घर आकर भईया के कॉलोनी में टहलने निकल पड़े।
क्लब हाऊस ,मार्केट ,खेल मैदान ,पार्क सब जगह घूमें। वहाँ क्या देखते हैं जगह -जगह पार्क में हरे रंग का पॉलीथीन टंगा है। भाभी से पता चला की लोग अपने कुत्तों को घुमाने और दौड़ाने लाते है। यह कुत्तों का पार्क है यदि कुत्ता यहाँ गंदगी करता है तो मालिक मैला उठाकर उसमें डालता है। बाद में कचरा गाड़ी आकर ले जायेगा। सब जगह साफ सुथरा रहेगा ,किसी को कोई तकलीफ नहीं होगा है न समझदारी की बात।
घर वापस आकर गरमा गर्म भोजन किये। फिर सब कोई बैठ कर दादा -दादी ,काका काकी की बातें ,और बचपन की शैतानी मस्ती पता नहीं कितना कुछ बात याद करके मजे लिये। भाभी से भी पहली बार मिल कर बड़ा अच्छा लगा। एकदम घुलमिल गयी थी। 40 साल पहले 1 -2 बार ही मिले थे। पर इस बार भाभी से मिलकर बड़ा अच्छा लगा। रात काफी हो चला था सुबह वापस भी जाना था सब कोई आराम करने चले गये
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