JAGANNAT PURI
चार धाम का चौथा धाम जगन्नाथ धाम पूर्व दिशा में हे।ये भी समुन्दर किनारे बना है। यहाँ आने पर साखीगोपाल ,भुवनेशवर का लींगराज का मंदिर और कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी देखना हो जाता है।
मजे की बात तो ये है की जहाँ उत्तर में बद्रीनाथ भगवान विष्णु का धाम और केदार नाथ ज्योतिर्लिङ्ग है . वहीं दक्सीन में रामेशवर में भी ज्योतिर्लिङ्ग है। पशचिम में जहाँ कृष्ण का द्वारका है वहीं सोमनाथ में ज्योतिर्लिङ्ग है। और पूर्व में कृष्ण का मंदिर। पता नहीं सैकड़ों साल पहले जगत गुरु शंकराचार्य ने चार पीठ और चार धाम का स्थापना किया और आज भी सारे हिन्दू जुड़े है और ख़ुशी से चार धाम की यात्रा करना अपना सौभाग्य समझते हैं
पुरी आने पर चिल्का लेक भी जरूर जाना चाहिए बहुत सारी नदियाँ और झरने का पानीउसमे मिलता है। रंग बिरंगी मछली ,डॉल्फिन और जल पक्छी भी देखने मिलता है। पुरी में चैतन्य प्रभु जो की कृष्ण भक्त थे उनका भी आश्रम देखने योग्य है। ।
इसी बहाने भारत भ्रमण भी हो जाता है और चारों दिशा के दुर्लभ और दर्शनीय तीर्थ स्थली भी देखना हो जाता है।हमलोग खुशनसीब हैं की हमें यात्रा का अवसर मिला और सबो का साथ जिससे इतना कुछ घूम सके अब फिर जब -जब मौका मिलेगा तो बाकी भी दर्शन हो जायेगा।
जगन्नाथ पुरी
मजे की बात तो ये है की जहाँ उत्तर में बद्रीनाथ भगवान विष्णु का धाम और केदार नाथ ज्योतिर्लिङ्ग है . वहीं दक्सीन में रामेशवर में भी ज्योतिर्लिङ्ग है। पशचिम में जहाँ कृष्ण का द्वारका है वहीं सोमनाथ में ज्योतिर्लिङ्ग है। और पूर्व में कृष्ण का मंदिर। पता नहीं सैकड़ों साल पहले जगत गुरु शंकराचार्य ने चार पीठ और चार धाम का स्थापना किया और आज भी सारे हिन्दू जुड़े है और ख़ुशी से चार धाम की यात्रा करना अपना सौभाग्य समझते हैं
पुरी आने पर चिल्का लेक भी जरूर जाना चाहिए बहुत सारी नदियाँ और झरने का पानीउसमे मिलता है। रंग बिरंगी मछली ,डॉल्फिन और जल पक्छी भी देखने मिलता है। पुरी में चैतन्य प्रभु जो की कृष्ण भक्त थे उनका भी आश्रम देखने योग्य है। ।
इसी बहाने भारत भ्रमण भी हो जाता है और चारों दिशा के दुर्लभ और दर्शनीय तीर्थ स्थली भी देखना हो जाता है।हमलोग खुशनसीब हैं की हमें यात्रा का अवसर मिला और सबो का साथ जिससे इतना कुछ घूम सके अब फिर जब -जब मौका मिलेगा तो बाकी भी दर्शन हो जायेगा।
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